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Sparrow Conservation: मां की सीख बनी जीवनभर की प्रेरणा, सालों से गौरैया की संरक्षण कर रहे हैं जमाल शेख

यह कहानी है बिजनौर के जमाल शेख की, जिनका घर गौरैया के लिए जाना जाता है. उनके घर जाने पर उनसे पहले पक्षियों की चहचाहट आपका स्वागत करती है. गौरैया संरक्षण के मामले में उन्होंने एक मिसाल पेश की है.

Jamal Sheikh saving sparrows for years now Jamal Sheikh saving sparrows for years now
हाइलाइट्स
  • मां की सीख बनी जिंदगीभर की प्रेरणा

  • गांवभर से आता है उनके घर खाना 

कहते हैं कि अगर आपके घर के आसपास आपको पक्क्षी दिखते हैं, उनके चहचहाने की आवाज आती है तो मतलब आप पर्यावरण के अनुकूल जीवन जी रहे हैं. हालांकि, यह सब अब बहुत ही कम देखने को मिलता है. जबकि आज की जरूरत यही है कि हमारे आसपास बायडाइवर्सिटी बनी रहे और इस मामले में उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के स्योहारा में रहने वाले जमाल शेख मिसाल पेश कर रहे हैं. 

जमाल शेख ने अपनी पूरी जिंदगी गौरैया के संरक्षण में बिता दी है. वह छह साल की उम्र से गौरैया संरक्षण से जुड़े हुए हैं. जमाल शेख कहते हैं, "6 साल की उम्र में मैं एक पेड़ से एक घोंसला उठाकर अपने घर ले आया था. लेकिन मेरी मां ने मुझे घोंसले को पेड़ पर वापिस रखकर आने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि कभी किसी को अपने साथ रहने के लिए मजबूर मत करो और हमेशा दूसरों की आजादी का सम्मान करो." मां की बात सुनकर जमाल ने घोंसला उसी पेड़ पर टांग दिया. 

मां की सीख बनी जिंदगीभर की प्रेरणा
मां ने कहा कि कल से छत पर पक्षियों को खिलाने के लिए कुछ अनाज और खाने का सामान डाल देना. तब से जमाल शेख अपने घर की छत पर पक्षियों को खाना खिला रहे हैं, जिसके कारण उनके घर के पेड़ों पर आज भी पक्षियों और कई अन्य प्रजातियों के पक्षी रहते हैं. जमाल बताते हैं कि उनका घर गौरैया समेत कई अन्य पक्षियों के लिए खुला है, पक्षी घर में कहीं भी घूम सकते हैं. उनके घर को देखकर लगता है कि चिड़िया भी इसी घर का हिस्सा हैं.

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जमाल ने कई साल पुरानी एक घटना बताते हुए कहा कि अपने बेटे के जन्म के समय उन्हें कई दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा और घर पर किसी का पक्षियों पर ध्यान नहीं गया. जब जमाल वापस लौटे तो एक गौरैया उनके पास आकर उनके पैर का अंगूठा छूने लगी. तब जमाल ने तुरंत उन्हें दाना-पानी दिया. जमाल शेख कहते हैं कि पक्षी भी आपसे रिश्ताबना लेते हैं. उन्होंने अपनी छत पर रेत डाल रखी है और उनका कहना है कि जब गर्मी आती है तो वह इस रेत पर पानी छिड़कते हैं ताकि पक्षी गर्मी से बच सकें.

गांवभर से आता है उनके घर खाना 
जमाल शेख अपने पूरे गांव में प्रसिद्ध हैं. उनके गांव में जब भी किसी घर में खाना बचता है तो वे जमाल के घर भेजते हैं ताकि वह पक्षियों को खाना खिला दें. गौरैया संरक्षण के लिए बिजनौर वन विभाग जमाल शेख की मदद ले रहा है. बिजनौर वन विभाग ने इंदिरा पार्क को चुना है, जिसमें जमाल शेख की मदद से गौरैया के लिए उपयुक्त माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है. जमाल का कहना है कि अगले 6 से 7 महीने में इंदिरा पार्क में गौरैया आना शुरू हो जाएंगी.

(ऋतिक राजपूत की रिपोर्ट)