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Saving Birds: पशु-पक्षियों से इतना प्यार की कर ली चीलों से भी दोस्ती, सालों से कर रहे हैं बेजुबानों की सेवा

मिलिए बिहार में भागलपुर के Bird Man से, जो पिछले कई सालों से बेजुबान पशु-पक्षियों का संरक्षण कर रहे हैं. गौरैया को घर में जगह देने के साथ-साथ वह और कई पक्षियों की जान बचा रहे हैं.

Bird Man Deepak Bird Man Deepak

आपने कबूतर, तोते व सारस से लोगों को दोस्ती करते जरूर देखा या सुना होगा. लोग अक्सर घरों में कबूतर, तोता, सारस जैसे जीव से दोस्ती करते हैं. लेकिन भागलपुर के एक युवक, दीपक को अजीब शौक है क्योंकि उसने अपना दोस्त काले चील को बना रखा है. दरअसल इस व्यक्ति का जीवन पर्यावरण के प्रति समर्पित है. वह तरह-तरह के जानवरों को रेस्क्यू कर बचाते हैं और उनसे दोस्ती कर बैठते हैं. उन्होंने तीन चीलों को रेस्क्यू किया था और अब वह इन तीनों चील के दोस्त बन गए. जैसे ही दीपक अपने घर की छत पर आते हैं तो ये चील उनसे मिलने पहुंच जाते हैं.

पर्यावरण के प्रति समर्पित है जीवन
हम बात कर रहे हैं भागलपुर में नवगछिया के मुंदीचक के रहने वाले दीपक की बात कर रहे हैं. दीपक कई वर्षों से प्रकृति से प्रेम करते आए हैं और उनका यह जीवन प्रकृति के प्रति ही समर्पित है. दीपक उल्लू, काले चील, मधुबाज, सांप, गिलहरी समेत कई तरह के पशु-पक्षी को रेस्क्यू कर उसकी जान बचा चुके हैं. उनका कहना है कि भीखनपुर के समीप एक रेलवे पटरी पर घायल काले चील को बचाया था, तो वहीं तेज आंधी के कारण दो चील तार के पेड़ से नीचे गिरकर घायल हो गए थे, उन्हें भी दीपक ने बचाया. 

इसके बाद उनकी इन चीलों से गहरी दोस्ती हो गई और अब दोस्ती ऐसी हो गई है कि छत पर आते ही जब वह हाथ हिलाते हैं, तो चील उनके पास उड़ते हुए आ जाते हैं. पास बैठकर उनके हाथ से खाना भी खाते हैं. 

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घर में हर जगह बना रखा है गौरैया का घोंसला
उनके घर पर हर जगह गौरैया के घोंसले नजर आते है. करीब 50 घोंसला उनके घर पर लगे हुए हैं, जिसमें करीब 100 गौरैया रहती हैं. इतना ही नहीं, दीपक की गोद में बैठकर पक्षी उनके साथ खेलते हैं. यह अनोखा प्रेम देखकर लोगों को आश्चर्य भी होता है. दीपक कुमार ने कहा कि यह उनका सेवा भाव है, जैसे लोग ईश्वर को सेवा करते है उसी तरह वह जीवो के संरक्षण को पूजा समझते हैं. 

दिल की आवाज भगवान भी सुनते हैं, ये तो फिर भी जीव है. ये भी दिल की आवाज को सुनते है. छत पर शाम में जब वह जाते हैं तो एक आवाज देने पर ये आ जाते है क्योंकि इनको भी भोजन की लालसा रहती है. गौरैया उनके घर में कहीं भी मिल जायेगी, जिस तरह से बच्चे उनके घर में है उसी तरह से गौरैया उनके परिवार के सदस्य के रूप में हैं.

(सुजीत कुमार की रिपोर्ट)