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Inspiring Story: हादसे में गंवाए दोनों पैर...लेकिन नहीं मानी हार, व्हीलचेयर के सहारे पूरी की 5KM की मैराथन दौड़

संजीव गोयल ने हाल ही में देहरादून और चंडीगढ़ में 5 किलोमीटर की मैराथन दौड़ को व्हीलचेयर के सहारे पूरा किया और बाकियों के लिए एक मिसाल बने हैं.

Airforce Marathon Handicap Airforce Marathon Handicap

हादसे कब और कैसे किसी की जिंदगी बदल दें, इसका कोई अंदाजा तक नहीं लगा सकता.. बहुत कम लोग हैं जो उन हादसों से उभर कर अपना जीवन दोबारा जीते हैं और दूसरों के लिए बड़ी प्रेरणा बनते हैं. आज हम आपको 54 साल के संजीव गोयल से मिलवा रहे हैं जोकि इंडियन एयर फोर्स से रिटायर हैं. संजीव गोयल 6 साल पहले एक सड़क हादसे में अपनी दोनों टांगे गवा चुके हैं. पैर कटने के बावजूद वो कैसे अपनी जिंदगी जिंदादिली से जी रहे हैं ये हजारों के लिए मिसाल है.

संजीव गोयल ने हाल ही में देहरादून और चंडीगढ़ में 5 किलोमीटर की मैराथन दौड़ को व्हीलचेयर के सहारे पूरा किया और बाकियों के लिए एक मिसाल बने हैं.

संजीव गोयल के हौसले, उनके जुनून को देखकर हर कोई हैरान रह जाएगा. संजीव गोयल ने गुड न्यूज टुडे से खास बातचीत में बताया कि 6 साल पहले वो मोटरसाइकिल पर सवार होकर किसी काम से गुड़गांव निकले थे लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. उनकी बाइक ट्रक की चपेट में आ गई और जब आंख खुली तो उन्होंने अपने आप को अस्पताल में पाया.

व्हीलचेयर के सहारे पूरी की 5KM की मैराथन दौड़

पलक झपकते ही बदल गया सबकुछ
संजीव बताते हैं कि यहां से उनके संघर्ष की कहानी शुरू हुई लगभग दो महीने तक 25 ऑपरेशन हुए और 2 दिन वेंटिलेटर पर रहे लेकिन बाद में डॉक्टर ने यही सलाह दी की दोनों टांगों को काटना पड़ेगा और पलक झपकते ही संजीव व्हीलचेयर और दूसरों के सहारे पर आ गए. 

नहीं हारी हिम्मत
संजीव कहते हैं कि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इसे भगवान का फैसला माना और कहा कि भगवान ने कुछ सोच समझ कर ही किया होगा. संजीव ने उसके बाद जैसे-तैसे अपने आप को संभाला और आज संजीव अपने जैसे हजारों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है संजीव न सिर्फ अपना खुद का रोजमर्रा का काम खुद करते हैं बल्कि गाड़ी को खुद चला कर किसी पर भी बोझ नहीं हैं.

संजीव गोयल ने बताया कि वह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम के साथ उसके अलावा रक्तदान करने में और लोगों को जागरूक करने में लगातार मदद करते हैं.