
हमारे समाज में एक बहुत ही आम धारणा है कि शहर गांवों से ज्यादा प्रगतिशील हैं और इसलिए गांवों से लोग शहरों में पलायन करते हैं. लेकिन इस बात को कोई नहीं झुठला सकता है कि आज भी बहुत सी ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में गांव शहरों के लिए मिसाल पेश करते हैं. आज ऐसे ही एक गांव की कहानी हम आपको बता रहे हैं जो पूरे देश के लिए मिसाल पेश कर रहा है.
यह कहानी है असम में मोरीगांव जिले के जोरगांव की, जो आज 70 हजार पक्षियों का बसेरा है. आपको बता दें कि मोरीगांव जिला बांस के उत्पादन के लिए मशहूर है. लेकिन यहां के जोरगांव में पिछले 20 सालों में एक भी बांस नहीं काटा गया है और वजह आपका दिल छू लेगी. जोरगांव के लोगों ने 25 हेक्टेयर जमीन में बांसों के जंगल को बनाए रखा है ताकि यहां रहने वाले पक्षियों का बसेरा न उजड़ जाए.
गांववालों ने लिया फैसला
बताया जाता है कि लगभग 20 साल पहले जब गांव वालों ने देखा कि बांस के जंगलों में बगुले और दूसरे पक्षी अपना घोंसला बना रहे हैं तो उन्होंने फैसला किया कि इन जंगलों का न छेड़ा जाए. गांववालों ने जब देखा कि जंगलों में पक्षियों की संख्या बढ़ रही है तो उन्होंने बांस काटना बंद कर दिया. साथ ही, मासूम परिंदों के शिकार पर भी रोक लगा दी गई. आज यह गांव मिलकर इन परिंदों की रक्षा कर रहा है.
दूसरे लोगों को भी मिली प्रेरणा
जोरगांव के लोगों का इन पक्षियों के प्रति समर्पण देखकर आसपास के गांवों के लोगों को भी प्रेरणा मिली है. लोगों का कहना है कि आसपास के गांवों के लोग भी अपनी तरफ से कोशिश करते हैं कि इन पक्षियों को किसी तरह की परेशानी न हो. लोग जब इस इलाके से गुजरते हैं तो हॉर्न तक नहीं बजाते हैं. उनका एक ही मिशन है कि परिंदों का यह बसेरा बना रहे. पिछले कुछ सालों में अलग-अलग प्रजाति के पक्षी यहां नजर आने लगे हैं.