बिहार! ये सुनते ही सबसे पहले आपके जेहन में कौन सी तस्वीर आती है? किसी पहाड़ की? झरने की? चाय के बागान की? ड्रैगन फ्रूट?.... नहीं! लेकिन बिहार में ये सब कुछ है. दरअसल, ये हम नहीं बल्कि बिहार के ही कुछ युवा कह रहे हैं. पश्चिम में उत्तर प्रदेश, उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल का उत्तरी भाग और दक्षिण में झारखंड की सीमाओं से लगा हुआ बिहार झरने-झील, पहाड़, किले और हॉट स्प्रिंग्स जैसी प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है. हालांकि, बेहद कम लोग हैं जो बिहार के इस रूप के बारे में जानते हैं. लेकिन कुछ युवा हैं जो सिक्के के दूसरे पहलू को दिखाने में जी-जान लगाए हुए हैं. 'द अनडिस्कवर्ड' (The Undiscovered) नाम के प्लेटफॉर्म को चला रहे ये लोग देश-विदेशों के लोगों को बिहार की ख़ूबसूरती दिखाने में लगे हुए हैं. टीम में 5 लोग हैं जिसमें आशीष कौशिक, रजत परमार, अभिषेक शेखर, पूजा कौशिक और काजल शामिल हैं.
'द अनडिस्कवर्ड' को लेकर GNT डिजिटल ने इसके फाउंडर आशीष कौशिक और रजत परमार से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने हमें बताया कि इसकी शुरुआत 2017 में हुई थी और इसे चलते हुए आज 2022 में 5 साल बीत चुके हैं. इन कुछ सालों में मुश्किलें आईं लेकिन ये समय बेहद खूबसूरत रहा है. और आगे भी उम्मीद है कि ऐसा ही चलता रहेगा.
चलिए पढ़ते हैं आशीष कौशिक और रजत परमार से बातचीत के मुख्य अंश-
बिहार को लेकर बनी बनाई सोच को तोड़ने की कोशिश है ये काम
आशीष कहते हैं, द अनडिस्कवर्ड शुरुआत में केवल एक विचार था. हम नोएडा की बालकनी में बैठे हुए बात करते थे कि यार बिहार के लिए कुछ करना है. और मुझे याद है कि उस वक़्त हमें इतना सा भी आईडिया नहीं था कि हमें क्या करना है या कैसे करना है. कॉलेज के फर्स्ट ईयर के दौरान ही मेरे जेहन में आया कि इसे शुरू करना चाहिए. बिहार को लेकर सब एक स्टीरियोटिपिकल माइंडसेट रखते हैं. एक बिहारी होने के नाते मुझे पता है कि हमारे क्षेत्र के बारे में क्या सोचते हैं. तो हम उन चीज़ों से गुजर रहे थे. तो हमने डिसाइड किया कि कुछ ऐसा शुरू करते हैं और इसी से द अनडिस्कवर्ड की शुरुआत हुई.”
हमने पहले फोटो डॉक्यूमेंटेशन के साथ शुरू किया. तब लोगों ने इसमें इंटरेस्ट दिखाना शुरू किया कि ये भी बिहार है. उसके बात जब हमने बिहार पर डॉक्यूमेंटरीज शुरू की तब हमने जो देश और विदेश से लोगों के रिएक्शंस मिलने शुरू हुए वो काफी सरप्राइजिंग था.
दरअसल, किसी भी सिक्के के दो पहलू होते हैं, और जानने के लिए कि ये सिक्का क्या है और इसकी कीमत क्या है इसके लिए जरूरी है कि दोनों साइड देखी जाए. इसी पर आशीष एक वाकया शेयर करते हुए बताते हैं, “एक दिन मेरी फोटोग्राफी की क्लास में किसी ने पूछा कि रील वाले कैमरा क्या होते हैं? तो उन्होंने कहा कि अब उन्हें कोई इस्तेमाल नहीं करता, बिहार वगैरह में करते होंगे. तो मुझे काफी बुरा लगा, और तब लगा कि अब इसे बदलने की जरूरत है. ऐसे ही एक बार एक दोस्त ने कहा कि जब भी हम बिहार टाइप करते हैं तो नेगेटिव चीज़ें ही दिखती हैं ऐसा क्यों? तब हमने ठान लिया कि अब इसको बदलना है.”
दिल्ली मेट्रो में दिख रही बिहार की कई तस्वीरें अनडिस्कवर्ड की मेहनत
द अनडिस्कवर्ड के एडिटर रजत का मानना है कि ये एक सोच है. ये केवल एक वेबसाइट या यूट्यूब चैनल नहीं है. वे कहते हैं, “हम वो दिखाते हैं जिसे आज तक कोई देखना नहीं चाहता था. बिहार को लेकर जो धारणा बनाई गई हैं लोगों के बीच में लोग उससे बाहर नहीं निकलना चाहते. हम जो कर रहे हैं वो काम नहीं है बल्कि बिहार के लिए हमारी मुहब्बत है. देश-विदेशों से आ रहे मैसेज और कॉल्स अनडिस्कवर्ड को आगे बढ़ाने का काम करती हैं. और यही है कि आज अनडिस्कवर्ड बिहार टूरिज्म के साथ मिलकर बिहार को लोगों को दिखाने में मदद कर रहा है. दिल्ली की मेट्रो पर आज बिहार की तस्वीरें दिखती हैं, वो आशीष के द्वारा खींची गई हैं. अनडिस्कवर्ड की टीम द्वारा खींची गई हैं और ये फक्र की बात है. हम उस विचार को बदलना चाहता हैं जो सालों साल से बिहारियों पर लदा रहा है. ये एक तरह की वॉर है उस स्टेरियोटीपिकल सोच के खिलाफ जो बिहारियों के साथ चलती आई है.”
