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Bare Minimum Mondays: मन डे को कम से कम काम! वीकेंड के बाद वर्क लोड की No टेंशन, जानिए क्या है बेयर मिनिमम मंडे

बेयर मिनिमम मंडे ट्रेंड का उद्देश्य वीकेंड के बाद हफ्ते की शुरुआत रिलेक्स होकर करना है. कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाने और वर्कर्स की प्रोडक्टिविटी को बेहतर करने के लिए इस ट्रेंड को अपनाया जा रहा है. 

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हाइलाइट्स
  • हफ्ते की शुरुआत रिलेक्स होकर करना

  • फैमिली लाइफ होती है बेहतर

हम सभी को शुक्रवार बहुत पसंद होता है... 5 डे वर्क करने वाले लोगों के लिए वीकेंड की शुरुआत फ्राइडे नाइट से ही हो जाती है. पूरे दिन हम बस इस इंतजार में रहते हैं कि कब शाम हो और ऑफिस से बाहर निकलें. शनिवार का दिन तो हम सब खूब इन्जॉय करते हैं लेकिन जैसे ही सनडे की शाम आती है, काम की टेंशन-ऑफिस की पॉलिटिक्स को याद करके हम अपना सन डे और स्केरी बना देते हैं. इसी स्ट्रेस को कम करने के लिए इन दिनों कई ऑफिसेस में ‘बेयर मिनिमम मंडे’ ट्रेंड अपनाया जा रहा है.

‘बेयर मिनिमम मंडे’ असल में है क्या?

बेयर मिनिमम मंडे कर्मचारियों को सोमवार के दिन काम का बोझ कम करने और लाइट मोड पर सप्ताह शुरू करने की अनुमति देकर उनके तनाव को कम करने पर जोर देता है. आसान भाषा में कहें तो ‘बेयर मिनिमम मंडे’ का मतलब है मंडे को कम से कम काम करना. कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाने और वर्कर्स की प्रोडक्टिविटी को बेहतर करने के लिए इस ट्रेंड को अपनाया जा रहा है. सोमवार को होने वाले वर्क स्ट्रेस को कम करने के लिए इसे शुरू किया गया है.

बेयर मिनियम मंडे की वजह से कर्मचारियों को सप्ताह के पहले दिन जरूरत से ज्यादा वर्कलोड महसूस नहीं होता. इस वर्क कल्चर की वजह से कर्मचारियों को सप्ताह के बाकी दिनों के लिए प्लानिंग का मौका मिलेगा. साथ ही स्ट्रेस कम होने की वजह से मन डे को भी परफॉर्मेंस बेहतर होगी. 

क्यों शुरू किया गया बेयर मिनिमम मंडे ट्रेंड

बेयर मिनिमम मंडे ट्रेंड का उद्देश्य वीकेंड के बाद हफ्ते की शुरुआत रिलेक्स होकर करना है. ‘बेयर मिनियम मंडे’ ऑफिस में कर्मचारियों को काम और लाइफ के बीच बैलेंस बनाने में मदद करता है. इसका मकसद हफ्ते की शुरुआत यानी मन डे को बेहतर करना है और काम की वजह से होने वाले स्ट्रेस को कम करना है. इस ट्रेंड को फॉलो करने वाले हजारों कर्मचारियों ने अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए बताया है कि बेयर मिनिमम मंडे ट्रेंड की वजह से उनके स्ट्रेस लेवल में कमी आई है. इसके बाद से इस ट्रेंड की खूब चर्चा हो रही है. इससे पूरे हफ्ते काम के लिए एनर्जी बनी रहती है साथ ही मन डे को वर्क लोड देखकर तनाव की स्थिति नहीं बनती है.

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इस ट्रेंड को अडॉप्ट करना क्यों जरूरी
सनडे स्केरी नहीं रहेगा: इस ट्रेंड की वजह से कर्मचारियों को मन डे को होने वाले वर्क लोड की टेंशन नहीं रहेगी. ये उनके दिमाग को वर्क लोड के स्ट्रेस से निपटने के लिए और वक्त देगा.

प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी: जब कर्मचारी सोमवार को वर्क लोड कम लेंगे तो सप्ताह के बाकी दिन प्रोडक्टिविटी के चांस बढ़ते हैं. कर्मचारी हर सोमवार को ऑफिस का वही काम करते हैं जो बहुत ज्यादा जरूरी हो और वीक के बाकी दिनों को अपने टाइम के हिसाब से मैनेज करते हैं. जब हम वीकेंड के बाद हफ्ते की शुरुआत रिलेक्स होकर करते हैं तो सप्ताह के बाकी दिन ज्यादा प्रोडक्टिव महसूस करते हैं.

हालांकि कुछ लोग सप्ताह की शुरुआत में ज्यादा प्रोडक्टिव रहना पसंद करते हैं वीक खत्म होने तक अपने सारे काम निपटाए जा सकें. उदाहरण के लिए, हो सकता है कि आप सोमवार को केवल टीम मीटिंग लेना चाहें, जबकि आपका कुलीग वर्क लोड को जल्द से जल्द कम करने के लिए रिपोर्ट तैयार करना चाहता हो.