हमारे देश में कानून व्यवस्था और पुलिस को पूरे भरोसे के साथ देखा जाता है. समाज में किसी के साथ कुछ गलत हो तो वे कानून के पास ही जाते हैं. लेकिन कई बार आम आदमी पुलिस के रवैये से परेशान हो कर अपनी रिपोर्ट दर्ज नहीं करवा पाता है या पुलिस स्टेशन तक जाता ही नहीं है.
ऐसे में किससे सुरक्षा की उम्मीद की जाए. इस बात को ध्यान में रखते हुए अहमदाबाद के जॉइंट पुलिस कमिश्नर गौतम परमार ने एक अनोखा काम किया है. जिससे पुलिस वालों को एक सबक मिले. और आम आदमी का कानून पर भरोसा बना रहे.
सामान्य कपड़ों में पहुंचे कंप्लेन दर्ज कराने:
शहर में कानून व्यवस्था का जायजा लेने के लिए गौतम परमार एक महिला पुलिस कॉन्स्टेबल के साथ सामान्य कपड़ों में अमराईवाडी पुलिस थाने पहुंचे. गौतम ने यहां मौजूद पुलिस कॉन्स्टेबल को कहा कि इस महिला का पति उसके साथ मारपीट करता है. उसके पति के खिलाफ कंप्लेन दर्ज करवानी है.
लेकिन वहां पुलिस कॉन्स्टेबल ने कहा कि महिला का मायका भावनगर में है तो वहां रिपोर्ट कराओ. गौतम परमार ने ड्यूटी पर मौजूद कॉन्स्टेबल को कहा कि यह महिला उनकी भांजी है तो आप कंप्लेन दर्ज कर लें. पर कॉन्स्टेबल ने इन्कार कर दिया.
कॉन्स्टेबल ने कहा कि मारपीट हुई है तो इस बात का ट्रीटमेंट सर्टिफिकेट लेकर आएं. या फिर चार ऐसे गवाह लेकर आएं जो कहे कि उन्होंने मारपीट देखी है. गौतम परमार एक आम आदमी की तरह उनसे विनती करते रहे. लेकिन कॉन्स्टेबल नहीं माने. इसके बाद गौतम परमार ने एसीपी को बुलाया और तुंरत ही पुलिस कॉन्स्टेबल को सस्पेंड करने के आदेश दिए.
क्राइम नंबर कम दिखाने का तरीका:
इसके बाद गौतम दूसरे पुलिस थाने कांगड़ापीठ पहुंचे. कांगडापीठ में पुलिस कॉन्स्टेबल को स्कूटी चोरी होने की रिपोर्ट लिखने को कहा. उन्होंने बताया कि स्कूटी में पर्स और है. इसलिए रिपोर्ट दर्ज कराना जरूरी है. लेकिन वहां पुलिस ने पहले तो गौतम परमार और उनकी साथ आई महिला को धमकाना शुरू किया.
फिर कहा कि पहले आसपास ढूंढ कर आओ. अभी रिपोर्ट नहीं दर्ज करवायी जा सकती है. गौतम ने उनसे कहा कि डिक्की में पासपोर्ट है इसलिए कंप्लेन दर्ज करनी ज़रूरी है. इसपर पुलिस ने कहा कि आप के पासपोर्ट में कोई गड़बड़ होगी इसलिए आप पासपोर्ट को गुम कर रहे हैं. आपको गिरफ्तार करना होगा.
गौतम ने तुंरत ही इस इलाक़े के एसीपी को बुलाया और कॉन्स्टेबल को सस्पेन्ड कर दिया. गौतम का कहना है कि आम आदमी पुलिस के पास मदद की उम्मीद के साथ जाता हे लेकिन पुलिस ही अगर उसे परेशान करेगी तो वह कहां जाएगा.
अक्सर क्राइम के नंबर को कम दिखाने के लिए पुलिस कंप्लेन ही नहीं दर्ज करती है.
ऑफिस स्टाफ से मिला आइडिया:
गौतम परमार का कहना है कि यह ख्याल उन्हें तब आया जब उन्हीं के ऑफिस में काम करने वाले एक शख़्स ने उन्हें कहा कि पिछले कुछ दिनों से वह अपनी बहन के ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने जा रहा है लेकिन, उसकी शिकायत पुलिस ले नहीं रही है.
इससे अंदाज़ा आ गया कि अगर पुलिस के स्टाफ़ का यह हाल है तो आम आदमी का क्या हाल होगा. इसी को देखने के लिए वह सिविल ड्रेस में महिला कॉन्स्टेबल के साथ पुलिस थाने पहुंचे थे. और पुलिस का बरताव देखकर उन्हें काफी दुख हुआ. फ़िलहाल दोनों पुलिस कर्मी को सस्पेन्ड कर दिया गया है.