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समय पर ब्लड नहीं मिलने से गई थी भाई की जान, आज जगह-जगह जाकर ब्लड डोनेट कर लोगों की जिंदगी बचा रहे हैं राजीव

पिछले कइ सालों से राजीव लगातार लोगों की जान बचाने के लिए ब्लड डोनेट कर रहे हैं. साथ ही, दूसरे लोगों को भी इसके लिए जागरूक कर रहे हैं. जिसके लिए उन्हें कनाडा से भी सम्मान मिला है.

Rajeev Mishra Rajeev Mishra
हाइलाइट्स
  • ब्लड डोनेशन के लिए की 57,000 किमी की यात्रा

  • कनाडा के विश्नविद्यालय ने दिया सम्मान 

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में रहने वाले राजीव मिश्रा अब तक हजारों लोगों को ब्लड डोनेट कर उनकी जिंदगी बचा चुके हैं. यही नहीं राजीव लोगों को ज्यादा से ज्यादा ब्लड डोनेट करने के लिए जागरूक भी करते हैं. राजीव को अपने देश में तो कई सम्मान मिले हैं लेकिन हाल ही में उन्हें एक दूसरे देश में भी सम्मान मिला है. राजीव मिश्रा को कनाडा की ब्राम्टन यूनिवर्सिटी ने अपनी डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा. आपको बता दें राजीव मिश्रा अब तक 83 बार पूरे देश का भ्रमण कर ब्लड डोनेट कर चुके हैं. 

ब्लड डोनेशन के लिए की 57,000 किमी की यात्रा

नेपाल के काठमांडू में सार्क देश (साउथ एशियन रिजल्ट कंट्रीज) के मुख्यालय में 8 देशों के उन प्रतिनिधियों को बुलाया गया था जो सामाजिक क्षेत्र से जुड़कर ब्लड डोनेशन के लिए अच्छा कार्य कर रहे है. उन्हीं में भारत के राजीव मिश्रा भी शामिल है. राजीव को अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय ब्राम्टन, कनाडा ने ब्लड डोनेशन के प्रति आम आदमी को जागरूक के साथ भारत के कई राज्यों में जाकर ब्लड डोनेट करने के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है. 

आपको बता दें कि वह ब्लड डोनेशन के लिए कैंपेनिंग भी चला रहे हैं. उन्होंने जम्मू कश्मीर, लेह, लद्दाख, महाराष्ट्र, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, और कन्याकुमारी के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल तक में लगभग 57000 किलोमीटर की यात्रा करके ब्लड डोनेट किया है. 

भाई की मौत बनी प्रेरणा

राजीव मिश्रा के इस अभियान को शुरू करने के पीछे एक दुखद कहानी है. दरअसल राजीव जब 20 साल के थे तो उनके बड़े भाई अशोक कुमार मिश्रा का एक ऑपरेशन हुआ था लेकिन ब्लड न मिल पाने के कारण उनकी मृत्यू हो गई. तब से राजीव ने शपथ ली कि वह ब्लड डोनेशन कैंप चलाएंगे और ब्लड डोनेट कर लोगों की जान बचाने की कोशिश करेंगे.

राजीव तब से ब्लड डोनेट करके बहुत से लोगों की जान बचा चुके हैं. जिनमें लेह लद्दाख के रहने वाले सुमन, इलाहाबाद के कैलाश कुमार, हरियाणा के सुधीर गुज्जर, रीवा के रहने वाले जूना, वाराणसी के कार्तिक जैसे लोग शामिल हैं.  राजीव के जीवन का अब ब्लड डोनेट करना  जीवन का उद्देश्य बन चुका है।

कनाडा ने दिया सम्मान 

कनाडा के विश्वविद्यालय ने ब्लड डोनेशन के क्षेत्र में राजीव के काम को सराहा और इस सामाजिक काम के लिए यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की मानक उपाधि इन्हें दी गई. डॉ राजीव सहित सार्क देशों के कई प्रतिभाशाली लोगो को सम्मानित किया गया है. यह सम्मान डब्ल्यूबीसीआर के नेशनल हेड और कनाडा विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि डॉक्टर संजीव पॉल, कैबिनेट मंत्री प्रेम बहादुर और आयुष मंत्री डॉ. दिनेश कुमार ने दिया.

राजीव मिश्रा अब तक 83 बार ब्लड डोनेट करने के साथ दो बार प्लाज्मा भी डोनेट कर चुके हैं. प्लाज्मा डोनेट करने के लिए उन्होंने 16 किलोमीटर की दूरी तय की और एक शख्स की जान बचाई. 

(आनंद राज की रिपोर्ट)