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Plastic Free Village: वेस्ट से बेस्ट! चायवाले की मेहनत से गांव हुआ प्लास्टिक मुक्त... लेकिन कैसे... यहां जानिए 

Bislpur Village Plastic Free: बीसलपुर गांव के कानराम की मेहनत लाई रंग. पूरा गांव अब प्लास्टिक मुक्त हो गया. इसके लिए उन्होंने पहले बच्चों को जागरूक किया, फिर एक ऑटो लेकर घर-घर जाकर प्लास्टिक के कचरे को इकट्ठा करते थे.

Kanram Kanram
हाइलाइट्स
  • बच्चों को वेस्ट मटेरियल इकट्ठा करने के लिए किया प्रेरित

  • वेस्ट मटेरियल को रीसाइकल करने की लगवाई फैक्टरी 

राजस्थान के पाली जिले के बीसलपुर गांव में कानराम की मेहनत और सोच ने गांव को पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त बना दिया है. कानराम, जो गांव में चाय की दुकान चलाते हैं ने पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए एक अनोखी पहल की. उन्होंने अपने गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने की जिम्मेदारी उठाई और इसे सफलतापूर्वक पूरा किया.

स्कूलों और समाजसेवी संस्थाओं की मदद
कानराम ने सबसे पहले स्कूलों में जाकर बच्चों को जागरूक किया और उन्हें अपने घर और आसपास के वेस्ट मटेरियल को इकट्ठा करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने स्कूलों में बड़े डस्टबिन रखवाए, जिसमें बच्चे प्लास्टिक और वेस्ट चीजें डालने लगे. इसके साथ ही उन्होंने एक ऑटो भी शुरू किया, जो घर-घर जाकर प्लास्टिक के कचरे को इकट्ठा करता था.

वेस्ट मटेरियल को रीसाइकल करने की फैक्टरी
कानराम ने गांव में ही कुछ समाजसेवी संस्थाओं की मदद से वेस्ट मटेरियल को रीसाइकल करने की फैक्टरी लगवाई. इस फैक्टरी में प्लास्टिक को प्रोसेस करके उपयोगी सामान बनाए जाते हैं. कानराम ने बताया कि हमारा प्लास्टिक पहले तो सेग्रीगेट करके कुछ प्लास्टिक बाहर जाता था. हाल ही में हमारा नैपथोनेस और एम्थोरम के सहयोग से यहां पे प्लांट भी लगाया है.

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पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अनोखी पहल
कानराम की इस पहल से अब बीसलपुर गांव प्लास्टिक मुक्त हो चुका है. अब उनकी कोशिश है कि आसपास के इलाकों से भी प्लास्टिक को खत्म किया जाए. इससे न सिर्फ पर्यावरण सुरक्षित और संरक्षित होगा बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी यह एक वरदान साबित होगा. कानराम की इस अनोखी पहल से गांव को एक नई पहचान मिली है और यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.