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Master of Miniatures: चावल के दाने से भी छोटी कलाकृतियां बनाता है यह आर्टिस्ट, World Art Dubai तक पहुंची कला

मशहूर Micro Scluptor अजय कुमार दुबई के 10वें World Art Dubai-2024 के मंच पर अपनी मिनिएचर आर्ट प्रस्तुत करेंगे. यह आयोजन दुबई के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में किया जा रहा है.

Ajay Kumar Mattewada, Miniature Artist (Photo: Facebook) Ajay Kumar Mattewada, Miniature Artist (Photo: Facebook)

आंध्र प्रदेश में वारंगल के मशहूर माइक्रो स्कल्पटर (सूक्ष्म मूर्तिकार) अजय कुमार मत्तेवाड़ा ने अपनी नई रचना का अनावरण किया - सुई की आंख के अंदर भगवान नटराज की एक मिनिएचर मूर्ति, जिसकी लंबाई 0.70 मिमी और चौड़ाई 0.55 मिमी है. इस मूर्ति को सिर्फ माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है. 51 वर्ष के अजय ने प्लास्टिक पाउडर, नायलॉन के टुकड़े, मोम, रंगने के लिए कैटरपिलर बाल और यहां तक ​​कि 24 कैरेट सोने सहित कई मेटेरियल्स का इस्तेमाल किया है. 

अजय ने बताया कि नटराज स्वामी के बालों को तराशना सबसे मुश्किल काम था. मिनिएचर मूर्तिकला में, भगवान नटराज को एक राक्षस को रौंदते हुए दिखाया गया है, जिसका माप 0.09 मिमी है. उन्होंने कहा कि मूर्ति को गढ़ने में उन्होंने तीन महीने के समय में 145 घंटे से ज्यादा समय बिताया।

दुबई में करेंगे अपना काम प्रदर्शित 
इस कलाकार की कला को 2 से 5 मई तक दुबई के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में होने वाले 10वें वर्ल्ड आर्ट दुबई-2024 में वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया जाएगा. 65 देशों के 400 कलाकारों के बीच, अजय कुमार अपना कलेक्शन प्रस्तुत करेंगे. 

आपको बता दें कि अजय का जन्म 1973 में वारंगल में सुनारों के एक परिवार में हुआ था. उन्होंने बताया कि उन्होंने 14 साल की उम्र से अपने पिता से आभूषण डिजाइन करना और मिनिएचर आर्ट सीखना शुरू कर दिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह इस तरह की जटिल लघु कला तैयार करने वाले विश्व स्तर पर तीसरे व्यक्ति हैं.  उनकी आर्ट्स को वर्तमान और पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी के साथ-साथ मुख्यमंत्रियों और कई अन्य सार्वजनिक हस्तियों से प्रशंसा मिली है. 

परिवार हमेशा देता है साथ 
अजय अपनी पत्नी श्रावंती, बेटे वैभव कुमार, बेटी वैशाली और परिवार के अन्य सदस्यों को श्रेय देते हैं क्योंकि वे सब उनकी कला में उन्हें सपोर्ट करते आए हैं. साथ ही, उनका परिवार उनके लिए समीक्षक का काम भी करता है.अजय ने साझा किया कि सूक्ष्म-मूर्तिकला परियोजना शुरू करने से पहले, वह डिजाइन, जरूरी मेटेरियल, आकार की योजना बनाकर और अंतिम रिजल्ट की कल्पना करके तैयारी के लिए लगभग एक महीना समर्पित करते हैं. उन्होंने प्रसिद्ध ब्रिटिश सूक्ष्म-मूर्तिकार विलार्ड विगन से प्रेरणा ली, विशेष रूप से सुई की आंख के भीतर बनाई गई उनकी कृतियों से.