बॉटनी के छात्र दीप ने क्रॉस ब्रीडिंग के जरिए जवा कुसुम यानी गुड़हल की 30 नई प्रजातियां विकसित की हैं. जवा के फूलों से बेपनाह मोहब्बत करनेवाले दीप ने अपने घर की छत पर ही यह कारनामा कर दिखाया है. सिंगूर के अपने घर की छत पर दीप ने जवा की 150 से ज्यादा प्रजातियों के पेड़ भी लगा कर रखे हैं. यहां लाल पीले सफेद काले से लेकर लगभग हर रंग के जवा खिलते हैं.
प्रत्येक प्रजाति का किया नामकरण
जवा के फूलों पर दीप ने कई साल पहले काम शुरु किया था. दीप के मुताबिक जवा में इतने रंग हैं कि शुरू से ही यह मुझे आकर्षित करते थे. फिर मैंने देसी जवा के फूलों से विदेशी जवा के फूलों के परागों का संकर्षण कर नई प्रजाति विकसित करने का काम शुरू किया. दीप ने प्रत्येक प्रजाति का नामकरण भी किया है ताकि इसे कोई अपना न बता दे.
12 प्रजातियां हो चुकी हैं रजिस्टर
इंटरनेशनल हिबिस्कस सोसायटी ने अब तक दीप द्वारा विकसित 12 प्रजातियों को रजिस्टर कर लिया है. सिर्फ यही नहीं इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दीप का नाम दर्ज हो चुका है और उन्हें सर्टिफिकेट भी दिया गया है. अब दीप की इच्छा है कि अगर सरकार से मदद मिले तो वो इस काम को और आगे बढ़ाना चाहते हैं.