कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी में सुधार के लिए हरियाणा सरकार राज्य भर के सरकारी कार्यालयों में "योग ब्रेक" लागू करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. उच्च शिक्षा निदेशक ने आज शुरुआत करते हुए विश्वविद्यालयों, सरकारी कॉलेजों, सरकारी सहायता प्राप्त और सेल्फ-फाइनेंस कॉलेजों को एक आदेश दिया, जिसमें उनसे वर्कप्लेस इकोसिस्टम और प्रोडक्टिवी में सुधार के लिए योग ब्रेक को "सख्ती से लागू" करने के लिए कहा गया है.
क्या है मकसद?
राज्य के आयुष मंत्री अनिल विज ने कहा कि नए प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन से कर्मचारियों की दक्षता में सुधार करने में काफी मदद मिलेगी. वहीं बच्चों के साथ टीचर्स और अन्य कर्मचारियों को भी योगा ब्रेक के दौरान कुछ विशेष क्रियाएं कराई जाएंगी. इनमें ऐसे ही योगासन को शामिल किया जाएगा जिन्हें करने में 5 से 10 मिनट का समय लगता है. इनमें कुछ क्रियाएं कुर्सी पर बैठे-बैठे हो सकेंगी और कुछ को खड़े होकर किया जाएगा. इसके पीछे का मकसद कर्मचारियों पर काम के प्रेशर को कम करना और उन्हें स्ट्रेस फ्री माहौल देना है.
खोले जाएंगे योग क्लब
केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, नई दिल्ली के सहयोग से उपयोगी योग प्रथाओं से युक्त ब्रेक प्रोटोकॉल विकसित किया है. हरियाणा में उच्च शिक्षा विभाग से पहले, राज्य महानिदेशक, आयुष ने विभिन्न सरकारी विभागों से स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिए योग ब्रेक को लागू करने के लिए कहा था. हालांकि उनके इन आदेशों का कोई खास असर अभी तक देखने को नहीं मिला है. इसके अलावा विद्यार्थियों को फिट रखने के लिए सभी राजकीय, निजी स्कूल-कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में योग क्लब खोलने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं. इससे उनका बैद्धिक और मानसिर विकास होगा.