पहली जगह जहां से शुरू हुआ अनडिस्कवर्ड का सफर
आशीष अपने पहले सफर के बारे में बात करते हुए कहते हैं, “बिहार का एक गांव है निपुरा, ये 2017 की बात है जब मैं वहां फोटो डॉक्यूमेंटेशन के लिए वहां गया था. भारत में तब 17 टूरिज्म विलेज (पर्यटन ग्राम) बनाये गए थे. उनमें से 2 बिहार में थे. मैं उसी गांव के फोटोज के लेने गया था. जब मैंने उन फोटो को सोशल मीडिया पर डाला तो काफी लोगों ने उसे शेयर किया. ये देखकर मुझे लगा कि लोग बिहार के बारे में ऐसे फैक्ट्स जानना चाहते हैं और हमें उनके सामने ये परोसने चाहिए. ये पहली जगह थी जहां से अनडिस्कवर्ड की शुरुआत हुई. इसके बाद 2018 में हमने लगातार काम किया. और अभी तक वो चल रहा है.”
कितना मुश्किल रहा सफर?
आशीष बताते हैं कि ये 5 साल का सफर आसान नहीं था. वे कहते हैं, “घरवालों का कहना था की सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करो. लेकिन मेरा मन नहीं था. शुरू में घरवाले नहीं माने, पापा गुस्सा भी रहते थे. लेकिन फिर धीरे-धीरे जब चीज़ें चलने लगीं और दिखने लगीं तो उन्होंने भी कहा कि जो कर रहे हो वो करते रहो.”
शुरुआत में एक्विपमेंट्स को लेकर मशक्क्त करनी पड़ी. जब ड्रोन लिया तो कई महीनों तक ईएमआई भरी और फिर ड्रोन से शूट शुरू किया. तो ये सफर बहुत वेलप्लांड नहीं था लेकिन वो रिस्क अगर हम शुरुआत में नहीं लेते तो शायद आज यहां न पहुंच पाते. मुश्किलें आज भी आती हैं. लेकिन अब धीरे-धीरे कई लोग साथ आने लगे हैं और चीज़ें अच्छी चलने लगी हैं.”
वहीं, रजत कहते हैं, “जब हम शुरुआत में काम करते थे तो 100-200 व्यूज जाते थे. 2017 से 2022 का ये जो सफर है वो बहुत लंबा रहा है. ये मेहनत इसीलिए है. अच्छे कंटेंट को प्रमोट करने में शायद थोड़ी मुश्किलें आते हैं. क्योंकि हम लोगों के अंदर जो बने बनाए विचार हैं उन्हें तोड़ने के लिए निकले हैं. हमारे लिए सबसे बड़ा चैलेंज था लोगों को ये यकीन दिलाना कि आप जो देख रहे हैं वो बिहार ही है. ये एक्सेप्ट करवाने की लड़ाई थी. उसी की बदौलत आज हम जिस भी जगह जाते हैं, अनडिस्कवर्ड की टीम जिस भी जगह जाती है वहां लोग जाते हैं. वहां टूरिज्म बढ़ गया है.”
चाय के बागानों से भरा बिहार भारत का दूसरा दार्जिलिंग
आशीष ने हमें बताया कि पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला किशनगंज बिहार का इकलौता ऐसा जिला है, जहां चाय के बागान दिखते हैं. इसके साथ बिहार को चाय के बागानों के लिए भी जाना जाता है. आशीष कहते हैं, “बिहार भारत के टॉप 10 राज्यों में से एक है जो चाय के लिए जाना जाता है. चूंकि, अब बिहार में फैक्ट्री वगैरह शुरू हो गई हैं तो ये ‘बिहार टी’ के नाम से जानी जाने लगी है. और तो और बिहार में ड्रैगन फ्रूट भी दिखते हैं.”
भविष्य में करेंगे सेंट्रल इंडिया की जगहों पर फोकस
आगे के प्लान्स को लेकर रजत और आशीष कहते हैं कि अभी हम बिहार को लेकर काम करना चाहते हैं. अभी केवल बिहार पर फोकस करना चाहते हैं. बिहार में अभी कई चीज़ें हैं जो ढूंढनी बाकी हैं. हालांकि, वे सेंट्रल इंडिया की जगहों पर भी काम करना चाहते हैं. आशीष कहते हैं, “हम खूबसूरत जगहों के नाम पर भारत के कॉर्नर्स में जो शहर या जगहें हैं उनके बारे में जानते हैं, सेंट्रल इंडिया में बहुत कुछ है जो अभी बाकि है. बिहार के बाद हम सेंट्रल इंडिया पर फोकस करेंगे और लोगों को वो जगहें दिखाएंगे जो अभी तक डिस्कवर नहीं हुई हैं.”
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