दिल्ली पुलिस ने भारत के सबसे बड़ें ऑटोमोबाइल चोरों में से एक का भंडा-फोड़ दिया है. तीन महीने की छानबीन के बाद पुलिस ने अनिल चौहान नाम के चोर को मध्य दिल्ली से गिरफ्तार किया. चौहान पर 5 हजार से अधिक कारों की चोरी का आरोप है. उसे अपनी लग्जरी लाइफ के लिए जाना जाता है जिसमें महंगे कपड़े, गोल्ड ब्रेसलेट और 10 करोड़ रुपये के विला सहित तमाम कीमती चीजें शामिल हैं.अनिल पर हत्या, आमर्स एक्ट और तस्करी के मामले दर्ज हैं.
पुलिस ने इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से बताया कि यह चोर इपने काम में इतना स्मार्ट था कि चोरी करने के लिए उत्तर पूर्वी राज्य से राजधानी दिल्ली आने के लिए फ्लाइट लेता था और फिर चोरी करके वापस चला जाता था. बता दें कि अनिल चौहान की उम्र 52 साल है और ये अपने 25-30 सहयोगियों की मदद से गंगटोक, असम के कुछ हिस्सों, नेपाल और अन्य स्थानों पर चोरी की कारों को बड़े आराम से बेच रहा था. हालांकि उसे पहले भी गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन पुलिस ने कहा कि उसकी तलाश करना कोई आसान काम नहीं था.
महंगी कारों में घूमता था शख्स
एक अधिकारी ने बताया कि इंस्पेक्टर संदीप गोदारा के नेतृत्व में एक टीम ने मध्य दिल्ली में हाई-एंड एसयूवी और सेडान की चोरी की जांच की. इस दौरान उन्हें अनिल पर शक हुआ. उसकी तलाश के लिए टीमों को असम, सिक्किम, नेपाल और एनसीआर भेजा गया था. गिरफ्तारी से बचने के लिए वह महंगी कारों में घूमता था और एक खुद को एक व्यापारी या सरकारी अधिकारी के रूप में दिखाता था. वह असम सरकार के साथ काम करने वाला एक ठेकेदार था और वहां उसके कई सोर्स थे.”
संपत्ति हुई जब्त
23 अगस्त को पुलिस को सूचना मिली कि चौहान दिल्ली में है और अपने साथियों के साथ चोरी करने की योजना बना रहा है.अधिकारी तुरंत एलर्ट हो गए. अधिकारी ने कहा,“हमने उसे डीबीजी रोड से एक बाइक और एक पिस्तौल के साथ गिरफ्तार किया. बाद में, उसके कब्जे से पांच और पिस्तौल बरामद की गईं. ”पिछले दो दशकों में अनिल चौहान ने न केवल कारों को चुराने का काम किया है, बल्कि उसने सींगों के लिए गैंडे जैसे दुर्लभ जानवरों का भी शिकार किया. पुलिस ने बताया कि वह कथित तौर पर अपनी कार से अवैध हथियारों की तस्करी भी करता था. वह 181 से अधिक मामलों में शामिल था और अदालत ने उसे भगोड़ा अपराधी घोषित किया था. ईडी ने उसका 10 करोड़ का विला और अन्य संपत्ति को जब्त कर लिया है.
अधिकारी ने कहा,"वह कभी नहीं रुकता. उसे कई बार गिरफ्तार किया जा चुका है लेकिन वह फिर से कार चोरी करने लगता है. उसके तीन मुख्य रिसीवर हैं - असम, नेपाल और गंगटोक. वह दिल्ली, नोएडा और मेरठ से कारें चुराता है और उन्हें अपने रिसीवर के पास ले जाता है. पुलिस से बचने के लिए एक या दो महीने में सभी कारें बिक जाती हैं. वह अपने ठिकाने पर वापस भी इसलिए जाता है ताकि वो ये दिखा सके कि वह किसी अपराध में शामिल नहीं है.”
पत्नियों को नहीं पता थी सच्चाई
बता दें कि अनिल चौहान की तीन पत्नियां और सात बच्चे हैं. ईडी की छापेमारी और गिरफ्तारी के बाद इन सभी ने उसे छोड़ दिया. उसकी पत्नियों ने दावा किया कि उन्हें चौहान की इन आपराधिक गतिविधियों के बारे में पता नहीं था और उन्हें लगा कि वह एक कार डीलर है. श्वेता चौहान, डीसीपी (सेंट्रल) ने कहा, “अनिल को आखिरी बार जनवरी में असम के दिसपुर में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि बाद में वो जमानत पर छूट गया था. इस बार हम उसकी रैप शीट कोर्ट में पेश कर रहे हैं, ताकि वह जल्दी बाहर न आ पाए. रिकॉर्ड के अनुसार, उसने 1990 के दशक की शुरुआत में चोरी करना शुरू किया था. उसे अब तक कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के साथ गिरफ्तार किया जा चुका है.