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16 साल की उम्र में 21 साल के व्यक्ति से शादी करने के लिए भाग गई थी महिला...56 साल बाद एक-दूसरे से मिला परिवार

नम्माझवार और गौरी पार्वती थूथुकुडी में विलाथिकुलम के पास थूथुकुडी-मदुरै राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे एक गांव मेलाकरंथई में रहती हैं. 16 साल की उम्र में गौरी अपने घर से भाग गई थीं और उन्होंने नम्माझवर से शादी कर ली थी.

 Gowri Parvathi (Source: Tamilbloggers) Gowri Parvathi (Source: Tamilbloggers)
हाइलाइट्स
  • 56 साल बाद मिला परिवार

  • शादी के समय 16 साल की थी गौरी

पांच दशकों से अधिक समय के बाद आंध्र प्रदेश की एक 75 वर्षीय महिला को अपना परिवार वापस मिला. महिला ने 16 साल की उम्र में मेलाकरंथई के एक व्यक्ति से शादी करने के लिए अपना पैतृक गांव छोड़ दिया था. आंध्र प्रदेश में अनाकापल्ले जिले के नरसीपट्टनम के पास चिन्नय्यापलेम गांव से गौरी पार्वती (75) के रिश्तेदार उनसे मिलने आए थे, जो लगभग 1,300 किमी दूर है. ये नजारा देखकर उनके परिवार वाले मंत्रमुग्ध हो गए.

घरवालों ने पकड़ लिया था
नम्माझवार (Nammazhvar) और गौरी पार्वती (Gowri Parvathi) थूथुकुडी में विलाथिकुलम के पास थूथुकुडी-मदुरै राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे एक गांव मेलाकरंथई में रहते हैं. नम्माझवार, जो अब 80 वर्ष के हैं, 1960 के दशक में एक एचटी टावर इंस्टालेशन फर्म में कुली वेतन की नौकरी के लिए चिन्नय्यापलेम और नरसीपट्टनम गांवों में आए थे. नम्माझवार ने याद करते हुए कहा, "नरसीपट्टनम में रहने के दौरान मेरी कुछ स्थानीय लोगों से दोस्ती हुई थी और इस तरह मैं गौरी से मिला और हमारा रिश्ता शुरू हुआ." नम्माझवार ने कहा कि वे एक समय शादी करने के लिए तमिलनाडु भाग गए थे, लेकिन गौरी के परिवार के सदस्यों ने उन्हें विजयवाड़ा बस स्टैंड पर पकड़ लिया था.

गौरी लगी थी रोने
नम्माझवर ने कहा, "उन्होंने मुझे कड़ी चेतावनी के साथ छोड़ा और कहा कि मैं आगे से कभी गौरी को परेशान नहीं करुंगा. वो गौरी को घर वापस ले गए." नम्माझवर ने बताया कि गौरी ने उनसे रोते हुए कहा कि अगर वह 10 दिनों में वापस नहीं आए तो वह आत्महत्या कर लेगी. इस वजह से नम्माझवर फिर से नरसीपट्टनम गए और एक धोबी की बेटी, जिसे वह पहले से जानते थे से कहा कि वो उनके आने की सूचना गौरी को दे दे. 

शादी के समय 16 साल की थी गौरी
गौरी को जब नम्माझवार के आने की खबर मिली तो वो जल्दी से उस जगह पहुंची. दोनों मेलाकरंथई चले गए और शादी कर ली. नम्माझवर ने कहा, “यह 1966 की बात है जब हमारी शादी हुई थी. गौरी 16 साल की थी और मैं 21 साल का था. तब से वह अपने पैतृक घर नहीं गई.' इनके तीन बच्चे अय्यम्माल, शनमुगराज और मुथुलक्ष्मी हैं. नम्माझवार परिवार चलाने के लिए सात एकड़ जमीन पर खेती करता है.

बेटे ने खोजा परिवार
शनमुगराज (49) ने कहा कि चूंकि उसकी मां (गौरी) की उम्र बढ़ रही थी और वह अक्सर अपने रिश्तेदारों को देखने के लिए रोती रहती थी इसलिए वह पिछले हफ्ते चिन्नय्यापलेम आया उनके परिवार के सदस्यों के बारे में पूछताछ की. उसने कहा, “मेरी मां गांव के नाम का उच्चारण अलग तरह से कर रही थी जिसकी वजह से हमें उन तक पहुंचने में देर लगी. हालांकि, हम गूगल मैप्स की मदद से उस जगह का पता लगा पाए क्योंकि उन्हें आस-पास के गांवों के नाम याद थे."

शनमुगराज (Shanmugaraj) को गांव पहुंचने के बाद अपनी मां के परिवार वालों को ढूंढ़ने में चार घंटे लगे. उन्होंने कहा, "उन्हें एक बार पता चला कि मेरी मां गौरी हैं. सभी रिश्तेदार इकट्ठा हुए और मेरा स्वागत किया गया." शनमुगराज ने कहा, वो लोग मेरे साथ मेलाकरंथई आए गौरी को देखने के लिए. मेलाकरंथई में भी नम्माझवार के परिवार ने गौरी के परिवार के सदस्यों का स्वागत किया.

56 साल बाद मिला परिवार
56 साल के अंतराल के बाद एक-दूसरे को देख रहे दोनों परिवार खुशी से झूम उठे. परिवार के सदस्यों ने बताया कि गौरी के भाई मज्जी सोमुलु, मज्जी दसू, बहनें ममीदी वेंकयम्मा और गेंगम्मा की मृत्यु हो चुकी है, जबकि मज्जी रामबाबू और वद्दादी मंगा जीवित हैं. रामबाबू और मंगा, गौरी को देखने मेलाकरंथई आए थे.गेंगम्मा के पोते बालाजी ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वो गौरी, उनके बच्चों और पोते-पोतियों को देखकर बहुत खुश और रोमांचित हैं. उन्होंने कहा, “हमने कई जगह और विशेष रूप से मंदिरों में तलाशी ली थी. हमारी दादी ममीदी वेंकयम्मा कई दिनों तक रोई थीं और मरने से पहले उन्होंने कई जगहों पर गौरी को खोजा था.''