चाय पीना हम में से ज्यादातर लोगों को पसंद होता है. चाय को रोजगार का जरिया भी कुछ लोग बनाते हैं. लेकिन आज हम आपको मिलवाते हैं चाय को activism बनाने वाली अवनि से. गोरखपुर की अवनि त्रिपाठी गोरखपुर विश्वविद्यालय के बाहर चाय का ठेला यानि टी स्टॉल लगाती हैं. खुद चाय बनाती और लोगों को देती हैं. ये महज़ उनका start up ही नहीं ये बताने का तरीका भी है कि लड़कियां सब कुछ कर सकती हैं.
देंगी प्राइवेट परीक्षा
सुबह सैर पर निकले हों या सुबह यूनिवर्सिटी में क्लास हो या दोपहर को क्लास के बाद दोस्तों के साथ गपशप,गोरखपुर यूनिवर्सिटी के बाहर चाय की ये दुकान कई छात्रों और लोगों का ठिकाना है. इस स्टॉल का नाम tea verse है. अवनि खुद ग्रैजूएशन तृतीय वर्ष की छात्रा हैं. प्राइवेट में परीक्षा देने के लिए पढ़ाई कर रही हैं. इसीलिए क्लास में जाने की कोई बाध्यता नहीं है. उसी बीच अवनि ने अपना स्टार्ट अप शुरू किया है और अपने हिम्मत का वो नमूना पेश कर दिया है जो कम ही युवा कर पाते हैं. उन्होंने चाय की दुकान यानि tea stall खोल लिया है. यहां आने वाले लोग ही नहीं विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले अवनि की उम्र के युवा भी उनके यहां चाय पीने आते हैं. अवनि के लिए ये आत्मनिर्भरता है तो एक मकसद भी.
लोगों देना चाहती है संदेश
अवनि चाय की अपनी दुकान से एक साथ कई संदेश देना चाहती हैं. वो कहती हैं कि जिस तरह युवा नौकरी के पीछे भाग रहे हैं ऐसे में अपना स्टार्ट अप शुरू कर वो न सिर्फ़ इस ट्रेंड को बढ़ाना चाहती हैं बल्कि अपने माता पिता को सपोर्ट भी करना चाहती हैं. अवनि का कहना है कि वो इस बात को भी साबित करना चाहती हैं कि लड़कियां सब काम कर सकती हैं. आम तौर पर चाय की दुकान के बारे में लड़कियों से ये उम्मीद नहीं की जाती कि वो वहां चाय बनाएं क्योंकि वहां हर तरह के लोग आते हैं.
एडिबल कप में देती हैं चाय
अवनि ने अपने tea स्टॉल में एक और प्रयोग किया है. वो edible cup में चाय देती हैं. अवनि का कहना है कि इस कप को चाय पीने के बाद बिस्किट के रूप में खा सकते हैं. पर्यावरण के लिए ये हमारी ओर से किया गया एक प्रयास है. अवनि का कहना है कि रूढ़िवादी सोच को गलत साबित करने के लिए वो अपने साथ और लड़कियों को भी जोड़ना चाहती हैं. अभी उन्होंने अपने साथ सुमन को शामिल किया है.
मैम कहकर चाय मांगते हैं लोग
शुरू में चाय वाले की जगह एक लड़की को सड़क पर चाय की दुकान और चाय बनाते देख लोगों को अजीब लगा पर अब लोग इसे सहज होकर देख रहे. कुछ लोग अवनि के हौंसले की तारीफ करते हैं तो कुछ लोगों को edible cup में चाय देने की पहल अच्छी लग रही है. अवनि कहती हैं कि दूसरी चाय की दुकानों पर लोगों को छोटू कहकर चाय मांगने की आदत होती है पर यहां मैम कहकर छात्र चाय मांगते हैं. आम तौर पर किसी भी उद्देश्य के लिए बड़े बड़े अभियान चलाए जाते हैं पर अवनि की पर्यावरण के प्रति पहल हो या चाय बनाने का हौसला धीर धीरे बदलाव की ओर संकेत कर रहा है.