गुजरात के अहमदाबाद में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है. अहमदाबाद में एक वकील ने फर्जी जज बनकर विवादित जमीन पर फैसला सुना दिया. आरोपी का नाम मॉरिस सैमुअल है. अहमदाबाद सिविल कोर्ट के जज जे.एल. चोवटिया ने फर्जी आर्बिट्रेटर मॉरिस सैमुअल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश जारी किया है. सैमुअल को गिरफ्तार करके पूछताछ शुरू की है.
नकली जज बनकर पास करता था ऑर्डर
सैमुअल ने नकली आर्बिट्रेटर बनकर, नकली कोर्ट जैसा माहौल खड़ा करके, खुद जज बनकर, खुद ही वकील रखकर अहमदाबाद के पालड़ी स्थित जमीन के मालिकाना अधिकार के मामले में आदेश जारी करके आवेदनकर्ता को करोड़ों की जमीन का मालिक बनाने की कोशिश की जबकि इस मामले में किसी को आर्बिट्रेटर के तौर पर नियुक्त ही नहीं किया गया था. हैरानी की बात यह है कि यह फर्जी कोर्ट पिछले पांच साल से चल रहा था.
पुलिस पर लगाया मारपीट का आरोप
मॉरिस 11 से ज्यादा मामलों में अपने पक्ष में ऑर्डर पारित कर चुका था. अब जाकर इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है. मॉरिस के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 170, 419, 420, 465, 467 और 471 के तहत केस दर्ज किया है. इस बीच, सैमुअल ने जज कारंज पुलिस की शिकायत करते हुए कहा, पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के बाद पीटा है, तमाचा मारकर गुनाह कुबूल करने के लिए दबाव डाला है, पसलियों में लात मारी है, जांघ पर पट्टे से मारा है.
जब धनीराम ने दे दी थी 2 हजार से भी ज्यादा कैदियों को जमानत
इसी तरह मामला धनीराम मित्तल के साथ भी देखने को मिला था. 1970 के दशक में धनीराम मित्तल ने नकली जज बनकर दो महीने तक 2 हजार से भी ज्यादा कैदियों को जमानत दी. ये सभी लोग उसके दोस्त या रिश्तेदार थे. धनीराम खुद को एडिशनल जज बताता था. दो महीने तक किसी को भनक नहीं लगी कि फैसले सुनाने वाला जज नकली है. कानून में स्नातक की डिग्री लेने और हैंडराइटिंग एक्सपर्ट एवं ग्राफोलॉजिस्ट होने के बावजूद धनीराम ने फर्जीवाड़े का रास्ता चुना. जज बनने से पहले धनीराम मित्तल गाड़ियों की चोरी के लिए मशहूर था. हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब और राजस्थान में 150 से अधिक चोरी के मामलों में धनीराम को 90 से ज्यादा बार जेल भेजा गया था.