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26 साल की उम्र में 4.26 करोड़ की क्राउड फंडिंग के जरिए 37500 लड़कियों को शिक्षा में मदद कर रहीं निशिता राजपूत

निशिता न किसी संस्था से जुड़ी हैं और न  ही उनका अपना कोई फाउंडेशन है, लेकिन लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों को आगे जाते देखना उनका सपना है.

26 वर्षीय निशिता राजपूत 26 वर्षीय निशिता राजपूत
हाइलाइट्स
  • निशिता लोगों से बेटियों के लिए फंड मांगती हैं.

  • वे अब तक करीब 375000 हजार लड़कियों को पढ़ा चुकी हैं.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के बारे में हम सब जानते हैं. लेकिन बहुत  कम लोग होते हैं जो निस्वार्थ भाव से इस पर अमल भी करते हैं. और कुछ ऐसा ही कर दिखाया है 26 वर्षीय निशिता राजपूत ने जो आठ सालों से कमजोर तबके की अथवा किसी अन्य वजह से शिक्षा से वंचित रही लड़कियों को पढ़ा रही हैं. वे अब तक करीब 375000 हजार लड़कियों को पढ़ा चुकी हैं. वह बताती हैं कि उन्होंने सबसे पहले 151 लड़कियों की फीस का भुगतान किया था, धीरे-धीरे ये संख्या बहुत बढ़ गई. इस साल आर्थिक रूप से कमजोर 12,000 लड़कियों की पढ़ाई कराने का जिम्मा उठाया है.

11 साल पहले शुरू किया काम

दरअसल निशिता लोगों से बेटियों के लिए फंड मांगती हैं और फीस जमा करती हैं जिसे आम भाषा में क्राउडफंडिंग कहते हैं. निशिता  बताती हैं कि उन्होंने बच्चियों की पढ़ाई के लिए 11 साल पहले काम शुरू किया, तब से अब तक कुल 37,500 बच्चियों के लिए 4 करोड़ 26 लाख रुपये स्कूल फीस के तौर पर जमा कर चुकी हैं. उनका कहना है कि शिक्षा पर अधिकार जेंडर देखकर तय नहीं किया जाना चाहिए. फिर भी बदहाली, अशिक्षा और लड़के-लड़की के बीच समाज में ऐसा अंतर है, जो कहता है कि लड़कों की शिक्षा लड़कियों की शिक्षा से ऊपर होनी चाहिए. ये बात उन्हें हमेशा खटकती रही और इसीलिए आज से 11 साल पहले ही तय कर लिया था कि वे छात्राओं की शिक्षा के लिए काम करेंगी.

सफर नहीं था आसान

साल 2021 में ही निशिता की शादी हुई. निशिता ने तय किया कि वे अपनी शादी बहुत ही साधारण तरीके से करेंगी और शादी के लिए इकट्ठा किए गए पैसों से बच्चों की स्कूल की फीस भरकर उनके नाम पर एफडी करवाएंगी. उन पैसों से 251 बच्चियों की स्कूल फीस जमा की और 21 लड़कियों के नाम से 5 हजार की एफडी कराई. इशिता बताती हैं कि यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था. जब उन्होंने लोगों से पैसे मांगना शुरू किया तब लोगों ने कई सवाल उठाए. जान पहचान वाले लोग तो पैसे दे देते थे लेकिन अनजान लोगों का भरोसा जीतना सबसे चुनौतीपूर्ण था. धीरे-धीरे उन्होंने लोगों का भरोसा जीता और अपने साथ लोगों को जोड़ती गई. निशिता के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह अपने पिता गुलाब राजपूत के सिद्धांतों पर चल रही है. गुलाब राजपूत ने भी अपने जीवन में गरीब परिवारों की मदद की, लिहाजा बेटी भी उसके रास्ते चल रही है.