'वाटर हीरो' नाम से मशहूर रामबाबू तिवारी पिछले 13 सालों से पानी के संरक्षण के काम में जुटे हैं. बुन्देलखंड के रहने वाले रामबाबू ने हमेशा से पानी की किल्लत देखी. उन्होंने 12वीं कक्षा में पढ़ते समय से ही पानी की समस्या पर काम करना शुरू कर दिया था. उनका कहना है कि अगर बचपन में गलती से कोई मटका उनसे टूट जाता था तो घरवालों से अच्छी डांट पड़ती थी.
यूपी का बुन्देलखण्ड क्षेत्र लगातार सूखे और भीषण गर्मी की चपेट में है, जहां तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जिससे जलस्रोत सूखने लगे हैं. पिछले 30 सालों में स्थिति और भी खराब हो गई है जब इस इलाके में हर पांच साल में सूखा पड़ता है.
बनाया 5000 जल मित्रों का नेटवर्क
रामबाबू तिवारी एक पीएचडी स्कॉलर हैं और अपने पैतृक गांव अधावन में एक तालाब को भरने की पहल करके लगातार पानी की समस्या को हल कर रहे हैं. शुरुआत में, परिवार और दोस्तों के विरोध के बावजूद, उन्होंने जल निकायों से गाद निकालने और उन्हें पुनर्जीवित करने के प्रयास में लगे रहे. उनकी मेहनत रंग लाई तो ग्रामीण भी उनके साथ एकजुट होने लगे. उनका दृढ़ संकल्प रंग लाया और आज, रामबाबू के पास पूरे बुंदेलखंड में 5,000 'जल मित्रों' का नेटवर्क है.
75 से ज्यादा तालाबों को किया रिवाइव
उन्होंने और उनकी टीम नेअब तक 75 से ज्यादा ग्रामीण तालाबों को पुनर्जीवित किया है. यह उपलब्धि बहुत बड़ी है है और यहां तक का सफर बिल्किल आसान नहीं था. वह बताते हैं कि वह 2012 में पर्यावरण विज्ञान में हायर स्टडीज के लिए प्रयागराज गए. वहां, हॉस्टल में 24 घंटे पानी देखकर उन्हें एक अलग जिंदगी की पता चला. तब उन्होंने ठाना कि उन्हें पानी की मिशन जारी रखना है ताकि उनके इलाके में भी पानी हो.
उन्होंने अपने गांव में ग्रामीणों से 11 बीघे में फैले पहले तालाब - बजरंग सागर को आठ हफ्ते में साफ किया. इसका प्रभाव स्पष्ट था क्योंकि 2015 के मानसून में अधावन में तालाब लबालब भर गया था. इससे उत्साहित होकर, रामबाबू और उनकी टीम ने वर्षा जल इकट्ठा करने के लिए हर खेत के पास कुंड बनाना शुरू कर दिया, जिसका उपयोग खेती के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता था.
75 से अधिक तालाबों को पुनर्जीवित करने के बाद, तिवारी और उनकी टीम ने ग्रामीणों को पानी के उपयोग और पानी बचाने की तकनीकों के बारे में जागरूक करने के लिए 300 'पानी चौपाल' भी आयोजित किए हैं.