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शिक्षा के जरिए जिंदगी रोशन कर रहा आंखों से दिव्यांग, बनना चाहता है लेक्चरर

सपने देखने के लिए आंखों का होना जरूरी नहीं है, सपने देखने के लिए जरूरी है किसी चीज का जज्बा होना. अहमदाबाद के विपुल जेठवा भी अपनी जिंदगी को रोशन करने के लिए ऐसे ही कुछ सपने देखते हैं.

पढ़ाई से जिंदगी रोशन कर रहा आंखों से दिव्यांग व्यक्ति पढ़ाई से जिंदगी रोशन कर रहा आंखों से दिव्यांग व्यक्ति
हाइलाइट्स
  • जीएसईटी क्लियर कर चुके हैं विपुल जेठवा

  • अब बनना चाहता हैं सामाजिक विज्ञान के लेक्चरर

आंखों से दिव्यांग होने के बाद भी अहमदाबाद के विपुल जेठवा (Vipul Jethwa)ने कभी बड़े सपने देखना नहीं छोड़ा. वह एक कॉलेज लेक्चरर बनना चाहता हैं और अपने परिवार की मदद करना चाहते हैं. फिलहाल अभी विपुल और उनका परिवार कृषि श्रम से जुड़ा है. उन्होंने समाजशास्त्र में एमए किया है और लेक्चर के लिए गुजरात स्टेट एलिजिबिटी टेस्ट(जीएसईटी) भी पास की. जबकि उनके परिवार में कोई भी बारहवीं कक्षा से आगे नहीं पढ़ा है.

विपुल जेठवा बताते हैं कि वह समाजशास्त्र या सामाजिक विज्ञान में लेक्चरर बनना चाहते हैं. उन्होंने गुजरात स्टेट एलिजिबिटी टेस्ट में 300 अंकों में से126 अंक प्राप्त किए थे, जबकि क्वालीफाइंग स्कोर 118 था. एमए में भी, उन्होंने 64 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. फिलहाल वह एक निजी विश्वविद्यालय से बीएड कर रहे हैं. 

अंधापन नहीं आया शिक्षा के आड़े

उन्होंने कहा कि उनके परिवार के लगातार समर्थन के कारण उनका अंधापन कभी उनकी शिक्षा के आड़े नहीं आया. भावनगर जिले के महुवा के पास सुरदरा गांव के मूल निवासी जेठवा ने बताया कि उन्होंने अपने गांव में सातवीं कक्षा तक पढ़ाई की, जिसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे भावनगर चले गए. बीए करने के बाद वे एमए करने के लिए गुजरात यूनिवर्सिटी आ गए. अपने पूरे अकादमिक करियर के दौरान, उन्होंने लेखकों की मदद से परीक्षा पास की. 

उन्होंने आगे कहा कि उनके परीक्षा के दिन काफी चिंता में निकलते हैं. क्योंकि कई बार जो उनके लिए लिखते थे वह परीक्षा से पहले ही मना कर देते थे, जोकि बहुत आम है. ऐसे में फिर दोबारा परीक्षा लिखने के लिए किसी को ढूंढना थोड़ा कठीन होता था. 

YouTube से करते हैं पढ़ाई

विपुस ने बताया कि उन्होंने YouTube वीडियो सुनकर की GSET परीक्षा की तैयारी की थी. उन्हें बीएड की पढ़ाई के लिए कुछ छात्रवृत्ति मिली थी, जिससे उनके लिए थोड़ी आसानी हो गई. वह चाहते हैं कि वह अपने परिवार के लिए कुछ कर सकें. 

वहीं, ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन (BPA) के महासचिव डॉ भूषण पुनानी ने कहा कि गुजरात में लगभग 20 ऐेसे लेक्चरर हैं, जोकि देख नहीं सकते. 

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