आजकल बहुत सी महिलाएं रसोई छोड़कर, अपना बिजनेस शुरू कर रही हैं और आगे बढ़ रही हैं. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं अहमदाबाद की एक ऐसी महिला के बारे में जो व्यापार के साथ रसोई संभाल रही हैं. दिलचस्प बात यह है कि उनकी रसोई से सिर्फ उनके परिवार का नहीं बल्कि सैकड़ों गरीब और बेसहारा लोगों को पेट भर रही है.
मंजुबा नाम से चल रही इस रसोई का उद्देश्य है कि कोई भी भूखा न सोए. यह कहानी है प्रणेती कामदार की. प्रणेती अहमदाबाद में एक कंपनी की एमडी हैं और साथ ही, मंजूबा रसोई को चला रही हैं.
सास ने देखा सपना, बहू ने किया पूरा
इस रसोई का सपना प्रणेती की सास, मंजु ने देखा था. अपनी सास के सपने को पूरा करने के लिए इस बहू ने यह अनूठी पहल की. आज इस रसोई में सुबह-शाम एक हजार लोगों का खाना बनता है.
प्रणेती कामदार अपने हाथों से लोगों को खाना परोसती हैं. उनका कहना है कि वह अपनी सास की नेक सोच से बहुत प्रभावित हुईं और पिछले कुछ सालों से इसी तरह गरीब लोगों के लिए अहमदाबाद के अलग-अलग इलाके में फूड ट्रक में खाना लेकर जाती हैं. और यहां आने वाले हर किसी को उसी प्यार से खाना खिलाती हे, जैसे घर में एक मां खिलाती है.
परोस रही हैं स्वादिष्ट खाना
दिलचस्प बात यह है कि यहां पर खाने में बच्चों और बुजुर्गों की पंसद का पूरा ख्याल रखा जाता है. आम तौर पर, अगर कोई गरीब को खाना खिलाता है तो वह रोटी, सब्जी या दाल चावल जैसी चीजें देता है, लेकिन प्रणेती कामदार यहां गरीबों को हेल्दी के साथ-साथ स्वादिष्ट खाना देती हैं. जिस में इडली, डोसा, पाव-भाजी, छोले-कुलचे, और पिज़्ज़ा भी होते हैं.
वह बताती हैं कि जिस भी इलाके में प्रणेती अपना फूड ट्रक ले जाने वाली होती हैं. वहां एक दिन पहले पैम्फलेट छपवाकर बांटे जाते हैं. लोगों को इसमें खाने का न्यौता दिया जाता है. प्रणेती कामदार का कहना है कि ये उनकी सास की सीख थी. उनकी सास हमेशा जरूरतमंदों की मदद करती थीं. आज उनकी टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं और हर रोज लोगों को खाना बांटा जाता है.