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पति की मौत के बाद अंजू ने संभाली 4 बच्चों की जिम्मेदारी...'कचौड़ी वाली अम्मा' के नाम से हुई मशहूर

अंजू के पास अपने 4 बच्चों को पालने के अलावा और कोई चारा नहीं था. अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए अंजू ने कचौड़ी बेचने का काम शुरू किया.

Amma kachori Amma kachori

5 साल पहले पति की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. खाने-पीने की मुश्किल होने लगी. अंजू के पास अपने 4 बच्चों को पालने के अलावा और कोई चारा नहीं था. अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए अंजू ने कचौड़ी बेचने का काम शुरू किया. उनके पति भी कचौड़ी बेचते थे, लेकिन उनकी मौत के बाद एक महीने तक काम बंद रहा. अंजू की कचौड़ी इतनी स्वादिष्ट और लाजवाब होती है कि किसी के भी मुंह में पानी आ जाए. अंजू को लोग कचौड़ी वाली अम्मा कहकर बुलाने लगे.

रात में लगाती हैं दुकान
दिन में बाजार भरा रहता था और अंजू के पास इतने पैसे नहीं कि कोई दुकान ही खोल सके. फिर दिमाग में ख्याल आया, क्यों न रात में दुकान खोली जाए. अब जब बाजार में दुकानें बंद हो जाती हैं, तब अंजू का कचौड़ी कारोबार शुरू होता है. अंजू शाहजहांपुर की सुनहरी मस्जिद के पास अपनी दुकान रात 10 बजे से लेकर सुबह 3 बजे तक लगाती हैं. दुकान लगाई तो पहले तो लोगों ने सोचा, क्या ही कारोबार होगा. जो पैसे लगे हैं, वो भी निकालने मुश्किल होंगे. लेकिन, बाद में कारोबार चल पड़ा. अंजू की कचौड़ियों  का स्वाद लेने लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. अंजू आलू की स्टफिंग, सोयाबीन के साथ लहसुन की चटनी के साथ गर्म 'कचौरियां' परोसती हैं. यह 30 रुपये प्रति प्लेट मिलती है. 

कितनी हो जाती है कमाई
लोग, खासकर सर्दियों और मानसून के दौरान, कचौरी का स्वाद लेने के लिए लंबी लाइन लगाते हैं और उन्हें घर के लिए पैक भी करवाते हैं. अंजू हर दिन लगभग 2,000 रुपये कमा लेती हैं. अंजू की तीन बेटियां और एक बेटा है. कचौड़ी के कारोबार से होने वाली कमाई के से अंजू ने एक बेटी की शादी कर दी है. उनका सबसे छोटा बच्चा 20 साल का है और वह एक कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है. अंजू सुबह 3 बजे के बाद अपनी दुकान बंद करती हैं और सुबह पांच बजे सोती हैं. दोपहर में उठकर वो सब्जियां लाना और घर के अन्य काम पूरे करती हैं. इसके बाद दुकान लगाने से पहले आटा और भरावन तैयार करने का काम करती हैं.

दी जाएगी सुरक्षा
शहर में एक सामाजिक संगठन चलाने वाले अभिनव गुप्ता कहते हैं, "मैं कचौरी वाली अम्मा का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं. वह खाना साफ-सफाई से बनाती हैं और मैं अक्सर अपने दोस्तों के साथ ताजी कचौरी का आनंद लेने के लिए उनकी दुकान पर जाता हूं." वह उन्हें 2019 में मातृ शक्ति के रूप में सम्मानित भी कर चुके हैं. पुलिस अधीक्षक एस आनंद ने बताया कि उन्होंने दुकान को सुरक्षा मुहैया कराने के विशेष निर्देश दिये हैं. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ''एक महिला का रात में दुकान लगाना बहुत बड़ी बात है. पुलिस अधिकारियों को उनकी दुकान के साथ-साथ उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है." बीजेपी के जिला महासचिव अनिल गुप्ता, जो दुकान के नियमित ग्राहक भी हैं, कहते हैं कि जब भी वह इलाके से गुजरते हैं, तो कचौड़ी का आनंद लेने के लिए अम्मा की कचौड़ी की दुकान खुलने का इंतजार करते हैं.

स्कूल के प्रिंसिपल अनुराग अग्रवाल कहते हैं कि अगर उन्हें बाहर खाना खाने का मन होता है तो वे कचौड़ी वाली अम्मा के पास ही जाते हैं. उन्होंने आगे कहा, "अंजू के हाथों की बनी कचौड़ियां बेहतर स्वाद वाली होती हैं और उनकी कीमत भी उचित होती है. यहां तक ​​कि गरीब भी उनकी दुकान पर भरपेट भोजन कर सकते हैं."
 

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