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Sprinter Daadi: 106 साल की रामबाई ने नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जीते दो गोल्ड...बेटा,बहू भी हैं चैंपियन

हरियाणा के चरखी दादरी जिले के गांव कादमा की रहने वाली रामबाई राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अपनी तीन पीढ़ियों के साथ 100, 200 मीटर दौड़, रिले दौड़, लंबी कूद में 4 गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास बना चुकी हैं.

रामबाई रामबाई

Age is just a number ये सिर्फ कहावत ही नहीं है कुछ लोग इसे प्रूव भी कर रहे हैं. इसका साक्षात उदाहरण है हरियाणा की 106 साल की दादी. उत्तराखंड में आयोजित हुई 18वीं युवरानी महेंद्रकुमारी राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में देशभर के युवाओं के साथ बुजुर्ग खिलाड़ियों ने भी हिस्सा लिया. इस प्रतियोगिता में राम बाई ने 100 और 200 मीटर दौड़ में भाग लेकर गोल्ड मेडल जीता.

कैसे करती हैं प्रैक्टिस?
बुजुर्ग एथलीट राम बाई ने खेतों के कच्चे रास्तों पर खेल की प्रैक्टिस की. उन्होंने बताया कि वह सुबह 4 बजे उठकर अपने दिन की शुरुआत करती हैं. इसके अलावा वो पैदल चलने का भी अभ्यास करती हैं. आम तौर पर जहां 80 की उम्र तक पहुंचकर ज्यादातर लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं, राम बाई इस उम्र में भी 5-6 किलोमीटर की दौड़ लगाती हैं. वह चूरमा, दही खाती हैं और दूध भी खूब पीती हैं.

राम बाई ने दो साल पहले 104 साल की उम्र में एथलेटिक्स में कदम रखा था. उन्होंने पिछले साल 85 से ऊपर की श्रेणी में 100 मीटर फर्राटा दौड़ का विश्व रिकॉर्ड बनाया था. इसके बाद हाल ही में तीन स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने अपनी उपलब्धि में और इजाफा कर लिया है. Above-85 category की तीनों प्रतियोगिताओं में से प्रत्येक में, रामबाई ने तीन से पांच अन्य प्रतिभागियों को हराया.

कौन है रामबाई?
रामबाई का जन्म हरियाणा के चरखी दादरी के एक छोटे से गांव कदमा में हुआ था. उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा घरेलू काम और पारिवारिक खेत में काम करते हुए बिताया. एथलेटिक्स में उनकी शुरुआत 2016 में हुई, जब पंजाब की मान कौर ने 100 साल की उम्र में वैंकूवर में अमेरिकन मास्टर्स गेम में 100 एमएसप्रिंट में 1 मिनट और 21 सेकंड का समय लेकर स्वर्ण पदक जीतकर दुनिया की सबसे तेज शतकधारी बनकर सुर्खियां बटोरीं. अगले वर्ष, कौर ने ऑकलैंड में वर्ल्ड मास्टर्स गेम में सात सेकंड की देरी से अपना ही विश्व रिकॉर्ड बेहतर किया. रामबाई ने भारत और विदेश में लगभग 14 खेल प्रतियोगिताओं में 200 से अधिक पदक जीते हैं.

जब यह बात रामबाई की 41 वर्षीय पोती शर्मिला सागवान ने उन्हें बताई तो वो इससे काफी ज्यादा प्रभावित हुईं. उन्होंने कहां कि अगर 100 साल से अधिक उम्र की महिला ऐसा कर सकती है, तो वह क्यों नहीं? रामबाई ने कहा, "जब शर्मिला ने पहली बार मुझसे अनुभवी वर्ग में खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू करने के लिए कहा, तो मैं झिझक गई, लेकिन अब मैं मैदान में आकर खुश हूं, क्योंकि इससे पहले मैंने शायद ही कभी अपने गांव से बाहर कदम रखा हो. मुझे उम्मीद है कि मैं इसमें भाग लूंगी. इस उम्र में खेल युवाओं को संदेश देना चाहती हूं कि अगर मैं ऐसा कर सकती हूं, तो उन्हें खेल खेलने और फिट रहने से कोई नहीं रोक सकता.''

बेटा, बेटी और बहू भी चैंपियन
राम बाई का पूरा परिवार खेलों में नाम कमा रहा है. उनकी बेटी 62 वर्षीय संतरा देवी रिले रेस में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं. राम बाई के बेटे 70 वर्षीय मुख्तयार सिंह ने 200 मीटर दौड़ में ब्रॉन्ज मेडल जीता है. बहू भतेरी भी रिले रेस में गोल्ड और 200 मीटर दौड़ में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं.