scorecardresearch

संत रविदास की जन्मस्थली पर बनेगा भव्य म्यूजियम, मध्यकाल के संत के जीवन दर्शन के बारे में जान सकेंगे लोग 

संत रविदास की जन्मस्थली पर भव्य म्यूजियम बनने वाला है. इसका मकसद मध्यकाल के संत के जीवन दर्शन के बारे में लोगों को बताना है. बता दें, पीएम मोदी और सीएम योगी भी संत रविदास की जन्मस्थली पर पहुंच चुके हैं.

संत रविदास म्यूजियम संत रविदास म्यूजियम
हाइलाइट्स
  • पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा देने की कोशिश

  • अत्याधुनिक होगा संत रविदास म्यूजियम

‘मन चंगा तो कठौती में गंगा'...संत रविदास का ये वाक्य आज भी पाखंड और दिखावे के जवाब में उदाहरण के तौर पर कहा जाता है. संतरविदास ने बताया था कि बाहरी आडम्बर और प्रयोगों से ज्यादा जरूरी आध्यात्मिकता है. अब संत रविदास के विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए वाराणसी में उनकी जन्मस्थली पर भव्य म्यूजियम बनाने की पहल की गई है. हर साल रविदास जयंती पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां आकर हाजिरी लगाते हैं. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने संसदीय क्षेत्र में यहां आ कर संत रविदास को नमन कर चुके हैं. वाराणसी के सीर गोवर्धन में अब संत रविदास म्यूजियम बनाया जाएगा.  

अत्याधुनिक होगा संत रविदास म्यूजियम

माघी पूर्णिमा को संत रविदास जयंती मनाई जाती है. इस साल 5 फरवरी को माघी पूर्णिमा है. इससे पहले ये घोषणा की गई है. 4 हजार वर्ग मीटर के क्षेत्र में संत रविदास म्यूजियम का निर्माण होना है. प्रारम्भिक रूप से इस म्यूजियम की लागत करीब 24 करोड़ रुपए है. म्यूजियम को अत्याधुनिक बनाया जाएगा और डिजिटल माध्यम से संत रविदास के विचारों और जीवन को दिखाया जाएगा. इस संग्रहालय के जरिए संत रविदास की आध्यात्मिक विरासत को संजोया जाएगा. संत रविदास के विचार और उनके कहे प्रेरक वाक्य अलग अलग जगह देखने को मिलते हैं, यहां एक जगह उनके विचार वाक्यों से लोग परिचित हो सकेंगे. 

क्या-क्या होगा म्यूजियम में?

उत्तर प्रदेश संग्रहालय निदेशालय के निदेशक आनंद कुमार सिंह कहते हैं, “संत रविदास की जन्मस्थली सीर गोवर्धन में उनके जीवन और दर्शन पर आधारित संग्रहालय होगा. इस संग्रहालय में 5 बडी गैलरी होंगी. संत रविदास जी के जीवन दर्शन को लोग यहां देख पाएंगे. उनकी शिक्षा और प्रेरक वाक्यों को जहां स्थान दिया जाएगा वहीं उनके अद्भुत चित्र भी होंगे.” 

खास बात ये है कि संत रविदास के प्रेरक वाक्यों को तो अलग अलग जगह देखा और पढ़ा जा सकता है. लेकिन उनके अपने जीवन के बारे में भी यहां जानकारी हो सकेगी. भक्ति आंदोलन में संत रविदास के योगदान को भी यहां संजोया जाएगा. संग्रहालय में ऑडीओ विजुअल प्रेजेंटेशन के जरिए संदेश दिया जाएगा. इतना ही नहीं म्यूजियम में रविदास के जीवन दर्शन के अलावा संग्रहालय को पर्यटन का केंद्र बनाने के लिए जहां रीडिंग रूम, कैफेटेरिया, सोविनियर स्टोर जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी. वहीं आस पास के लोगों को भी यहां रोजगार से जोड़ा जाएगा. यूपी में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना नई पर्यटन नीति में तैयार की गई है. उस दृष्टि से भी संत रविदास के जन्म स्थल का विकास किया जाएगा. 

पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा देने की कोशिश

गौरतलब है कि रविदास का जन्म माघी पूर्णिमा के दिन हुआ था. मध्यकाल के प्रमुख संत रविदास या रैदास ने छुआछूत और जाति के भेदभाव को मिटाने के लिए पूरे जीवन संदेश दिया. इसीलिए संत रविदास के अनुयायी पूरी दुनिया में हैं. पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा कनाडा, जर्मनी जैसे देशों में भी संत रविदास के अनुयायी बड़ी संख्या में हैं. हर साल बड़ी संख्या में उनको मानने वाले वाराणसी स्थित उनकी जन्मस्थली पर आते हैं. वहीं शोधकर्ता और उनके जीवन दर्शन से प्रभावित होकर भी बड़ी संख्या में लोग सीर गोवर्धन पहुंचते हैं.