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Brihadeeswarar Temple: 1000 साल पुराना है यह मंदिर, 216 फीट ऊंचा है इसका शिखर, निर्माण में लगे थे 7 साल

भारत के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले राजवंशों में से एक - चोल के शासनकाल के दौरान, इस मंदिर को राजराजेश्वरम कहा जाता था. यह सभी धार्मिक कार्यों और त्योहारों का केंद्र था. बाद में, नायक और मराठों द्वारा इस पर आक्रमण करने के बाद, मंदिर बृहदेश्वर मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हो गया.

Brihadeeshwar Temple (Photo: Instagram/@bitbythewanderbug) Brihadeeshwar Temple (Photo: Instagram/@bitbythewanderbug)
हाइलाइट्स
  • ग्रेनाइट पत्थर का बना है पूरा मंदिर 

  • दुनिया का सबसे ऊंचा शिखर है यहां 

दक्षिण भारत की वास्तुकला और धर्म का केंद्र तंजावुर, भव्य बृहदेश्वर मंदिर (Brihadeeswarar Temple) का भी घर है. इस मंदिर को बृहदेश्वर मंदिर और राजाराजेश्वर मंदिर राजराजेश्वरम भी कहा जाता है. यह देश के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है. ऐरावतेश्वर मंदिर और गंगईकोंडा चोलपुरम के साथ बृहदेश्वर मंदिर को 'महान जीवित चोल मंदिर' के रूप में जाना जाता है और यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) का हिस्सा है. 

आपको बता दें कि बृहदेश्वर मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है. और इसे राजा राज चोल प्रथम द्वारा बनवाया गया था. इस मंदिर की संरचना चोल साम्राज्य की संपत्ति, कलात्मक विशेषज्ञता और शक्ति का प्रमाण है. यह मंदिर भारत का 'Vertical Wonder' कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. 

Brihadeeswarar Temple, Thanjavur (Photo: Instagram/@travel_save)

1000 साल से भी ज्यादा पुराना है मंदिर
बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण 1010 में पूरा हुआ था. जिसका अर्थ है कि मंदिर 1000 वर्ष से अधिक पुराना है. इस मंदिर में मौजूद शिलालेखों के अनुसार, कुंजारा मल्लन राजा राजा पेरुमथाचन इस प्रसिद्ध मंदिर के इंजीनियर और वास्तुकार थे. मंदिर की संरचना द्रविड़ वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है और यह तमिल सभ्यता और चोल साम्राज्य की विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती है. 

ग्रेनाइट पत्थर का बना है पूरा मंदिर 
यह पूरा मंदिर ग्रेनाइट पत्थर से बना है. लेकिन हैरानी की बात है कि उस समय तंजावुर के आसपास ग्रेनाइट पत्थर की कोई खदान या स्रोत नहीं थे. ग्रेनाइट तो मंदिर की साइट के 50 किमी के भीतर तक भी उपलब्ध नहीं है. तो जरा सोचिए उन दिनों कैसे और कहां से इस मंदिर के लिए ग्रेनाइट पत्थर लाए गए होंगे. 

बताया जाता है कि मंदिर के निर्माण में लगभग 60,000 टन ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया था. 

One of the largest temples of the country(Photo: Instagram/@priyankbhandary)

दुनिया का सबसे ऊंचा शिखर है यहां 
बृहदेश्वर मंदिर में दुनिया का सबसे ऊंचा शिखर/टॉवर (मंदिर टॉवर) है. जिसकी ऊंचाई 216 फीट या 66 मीटर है. इसका मतलब है कि यह 6 मंजिला ऊंचा है और इसके कुंबम (शीर्ष पर संरचना) का वजन लगभग 80 टन है. हालांकि, आज हैरानी की बात यह है कि उस समय कैसे इस शिखर पर कुंबम को रखा गया होगा.

हालांकि, माना जाता है कि मंदिर के शीर्ष तक पहुंचने और वहां ग्रेनाइट लगाने के लिए लगभग 8 किमी तक की ढलान बनाई गई थी. और फिर हाथियों का मदद से इसे ऊपर तक पहुंचाया गया. 

7 साल में बना यह मंदिर 

Nandi Mandapam (Photo: Instagram/@priyankbhandary)

बृहदेश्वर मंदिर के प्रवेश द्वार पर नंदी (पवित्र बैल) की एक विशाल मूर्ति है. इस मूर्ति को एक ही चट्टान से उकेरा गया है और इसका वजन लगभग 20 टन है. मंदिर के अंदर का लिंगम 3.7 मीटर लंबा है. मंदिर के निर्माण में 7 साल का समय लगा था. अब यह सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है कि मंदिर के निर्माण में कितने कारीगर लगे होंगे?

आपको बता दें कि बृहदेश्वर मंदिर उन कुछ मंदिरों में से एक है जिनमें अष्ट-दिक्पालक (दिशाओं के संरक्षक) की मूर्तियां हैं. चोल भित्ति चित्र मंदिर की दीवार को सुशोभित करते हैं और ये भित्ति चित्र शिव को विभिन्न मुद्राओं में चित्रित करते हैं. और आज हजार साल बाद भी यह मंदिर एकदम अटल खड़ा है और भारत देश की महान विरासत की गाथा सुना रहा है.