स्कूल के दिनों में कई बच्चों को मैथ्स और साइंस का खौफ रहता है. चूंकि मैथ्स में कई सारे प्राब्लम सॉल्विंग टाइप सवाल होते हैं इसलिए कई बच्चों को इससे डर लगता है. लेकिन अगर इसे आसान भाषा में या खेल-खेल में समझाया जाए तो ये और भी आसान हो जाती है. उत्तर प्रदेश के बी.टेक इंजीनियर ने अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग के बच्चों को विज्ञान और गणित से प्यार कराने का बीड़ा उठाया है. उन्होंने बताया कि बच्चे दो विषयों से सबसे ज्यादा डरते हैं विशेषकर गणित से. केशव सिंह गौतम उनके डर को दूर करना चाहते थे.
पेशे से इंजीनियर हैं केशव
म्यांमार सीमा पर स्थित, चांगलांग भारत के 10 कम प्रदर्शन वाले जिलों में से एक है. हरकोर्ट बटलर तकनीकी विश्वविद्यालय, कानपुर के पढ़े गौतम राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के एक वैज्ञानिक तकनीकी सहायक हैं, जो वर्तमान में अतिरिक्त जिला सूचना विज्ञान अधिकारी (ADIO)के रूप में कार्यरत हैं. वह 2018 में सेवा में शामिल हुए थे और उनकी पहली पोस्टिंग चांगलांग में हुई थी.
यह इंजीनियर अपने आधिकारिक कर्तव्यों और एक शिक्षक के रूप में अपनी भूमिका के बीच एक अच्छा संतुलन बनाए रखता है. इस साल 6 जनवरी को, उन्होंने कक्षा 10 के छात्रों को सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, चांगलांग और माध्यमिक विद्यालय, लकतोंग में दो विषयों को पढ़ाना शुरू किया. ऑफ-ड्यूटी होने पर वह कक्षाएं लेते हैं. अस्थायी रूप से शिक्षक की भूमिका निभाने के बारे में बात करते हुए, गौतम ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह छात्रों को पाठ्यक्रम के डर को दूर करने में मदद करना चाहते हैं.
कौन-कौन है टीम में
गौतम कहते हैं, “मैंने देखा कि पिछली बोर्ड परीक्षा (2022 में) में कक्षा 10 के छात्रों का प्रदर्शन परेशान करने वाला था. मुझे लगा कि मेरी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड है और मैं सकारात्मक योगदान दे सकता हूं इसलिए, मैंने जिला मजिस्ट्रेट सनी के सिंह से संपर्क किया. उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.”उनकी टीम में चार अन्य लोग हैं. इनमें से दो सरकारी कर्मचारी और दो स्थानीय लोग हैं. हर्ष सैकिया (अर्थशास्त्र) और किरुबा सुथान (जीव विज्ञान और भूगोल) पढ़ाते हैं जबकि लैंगमुंग नगेमू (इतिहास) और सुप्रिया पासी (राजनीतिक विज्ञान) पढ़ाते हैं. इन लोगों ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. गौतम कहते हैं,“डीएम सर छात्रों को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए भी प्रोत्साहित किया. ”
एक्सट्रा क्लासेज में नहीं भेजते बच्चे
माता-पिता शुरू में ज्यादा परेशान नहीं थे कि क्या उनके बच्चे इस एक्सट्रा क्लास में जाते हैं, लेकिन जल्द ही उन्हें इसके महत्व का एहसास होने लगा जब डीएम ने माता-पिता की बैठक बुलाई. एनआईसी अधिकारी कहते हैं,“स्कूल गर्मी की छुट्टी के कारण बंद हैं, लेकिन मैंने यह सुनिश्चित करने के लिए एक कक्षा लेना जारी रखा है कि छात्रों के बीच लर्निंग गैप ना हो. अब मैं सुबह करीब 40 छात्रों को पढ़ाता हूं. वे अलग-अलग स्कूलों से हैं. मुझे उनसे अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है.”उनका कहना है कि बहुत से परिवार अपने बच्चों को निजी ट्यूशन सेंटरों में भेजने का जोखिम नहीं उठा सकते क्योंकि उनकी फीस अधिक है. स्कूलों में नियमित शिक्षक परीक्षा से पहले व्यस्त हो जाते हैं और पाठ्यक्रम को जल्दबाजी में पूरा कर लिया जाता है. उन्होंने कहा कि एक्सट्रा क्लासेज से उन्हें काफी मदद मिल रही है.
विज्ञान और गणित में छात्रों की रुचि और ज्ञान के बारे में बात करते हुए, गौतम कहते हैं कि उन्हें इन दोनों विषयों, विशेषकर गणित के लिए शायद ही कोई क्रेज है. वे कहते हैं, ''इन दोनों स्कूलों में आपको 200 में से पांच-छह छात्र भी 10वीं के बाद साइंस स्ट्रीम लेने वाले नहीं मिलेंगे.'' विज्ञान और गणित निश्चित रूप से ऐसे दो विषय हैं जिन्हें पास करना सबसे कठिन होता है. इस साल 10वीं कक्षा के बोर्ड में, चांगलांग शहर के स्कूलों में कुल मिलाकर 224 छात्र थे और 216 ने परीक्षा दी थी. कुल 74 उत्तीर्ण, 62 अनुत्तीर्ण जबकि 80 अन्य जुलाई में सप्लिमेंट्री परीक्षा में फिर से बैठेंगे. इनमें से अधिकतर छात्र एक या दो विषयों, अधिकतर विज्ञान या गणित या दोनों को उत्तीर्ण करने में विफल रहे.
वर्कशॉप भी रखते हैं
गौतम का कहना है कि छात्रों को मूलभूत समस्याएं हैं. एक उदाहरण देते हुए, वह कहते हैं कि कई ऐसे हैं जो संख्याओं को जोड़ने या घटाने के लिए भी संघर्ष करते हैं, स्थिति यह है कि 10वीं कक्षा के कई छात्रों को 10 तक की गुणा तालिका भी नहीं आती है. एनआईसी में गौतम की टीम प्रशासन के सहयोग से कंप्यूटर सीखने और साइंस एक्जीबीशन पर वर्कशॉप का आयोजन भी करती है. इसने डिजिटल इंडिया अवार्ड्स, 2020 में डिजिटल गवर्नेंस में उत्कृष्टता के लिए स्वर्ण पुरस्कार जीता. जुलाई में, वह और उसके साथ के चार अन्य लोग पुलिस की नौकरी की तैयारी कर रहे कुछ युवाओं की क्लास लेंगे.
डीएम का कहना है कि चांगलांग में बुनियादी साक्षरता का स्तर बहुत खराब है. उनका कहना है कि कक्षा 5 के 50% से अधिक छात्र बुनियादी गणित का प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं. कक्षा 10 बोर्ड में औसत उत्तीर्ण प्रतिशत 36 है. एक चिंताजनक बात यह है कि कुछ छात्र असफल होने के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं और ड्रग्स की चपेट में आ जाते हैं.
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