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Driverless Car: IIT रुड़की के छात्र ने तैयार की बिना ड्राइवर के चलने वाली गाड़ी...जानिए क्या है इसकी खासियत

IIT Roorkee से पढ़ाई करने वाले भोपाल के संजीव कुमार ने एक ऐसी कार तैयार की है जो बिना ड्राइवर के चल सकती है. इस कार को अगर ड्राइवर बस चालू कर के छोड़ दे, तो ये सामने से गाड़ी या फिर इंसान के आने पर भी खुद केल्क्युलेशन लगाकर अपना रास्ता बना लेती है. 

Driverless Car Driverless Car

क्या भारत में भी कभी ड्राइवर लेस कार दौड़ सकेगी? यह सवाल तो आपके मन में भी कई बार आया होगा. लेकिन इस सवाल का जवाब एमपी की राजधानी भोपाल के कुछ छात्र जरूर ढूंढ़ लेंगे जहां इन दिनों बिना ड्राइवर वाली कार का ट्रायल चल रहा है.बेहद आम सी और सड़क पर चलने वाली दूसरी जीप की तरह ही दिखने वाली यह जीप कुछ खास है. दरअसल,भोपाल की यह ऐसी जीप है जिसे चलाने के लिए ड्राइवर की जरूरत नहीं पड़ती. शुरुआत में ड्राइवर इसे बस चालू कर के छोड़ दे फिर तो सामने से गाड़ी आये या फिर इंसान,यह जीप अपनी केल्क्युलेशन लगाकर अपना रास्ता खुद ही बना लेती है. 

इसे तैयार किया है आईआईटी रुड़की से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर कर चुके भोपाल के युवा इंजीनियर संजीव शर्मा ने. संजीव ने करीब 8 साल की मेहनत के बाद बिना ड्राइवर की कार बनाने में सफलता हासिल की है और इसे करीब 50 हजार किमी तक बिना ड्राइवर के जीप चलाकर ट्रायल रन भी कर चुके हैं.यह जीप रोबोटिक तकनीक से चलती है.

शुरू की खुद की कंपनी
संजीव शर्मा ने IIT रुड़की से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद इजरायल और कनाडा के कॉलेजों में भी पढ़ाई की है.लेकिन संजीव की आंखों में अपने देश आकर सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने का सपना था. इस वजह से वापस आने के बाद उन्होंने अपनी खुद की कंपनी शुरू की और सॉफ्टवेयर बनाया जो कार में लगे सेंसर और कैमरों के जरिये और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बगैर ड्राइवर वाली कार को कंट्रोल करता है.इसके सेंसर इतने कारगर हैं कि किसी भी गाड़ी या शख्स के सामने आने से गाड़ी खुद ही रास्ते का अनुमान लगाकर किनारे से निकल जाती है. 

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क्या है जीप की खासियत
स्वायत्त रोबोटिक कंपनी बनाकर संजीव शर्मा ने 2015-16 से इस जीप का ट्रायल शुरू किया जिसमें 12 कैमरे और कई सेंसर हैं. जीप में लगे कैमरों,सेंसर और GPS की मदद से जीप में लगे सॉफ्टवेयर को एक विजुअली इवेल्यूएशन डाटा पहुंचाता है जिससे जीप में लगा सॉफ्टवेयर गाड़ी के आसपास का 3डी मैप बना लेता है और गाड़ी सामने मौजूद दूसरी गाड़ियों या इंसानों का आंकलन कर खुद ब खुद आगे चलती रहती है.संजीव के मुताबिक उन्होंने 2015 में कंपनी स्टार्ट की और साल 2021 में उन्हें 3 मिलियन डॉलर की ग्रांट मिली इस प्रोजेक्ट के ट्रायल के लिए. 

अब तक वो करीब 50 हजार किलोमीटर तक गाड़ी चलाकर ट्रायल कर चुके हैं.संजीव का मानना है कि इस साल के अंत तक वो पूरी तरह से इस ट्रायल को पूरा कर लेंगे.संजीव के इस स्टार्टअप में देश-विदेश की कई कंपनियां रुचि दिखा रही है तो वहीं जल्द ही वेस्ट सेंट्रल रेलवे भी संजीव के इस प्रोजेक्ट को रेलवे में सुरक्षा की दृष्टि से कैसे लागू किया जा सकता है इसपर काम करने वाली है.

(रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट)