अगर बच्चा स्कूल नहीं जा सकता है तो बच्चे को स्कूल लाना होगा, स्वामी विवेकानंद की यह कहावत इस अनोखे स्कूल पर बिल्कुल फिट बैठती है. यूपी के सीतापुर जिले से एक चलते-फिरते स्कूल की एक तस्वीर सामने आई है. जिसने इस कहावत को एक नया रंग दे दिया है. यहां मिनी बस में बच्चों को मुफ्त कंप्यूटर शिक्षा दी जा रही है. यह पहल उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में ग्रामोत्थान संसाधन केंद्र ने साल 2017 में मिनी बस में कंप्यूटर क्लास की शुरूआत की थी. ये पहल उन बच्चों के लिए है जो बच्चे शहर जाकर कंप्यूटर की क्लास नहीं ले सकते.
हर सीट पर लैपटॉप
कंप्यूटर से लैस यह डिजिटल बस तीन गांवों के लगभग 36 बच्चों को एक दिन में कंप्यूटर शिक्षा दी जाती हैं. गांव पहुंचने वाली इस मिनी बस की हर सीट पर लैपटॉप लगे हैं. हर सीट पर दो बच्चों को एक साथ कंप्यूटर की बारीकियां सिखाई जाती हैं. गांव के बच्चों को बाहर बुलाने के लिए बस का ड्राइवर घर के बाहर हॉर्न बजाता है. हॉर्न की आवाज सुनकर तुरंत 15 से 18 बच्चे आ जाते हैं. एक सीट पर दो छात्र बैठते हैं. वहीं, कोर्स पूरा होने पर कंप्यूटर एप्लीकेशन का बेसिक सर्टिफिकेट भी दिया जाता है.
सरकार की इस पहल के साथ ही जिले के ग्रामीण इलाकों के बच्चों को कंप्यूटर की पढ़ाई करने के लिए दूर नहीं जाना पड़ता है. इसके साथ ही ये शिक्षा बिल्कुल मुफ्त दी जाती है.
50 गांवों के 1300 बच्चों को दी जा चुकी है कंप्यूटर की ट्रेनिंग
कंप्यूटर के टीचर मनीष श्रीवास्तव के मुताबिक यह बस हर दिन तीन गावों में जाती है. हर तीन गांव में ये बस तीन महीने का कोर्स कराती है.इसके बाद अगले अगले तीन गांवों को चुना जाता है. इस बस में आठवीं से दसवीं तक के बच्चे कंप्यूटर की पढ़ाई करने के लिए आते हैं. बता दें कि कोरना की वजह से ये बस 2 सालों तक बंद थी, लेकिन अब ये बस फिर से फिर से शुरू हो गई है.