scorecardresearch

बायोलॉजिकल माता-पिता की खोज में भारत लौटी एक बेटी, बचपन में ही मां ने छोड़ दिया था, फिर स्पेनिश महिला ने लिया गोद

यह कहानी है ओडिशा के दो भाई-बहन, स्नेहा और सोमू की, जिन्हें बचपन में ही उनके जन्म देने वाले माता-पिता ने छोड़ दिया था. लेकिन उन्हें देखकर एक स्पेनिश महिला की ममता जाग गई और उन्होंने स्नेहा और सोमू को गोद ले लिया.

Sneha Sneha

कहते हैं कि खून के रिश्तों से बड़े दिल के रिश्ते होते हैं. कुछ ऐसा ही देखने को मिला ओडिशा के भुवनेश्वर में, जहां एक स्पेनिश मां अपनी बेटी के साथ आई ताकि अपनी बेटी के जन्म देने वाले माता-पिता को वह ढूंढ सकें. यह कहानी है ओडिशा के दो भाई-बहन, स्नेहा और सोमू की, जिन्हें बचपन में ही उनके जन्म देने वाले माता-पिता ने छोड़ दिया था. लेकिन उन्हें देखकर एक स्पेनिश महिला की ममता जाग गई और उन्होंने स्नेहा और सोमू को गोद ले लिया. 

इस स्पेनिश महिला का नाम है गेमा विडाल पिनार्ट, जिन्होंने स्नेहा और सोमू को जिंदगी दूसरा मौका दिया. इतना ही नहीं, सालों बाद जब स्नेहा ने जानना चाहा कि उनके बायोलॉजिकल पैरेंट्स कौन हैं तो गेमा स्नेहा को लेकर भारत आईं ताकि इस बारे में पता लगा सकें.  

छह साल की उम्र में मां ने छोड़ा 
छह और पांच साल की छोटी सी उम्र में, स्नेहा और सोमू को उनकी मां ने छोड़ दिया था. कुछ दिन उन्होंने जैसे-तैसे गुजारा किया और फिर उन्हें पुलिस ने भुवनेश्वर अनाथालय में पहुंचा दिया. यहीं पर उनकी मुलाकात गेमा से हुई, जिन्होंने उन्हें न सिर्फ अपना नाम दिया बल्कि एक प्यारा सा घर भी दिया. 

अब 21 साल की स्नेहा एनरिक विडाल अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने और अपने अतीत को जानने के लिए अपनी दत्तक मां के साथ ओडिशा लौटी हैं. अपने बायोलॉजिकल परिवार को जानने की चाह में स्नेहा 18 दिसंबर को भुवनेश्वर आईं. यहां वह एक लोकल होमस्टे, 'आनंद रुतु' में रहीं. उन्हें एक सेवानिवृत्त अकादमिक स्नेहा सुधा मिश्रा से काफी मदद मिली, और ' रुचिका चाइल्ड हेल्पलाइन ने भी उनकी मदद की. 

पता चला माता-पिता का नाम 
अपने दृढ़ प्रयासों से, स्नेहा को पता चला कि उसके जैविक माता-पिता बनलता दास और संतोष कुमार दास हैं, और उनका जन्म का नाम मणि दास था. होमस्टे के मालिक और स्थानीय पुलिस की मदद से, स्नेहा अपने अतीत के साथ फिर से जुड़ने के करीब आ गई. स्नेहा का कहना है कि उन्हें अपने माता-पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है. हालांकि वह पुलिस स्टेशन गई थीं और उन्हें पूरा आश्वासन दिया गया कि वे पता लगा लेंगे.

फिलहाल, वह स्पेन लौट गई हैं. लेकिन उनका कहना है कि वह अपने बायोलॉजिकल माता-पिता को खोजने के लिए फिर से वापस आएंगी. स्नेहा स्पेन में अच्छे से पढ़ाई कर रही हैं. स्नेहा ने साझा किया कि वह हमेशा से जानना चाहती थीं कि आखिर उनकी मां ने उन्हें क्यों छोड़ दिया. ऐसी क्या परिस्थिति रही कि उन्होंने अपने बच्चों को छोड़ दिया. वह एक क्लोज़र चाहती हैं और जानना चाहती हैं कि वह वास्तव में कौन हैं. 

गेमा ने दी नई जिंदगी 
स्नेहा की दत्तक मां, गेमा ने भारत की केंद्रीय गोद लेने वाली एजेंसी के माध्यम से तीन साल की लंबी प्रक्रिया के बाद स्नेहा और सोमू को गोद लिया था. वह याद करती हैं, "जब मैंने उन्हें पहली बार देखा, तो मुझे पता था कि वे ही मेरे बच्चे होंगे." गेमा ने आगे कहा कि भारत, एक ऐसा देश जिसकी वह गहराई से प्रशंसा करती हैं. स्नेहा और सोमू के आने से उनके जीवन में जो प्यार और खुशी आई उसके लिए वह आभारी हैं. 

स्नेहा कहती हैं कि गेमा और उनके दत्तक पिता ने उन्हें वह सब कुछ दिया है जिसका वह कभी सपना भी नहीं देख सकते थे, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने स्नेहा और सोमू को बिना शर्त प्यार और अपनेपन की भावना दी है.