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Dog rescued 8yr Boy: जानवर बना फरिश्ता! मलबे में फंस गया था 8 साल का बच्चा, कुत्ते ने हीरो बन बचाई जान

जिला कलेक्टर आयुष प्रसाद ने शांतिलाल का भविष्य सुरक्षित करने के लिए त्वरित कार्रवाई की है. शांतिलाल के दादा-दादी, पुणे और सोलापुर में गन्ना काटने का काम करते हैं, उन्हें बाल कल्याण समिति ने शांतिलाल के कानूनी अभिभावक बनाया है.

Dogs (Photo/Unsplash) Dogs (Photo/Unsplash)
हाइलाइट्स
  • परिवार का वफादार कुत्ता बना फरिश्ता

  • कुत्ते ने हीरो बन बचाई जान

इंसानों के जीवन में जानवर कई बार फरिश्ते बनकर आते हैं. ठीक ऐसा ही महाराष्ट्र के जलगांव जिले के एक दूरदराज गांव में हुआ है. यहां एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जिसमें एक बन रही बिल्डिंग का ढांचा ढह गया. इसमें एक दंपति और उनके दो बच्चों की जान चली गई. हालांकि, इस त्रासदी में परिवार का गोद लिया कुत्ता फरिश्ता बनकर सामने आया है. परिवार के इस कुत्ते ने तीसरे बच्चे को बचाने में अपनी भूमिका निभाई.  

कैसे हुई दुर्घटना? 

दरअसल, ये घटना सतपुड़ा क्षेत्र स्थित थोरपानी गांव की है. रात के 8 बजे जब जबरदस्त तूफान आया तो स्टील शीट से बने घर में रहने वाले परिवार ने पास की बन रही बिल्डिंग में शरण ली. उन्हें डर था कि उनका घर तूफान का सामना नहीं कर पाएगा. लेकिन दुर्भाग्य से, ये निर्णय उनके  लिए काफी घातक साबित हुआ. बन रही बिल्डिंग तेज हवा की वजह से ढह गई. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस दुर्घटना में 28 साल के नानासिंह गुला पावरा, उनकी पत्नी सोनूबाई और उनके दो बच्चे, रतिलाल और बाली की मौत हो गई. 

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परिवार का वफादार कुत्ता बना फरिश्ता 

हालांकि, परिवार का वफादार कुत्ता इमामी फरिश्ता बन सामने आया.इमामी के लगातार चिल्लाने और खुदाई करने से ग्रामीणों को दंपति के आठ साल के बच्चे शांतिलाल के मलबे में फंसे होने का पता चला. इमामी एक छोटा सा गड्ढा खोदने में कामयाब रहा, जिससे शांतिलाल को सांस लेने में मदद मिली और आखिर में उसे बचाया गया. 

सामुदायिक और आधिकारिक प्रतिक्रिया

इस दुखद घटना पर स्थानीय अधिकारियों और समुदाय की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया की गई. जिला कलेक्टर आयुष प्रसाद ने शांतिलाल का भविष्य सुरक्षित करने के लिए त्वरित कार्रवाई की. शांतिलाल के दादा-दादी, पुणे और सोलापुर में गन्ना काटने का काम करते हैं, उन्हें बाल कल्याण समिति ने शांतिलाल के कानूनी अभिभावक बनाया है. जिला कलेक्टर आयुष प्रसाद ने कागजी कार्रवाई के कुशल संचालन पर जोर दिया. इसकी मदद से परिवार को अदालत जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और बच्चे की अच्छे से परवरिश हो सकेगी. 

यह घटना न केवल प्राकृतिक आपदाओं के विनाशकारी प्रभावों के बारे में बताती है बल्कि मनुष्यों और जानवरों के बीच के बंधन को भी दिखाती है.