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टूटा 170 साल पुराना साथ! कैडबरी से छीना गया रॉयल वारंट, जानिए कैसे कैडबरी बनी थी रॉयल फैमिली का हिस्सा, अब क्यों हुई अलग

रॉयल वारंट को आमतौर पर ब्रिटेन के राजा, रानी, या वेल्स के राजकुमार द्वारा दिया जाता है. इसे पांच साल के लिए जारी किया जाता है और एक्सपायर होने से पहले इसके रिन्यूवल के लिए रिव्यू किया जाता है.

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हाइलाइट्स
  • कैडबरी से रॉयल वारंट वापस ले लिया गया

  • रॉयल वारंट कैसे और कब मिलता है?

ब्रिटेन के प्रतिष्ठित चॉकलेट ब्रांड कैडबरी से रॉयल वारंट वापस ले लिया गया है. कैडबरी करीब 170 साल से रॉयल फैमिली का हिस्सा थी. कैडबरी को रॉयल वारंट की उपाधि पहली बार 1854 में क्वीन विक्टोरिया ने दी थी.

ब्रिटेन में रॉयल वारंट 15वीं सदी से चली आ रही एक परंपरा है, जो उन कंपनियों को जारी किया जाता है जो शाही परिवार को अपने प्रोडक्ट या सेवाएं देती हैं. इस वारंट के तहत कंपनियां अपने प्रोडक्ट और ब्रांडिंग पर शाही परिवार के रॉयल कोट ऑफ आर्म्स और नियुक्ति द्वारा "By Appointment to…" लिखने का अधिकार मिल जाता है.

ब्रिटेन में रॉयल वारंट क्या है?
रॉयल वारंट को आमतौर पर ब्रिटेन के राजा, रानी, या वेल्स के राजकुमार द्वारा दिया जाता है. इसे पांच साल के लिए जारी किया जाता है और एक्सपायर होने से पहले इसके रिन्यूवल के लिए रिव्यू किया जाता है. यह केवल शाही परिवार की पसंद का संकेत ही नहीं है बल्कि इससे कंपनी की क्वालिटी, विश्वसनीयता भी झलकती है. ब्रिटेन में करीब 750 व्यक्तियों और कंपनियों के पास 800 के करीब रॉयल वारंट हैं. इनमें बड़े-बड़े ब्रांड्स से लेकर छोटे काम करने वाले, जैसे कि फर्नीचर बनाने वाले, चिमनी साफ करने वाले, बेलबूटे बनाने का काम करने वाले शामिल हैं.

शाही परिवार की प्रायोरिटी और वैल्यू  के अनुसार इन वारंट की लिस्ट बदलती रहती है. किसी ग्रांटर (शाही परिवार का सदस्य जो वारंट देता है) की मृत्यु होने पर वारंट अमान्य हो जाता है, लेकिन कंपनियां इसे दो साल तक इस्तेमाल कर सकती हैं और फिर इसके लिए आवेदन कर सकती है.


कैडबरी का मामला क्या है?
1824 में बर्मिंघम के बर्नविल में स्थापित कैडबरी ब्रिटिश चॉकलेट बनाने की परंपरा का प्रतीक माना जाता है. इसे 1854 में पहली बार क्वीन विक्टोरिया के तहत रॉयल वारंट मिला था. क्वीन एलिज़ाबेथ II को कैडबरी की बर्नविल चॉकलेट्स खासतौर पर पसंद थीं, और वे इन्हें क्रिसमस पर तोहफे में लेती थीं. लेकिन ये संबंध तब खत्म हो गया जब किंग चार्ल्स III ने अपनी नई सूची में कैडबरी का वारंट रिन्यू नहीं किया.

यह लिस्ट उनके सितंबर 2022 में सिंहासन पर बैठने के बाद दूसरी बार जारी हुई है. कैडबरी की पेरेंट कंपनी, मॉन्डेलेज इंटरनेशनल ने इस फैसले पर निराशा व्यक्त की और कहा कि कैडबरी एक ऐसा ब्रांड है जो पीढ़ियों से ब्रिटिश जीवन का हिस्सा रहा है और यह देश की पसंदीदा चॉकलेट बना हुआ है. हालांकि हमें नया वारंट न मिलने पर निराशा है, लेकिन हम पहले इसे पाने पर गर्व करते हैं और इस फैसले का पूरा सम्मान करते हैं.

कैडबरी का वारंट क्यों हटा?
बकिंघम पैलेस ने इस फैसले के पीछे का कोई खास कारण नहीं बताया, लेकिन कुछ वजहें कैडबरी को वारंट न मिलने के पीछे हो सकती है.

1. सप्लाई  में कमी- खबरों के मुताबिक, हाल के वर्षों में कैडबरी ने शाही घरानों को चॉकलेट की सप्लाई कम कर दी थी, खासकर क्वीन एलिजाबेथ II की मृत्यु के बाद.  

2. सस्टेनेबिलिटी और हेल्थ- किंग चार्ल्स III आर्गेनिक, पर्यावरण-अनुकूल, और पोषण से भरपूर प्रोडक्ट को पहले नंबर पर रखते हैं.  

3. जीओपलिटिकल दबाव- रिपोर्ट्स के मुताबिक B4Ukraine आंदोलन ने किंग चार्ल्स से उन कंपनियों से दूरी बनाने का आग्रह किया, जो रूस में काम कर रही हैं. इनमें मॉन्डेलेज इंटरनेशनल भी शामिल है. हालांकि, कैडबरी को हटाना सीधे इस आंदोलन से जुड़ा नहीं दिखता है.

अन्य ब्रांड्स का क्या हुआ?
कैडबरी के अलावा करीब 100 ब्रांड और कंपनियों से भी रॉयल वारंट छीन लिया गया है. वहीं, 386 कंपनियां अपना वारंट बनाए रखने में सफल रहीं. कुछ नए नाम भी शामिल हुए, जैसे क्वीन कैमिला से जुड़े ब्रांड - जो हैंसफोर्ड (हेयरड्रेसर) और वार्ट्सकी ज्वेलर्स. कैडबरी को अब अगले 12 महीनों के अंदर अपने पैकेजिंग से रॉयल वारंट ब्रांडिंग हटानी होगी. हालांकि, कंपनी का लोकप्रिय पर्पल पैकेजिंग बना रहेगा, लेकिन कैडबरी शाही कोट ऑफ आर्म्स का न होना एक युग का अंत होना माना जा रहा है.

यह स्टोरी निशांत सिंह ने लिखी है, निशांत GNTTV में बतौर इंटर्न काम कर रहे हैं.