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कृषि वैज्ञानिकों ने की बाजरा फसल में स्टेम रोग की तलाश, स्थापित किया नया कीर्तिमान

हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने बाजरा फसल में स्टेम रोग की तलाश किया है. वहीं बाजरा में स्टेन रोग की तलाश कर वैज्ञानिकों ने कीर्तिमान रच दिया हैं.

stem disease in Bajra crop stem disease in Bajra crop
हाइलाइट्स
  • वैज्ञानिकों ने बाजरे में तलाशा नया स्टेम रोग

  • वैज्ञानिक 3 साल से कर रहें थे बाजरा पर शोध

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने बाजरा फसल में स्टेम रोग नामक बीमारी की तलाश कर नया कीर्तिमान स्थापित किया हैै. यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है. इसके लिए पिछले तीन साल से रिसर्च चल रहा था. इस शोध को अमेरिकन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसाइटी द्वारा प्रकाशित प्रतिष्ठित जर्नल प्लांट डिजीज में नई बीमारी की पहली रिपोर्ट के रूप में स्वीकार किया गया है. हिसार भिवानी रेवाड़ी महेंद्रगढ़ क्षेत्र में बाजरे की फसल में स्टेम रोग से सबसे ज्यादा नुकसान होता था. कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने रिसर्च के बाद स्टेम रोग को ढूंढ निकाला. इस बीमारी के कारण बाजरे के तने में भूरे से लेकर काले धब्बे हो जाते है. इसके बाद बाजरे की फसल नष्ट हो जाती है. यह स्टेम रोग के कारण होता है. यह रोग हरियाणा के हिसार भिवानी, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ में पाई गई है. कृषि वैज्ञानिक की टीम ने मिलकर इस रिसर्च को अंजाम दिया है.

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ विनोद कुमार ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में बाजरा की फसल में लगे रोग पर वैज्ञानिकों ने तीन साल पूर्व रिसर्च शुरू की. तीन साल की रिसर्च के बाद पाया कि बाजरा के तने में भूरे से लेकर काले धब्बे बनने के बाद फसल जो नष्ट होती है. वह स्टेम रोट नामक रोग के कारण होती है. बाजरा में यह रोग क्लेबसिएला एरोजेन्स नामक कारक के कारण होता है. यह रोग सबसे अधिक हरियाणा के हिसार भिवानी रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ में पाया गया.

इन्होने मिलकर रोग का लगाया पता
पौधों की बीमारियों की सही व शीघ्र पहचान तथा उसके वास्तविक कारण का पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण है. रोग की शीघ्र पहचान योजनाबद्ध प्रजनन कार्यक्रम विकसित करने और रोग प्रबंधन में सहायक होती है. एचएयू के वैज्ञानिकों डॉ विनोद कुमार मलिक ने बताया कि उनके साथ डॉ पूजा सांगवान,  मनजीत सिंह घणघस, डॉ राकेश पुनिया, डॉ देवव्रत यादव, डॉ पम्मी कुमारी और डॉ सुरेंद्र कुमार पाहुजा ने बाजरा में स्टेम रोट नामक बीमारी का पता लगाया है. साथ ही इस शोध को अमेरिकन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसाइटी द्वारा प्रकाशित प्रतिष्ठित जर्नल प्लांट डिजीज में नई बीमारी की पहली रिपोर्ट के रूप में स्वीकार किया गया है. डॉ विनोद का कहना है कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक दुनिया में इस बीमारी का पता लगाने वाले सबसे पहले शोधकर्ता हैं.

3 साल से चल रहा था शोध
मुख्य शोधकर्ता डॉ विनोद कुमार मलिक ने कहा कि खरीफ 2018-19 में नई तरह की बीमारी दिखाई देने पर सभी साथी वैज्ञानिकों ने तत्परता से काम किया और 3 साल के शोध कार्य के बाद इस बीमारी की रोगजनकता स्थापित करने में सफलता मिली. इस बीमारी का प्रकोप राज्य के सभी बाजरा उत्पादक जिलों में देखा जा रहा है. हिसार भिवानी रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ के खेतों में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिलती है. बाजरा की फसल में इस रोग की पहचान विश्व स्तर पर सबसे पहले हरियाणा से की गई है. रुपात्मक  रोगजनक  जैव रासायनिक और आणविक स्तर पर जांच करने पर यह साबित हुआ है कि इस बीमारी का कारक जीवाणु क्लेबसिएला एरोजेन्स है.

यह है बीमारी के लक्षण
डॉ विनोद कुमार ने बताया कि बाजरा में स्टेम रोग बीमारी के प्रारंभिक लक्षण पत्तियों पर लंबी धारियों के रूप में दिखाई देते हैं. जल्द ही इन पत्तों पर धारियों की संख्या में वृद्धि होती है. इसके बाद तने पर जलसिक्त धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में भूरे से काले हो जाते हैं. गंभीर रूप से रोग ग्रस्त पौधे गिर जाते है जिससे फसल नष्ट हो जाती है.