बिहार के बक्सर जिले का एक छोटा सा गांव गिरीधर बरांव अचानक खबरों में आ गया है. गिरीधर बरांव गांव में रविवार की दोपहर एक खेत की खुदाई के दौरान प्राचीन कालीन सोने के 5 सिक्के मिले हैं, जिसके बाद गांववासियों में हड़कंप मच गया है. सोने के सिक्के मिलने की खबर जंगल की आग की तरह पूरे गांव में फैल गई है. मौके पर पहुंची पुलिस ने तीन सिक्के बरामद कर लिए हैं.
खुदाई में मिले हैं 5 सोने के सिक्के
किसान परिवार की वृद्ध महिला की मानें तो खेत में 5 सिक्के मिले थे. वो 20 पैसे जैसे दिख रहे थे. जिसके बाद कुछ लोग उसे देखने का बहाना करके आए और उन्होंने दो सिक्के गायब कर दिए.
हालांकि, प्रशासन की मानें तो तीन सिक्के बरामद किए गए हैं. वे सभी ऐतिहासिक हैं और शुरुआती जांच में सोने के प्रतीत हो रहे हैं. इस मामले में बक्सर जिलाधिकारी के मुताबिक अनुमंडल प्राधिकारी डुमरांव ने ये उन्हें ये बताया है कि उनके पास तीन सोने के सिक्के बरामद हुए हैं. न सिक्कों की सुनार से जांच कराई गई है, जिसमें तीनों सिक्के सोने के निकले हैं.
प्रसिद्ध राजा केशवा महाराज से जोड़कर देखा जा रहा है सिक्कों को
बहरहाल, बरामद सिक्कों को चेरो खरवार के प्रसिद्ध राजा केशवा महाराज के काल से जोड़कर देखा जा रहा है. खेत के पास पुलिस ने पहरा बिठा दिया है. मिली जानकारी के अनुसार जिस खेत से सोने के सिक्के मिले है वह बिहारी साह और हरिहर साह का खेत है. जिस पर गांव के ही धनेश्वर महतो की पत्नी बिहसी देवी और उनके बेटे भीम महतो मालगुजारी पर सब्जी की खेती कर रहे थे. रविवार को बिहसी अपने बेटे के साथ सब्जी की फसल उगाने के लिए बांस बल्ला गाड़ने के लिए जमीन की खुदाई कर रही थी. इस दौरान एक-एक कर पांच सोने के सिक्के मिले. आसपास के किसानों ने जब खेत से सोने के सिक्के निकलते देखा तो पूरे गांव में इसकी चर्चा कर दी, बात पुलिस तक पहुंच गई.
क्या है इस जगह का इतिहास
जानकारों की मानें, तो जहां से सोने का सिक्का मिला है वह गिरीधर बरांव गांव है. यहां से महज चार-पांच किलोमीटर दूर तकरीबन 600 साल पहले चेरो खरवार के वंशज इस इलाके में रहते थे. उन दिनों केसठ गांव का नाम रसीद पुर था जो केसठ बस स्टैंड से पश्चिम भाग में था. चेरो खरवार के वंशजों के यहां से चले जाने के बाद रसीदपुर गांव के पास नदी बहा करती थी, जिसमें बाढ़ आने के बाद रसीदपुर के लोग गढ़ के आसपास के हिस्सों में आकर रहने लगे.
लोगों का मानना है कि चेरो खरवार के राजा का नाम केसवा था. जिसके नाम पर रसीदपुर का नाम केसठ रखा गया. आज भी ऐतिहासिक गढ़ का अवशेष गांव में मौजूद है, जो पूरी तरह अतिक्रमण का शिकार है. शासन व प्रशासन के उदासीन रवैये से ऐतिहासिक केसठ गढ़ पूरी तरह से अतिक्रमण का शिकार होकर रह गया है.
(पुष्पेंद्र पांडेय की रिपोर्ट)