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सूरत में तैयार की गई 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म पर बनी खास साड़ी...लोगों के बीच काफी लोकप्रिय

गुजरात के सूरत शहर को टेक्सटाइल नगरी कहा जाता है जहां चर्चास्पद विषयों पर साड़ियां प्रिंट होती रहती है. इस बार शहर के एक टेक्सटाइल कारोबारी ने द कश्मीर फ़ाइल्स फ़िल्म को लेकर साड़ियां तैयार करवाई हैं जिसे फिल्म की बढ़ती लोकप्रियता भी कह सकते हैं.

The Kashmir Files Print saree The Kashmir Files Print saree
हाइलाइट्स
  • नो प्रोफिट में बेचेंगे साड़ी- विनोद सुराना

  • सर्जिकल स्ट्राइक पर भी बनवा चुके हैं साड़ी

कश्मीर के कश्मीरी पंडितों के उत्पीड़न और अत्याचारों पर बनी द कश्मीर फाइल्स फिल्म देश भर में चर्चा का विषय बनी हुई है. आज देश में जहां देखो वहीं इस फिल्म की चर्चा हो रही है. हर कोई इस फिल्म को देखकर कश्मीरी पंडितों की कश्मीर से पलायन की पीड़ा को देखना और समझना चाहता है. यही वजह है द कश्मीर फ़ाइल्स फिल्म हर दिन एक नया रिकॉर्ड बनाती जा रही है. गुजरात के सूरत शहर को टेक्सटाइल नगरी कहा जाता है जहां चर्चास्पद विषयों पर साड़ियां प्रिंट होती रहती है. इस बार शहर के एक टेक्सटाइल कारोबारी ने द कश्मीर फ़ाइल्स फ़िल्म को लेकर साड़ियां तैयार करवाई हैं जिसे फिल्म की बढ़ती लोकप्रियता भी कह सकते हैं.

सर्जिकल स्ट्राइक पर भी बनवा चुके हैं साड़ी
साड़ियों का कारोबार करने वाले विनोद कुमार सुराना सूरत शहर के अभिनंदन टेक्स्टाइल मार्केट में स्थित साड़ियों की दुकान में द कश्मीर फ़ाइल्स फ़िल्म के प्रिंट वाली साड़ी प्रिंट करवा कर बेचते हैं. दुकान के मालिक विनोद सुराना पहले सर्जिकल स्ट्राइक और नरेंद्र मोदी की तस्वीर वाली साड़ी भी तैयार करवा चुके हैं. हालांकि अब इन्होंने द कश्मीर फ़ाइल्स फिल्म की लोकप्रियता को देखते हुए द कश्मीर फाइल पर खास साड़ी तैयार की है. फिलहाल उन्होंने इस प्रकार की तीन साड़ियां सिर्फ सैंपलिंग के लिए तैयार करवायी है. अब वो इस साड़ी को बाजार में उतारने की सोच रहे हैं. व्यापार में लोकप्रियता का लाभ उठाने की अपनी एक कला है और इस मामले में एशिया की सबसे बड़ी सूरत की कपड़ा मंडी सबसे आगे है. जब भी मौका मिलता है, यहां के कपड़ा व्यापारी अपने घरेलू उत्पाद की साड़ी और उस पर उसका प्रिंट बनाने से नहीं चूकते. 

नो प्रोफिट में बेचेंगे साड़ी- विनोद सुराना
सूरत के कपड़ा कारोबारी विनोद सुराना ने बताया कि द कश्मीरी फ़ाइल्स फ़िल्म देखने के बाद उन्होंने कश्मीरी पंडितों का दर्द महसूस किया और तब उन्होंने इस फ़िल्म पर साड़ी बनवाने का प्लान बनाया. 6 मीटर की इस साड़ी में 300 रंगो का इस्तेमाल कर डिजिटल प्रिंट करवाया गया है. उन्होंने कहा जिस तरह सरकार ने फिल्म को टैक्स फ्री किया है वैसे ही नो प्रोफिट पर साड़ी की बिक्री करेंगे. 

फिल्म की लोकप्रियता को देखते हुए लिया फैसला
जैसा हम कि सभी जानते हैं कि फिल्म रिलीज़ के शुरुवाती दिनों में फ़िल्म के प्रति कुछ ख़ास लोगों को दिलचस्पी नहीं थी लेकिन फिल्म की बढ़ती लोकप्रियता के बाद फिल्म को देखने के लिए लोगों की भीड़ सिनेमा घरों में उमड़ पड़ी है और फिल्म ने सारे रिकॉर्ड भी तोड़ दिए हैं. सूरत के कपड़ा कारोबारी किसी लोकप्रिय करंट विषय या किसी फिल्म के विशेष प्रिंट के लिए व्यावसायिक गणित नहीं करते हैं, बल्कि वह अपनी अभिव्यक्ति की भावना को दर्शाने के लिए ऐसा उपयोग करते हैं. यही वजह है कि बाजार में 1996 वर्ल्ड कप, कोरोना, नोटबंदी, मोदी, योगी, पुष्पा, सर्जिकल स्ट्राइक आदि की साड़ी प्रिंट आ चुकी है और काफी लोकप्रिय भी रही है.