एक समय था जब केले की फसल के लेने के बाद केले के बेकार पेड़ किसानों के लिए सिरदर्द बन जाते थे. क्योंकि केले के पेड़ कुछ समय के अंतराल पर नए लगाए जाते हैं. इसके लिए नई फसल लगाने से पहले पुरानी फसल को खेत से हटाया जाता है. और पुराने केले के पेड़ों का प्रबंधन करना किसानों के लिए मुश्किल हो जाता है. लेकिन अब इसके बहुत अच्छे समाधान पर काम किया जा रहा है.
दरअसल, केले के तने से मिलने वाले फाइबर से अब तरह-तरह के प्रोडक्ट्स बनाए जा रहे हैं. इस तरह से केले के फल से लेकर पत्तियां और तना, सबकुछ उपयोगी साबित हो रहा है. तिरुपरनकुंद्रम के मदुरै इंटरनेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (MICA) में भी केले के फाइबर से कई तरह के उत्पादों को बनाकर ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है. जिसे कई लोग कचरा समझते हैं, उसी से से महिलाएं 20 से ज्यादा तरह के बर्तनों और टोकरियों और लैंप शेड्स सहित अन्य उत्पाद बना रही हैं.
MICA की शुरुआत मदुरै के तिरुपरंकुंद्रम के आर चार्ल्स ने 2017 में सिर्फ 12 सदस्यों के साथ एक छोटी सी पहल के रूप में की थी. छह सालों के दौरान, संगठन में भारी बढ़ोतरी हुई, और वर्तमान में, MICA में लगभग 80 महिलाएं कार्यरत हैं, जिन्हें उत्पादों की बुनाई में प्रशिक्षित किया गया है. इन उत्पादों को बाद में अमेरिका सहित कई देशों में निर्यात किया जाता है.
कैसे मिला यह आइडिया
चार्ल्स का कहना है कि उन्होंने अपने गांव में, अक्सर लोगों को केले के रेशे का उपयोग हरे चारे को बांधने के लिए रस्सी के रूप में और माला के लिए तार के रूप में करते देखा है. तभी फाइबर की फ्लेक्सिबल और सस्टेनेबल प्रकृति उनके दिमाग में आई और उन्होंने हैंडीक्राफ्ट बनाने के लिए इसका उपयोग करने का फैसला किया. उनकी बहन सेल्वी की मदद से, केले के रेशे से बनी उनकी पहली टोकरी हकीकत में बदल गई और इसकी सफलता बाद में महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से उन्होंने MICA की स्थापना की.
फ़ाइबर ख़रीदने की पूरी प्रक्रिया फ़सल के ठीक बाद शुरू होती है. एक बार जब केले के पेड़ कट जाते हैं, तो हम तने से रेशे अलग कर लेते हैं, उसे धूप में सुखाते हैं, टोकरियां बुनते हैं और उन्हें बेचते है. कीमत का अभी पैमाना 135 रुपए प्रति टोकरी है, जबकि अन्य उत्पादों के लिए दरें अलग-अलग हैं. केले के रेशे से बने कैनवास पर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का चित्र भी बनाया था और इसे हाल ही में सांसद कनिमोझी करुणानिधि को उपहार में दिया था.
महिलाओं को सशक्त करने का मंच
चार्ल्स के लिए, MICA सिर्फ एक कमर्शियल उद्यम नहीं है, बल्कि महिलाओं के लिए खुद को सशक्त बनाने का एक स्थान है. MICA में काम करने वाली ज्यादातर महिलाएं सिंगल मदर्स हैं. ट्रेनिक के बाद, महिलाओं को यहां काम दिया जाता है और उपलब्ध ऑर्डर के आधार पर अच्छा वेतन देते हैं. गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ, केले के रेशों की उपलब्धता बढ़ गई है.
चार्ल्स का अगला कदम अपने मिशन का विस्तार करने के लिए राज्य सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करना है. उनका कहना है कि अगर सरकार योजनाओं या अन्य परियोजनाओं के माध्यम से वित्तीय सहायता दे सकती है, तो वे ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं के लिए आय का एक स्थायी स्रोत दे सकते हैं.