scorecardresearch

Sikh Museum: सिखों की विरासत को सहेजने के लिए बना दिया म्यूजियम, खुद अपने हाथों से बनाते हैं मूर्तियां

चंडीगढ़ में एक शख्स सिखों के इतिहास को सहेजने की कोशिशों मे जुटा है. वह अपने हाथों से पंजाब के शहीदों की मूर्तियों बनाकर म्यूजियम में लगा रहा है.

Sikh Museum Sikh Museum
हाइलाइट्स
  • सिखों की विरासत को आगे बढ़ाना है

  • सिखों को कर रहे शिक्षित

कहते हैं शौक बड़ी चीज है. लेकिन बहुत कम लोग अपने शौक को जीवन का लक्ष्य बना पाते हैं. लेकिन आज हम बता रहे हैं आपको एक ऐसे शख्स के बारे में जो हर दिन अपने शौक को जी रहा है और इसे लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ रहा है. यह कहानी है चंडीगढ़ के 57 वर्षीय परविंदर सिंह की, जिन्होंने सिखों के इतिहास को संवारने के लिए सिख म्यूजियम तैयार किया है.  

परविंदर सिंह बचपन से ही रचनात्मक प्रवृत्ति के रहे है. बचपन से ही उन्हें मूर्तियां बनाने का शौक रहा है. पेशे से स्कूटर मैकेनिक होने के बावजूद उन्होंने कभी अपने शौक के साथ समझौता नहीं किया और धीरे-धीरे अपने हाथ की कला को मूर्तियों में उतारना शुरू कर दिया. साल 200 से उन्होंने मोहाली में सिख संग्रहालय बनाना शुरू किया था. 

सिखों की विरासत को आगे बढ़ाना है 
परविंदर सिंह ने गुड न्यूज़ टुडे से बातचीत में बताया कि हमारा सिख इतिहास कोई ज़यादा पुराना नहीं है लेकिन फिर भी जिन लोगों ने कुर्बानियां दी हैं उसको बताने वाला कोई नहीं. इसी सोच के साथ उन्होंने सिख संग्रहालय के बारे में सोचा और वहीं से उनका सफर शुरू हो गया. 

सिख म्यूजियम

परविंदर बताते है कि वह फाइबर मूर्तियां बनाते हैं और मूर्ति के कपडे, बाल, दाढ़ी आदि बनाने में उनकी पत्नी मदद करती हैं. एक मूर्ति बनाने में पैसे की तंगी के कारण कई बार छह से नौ महीने तक लग जाते है. लेकिन अगर पैसे हो तो एक से दो महीने में मूर्ति तैयार कर दी जाती है.

सिखों को कर रहे शिक्षित
परविंदर ने बताया की अपनी इस कला से वह लोगों को सिख इतिहास के एक हिस्से के बारे में शिक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने सिख शहीदों की वीरता को दर्शाया है. उन्होंने कहा, "मैं एक स्थायी मंच बनाना चाहता था, जहां लोग आसानी से सिखों के समृद्ध इतिहास के बारे में जान सकें."

सिख वीरों की मूर्तियां

परविंदर सिंह महाराजा रणजीत सिंह, शहीद भाई तारू सिंह, शहीद मतिदास, भाई दयालजी, बाबा बंदा सिंह बहादुर, शहीद भाई मनी सिंह, सिख साहेबजादे शहीद जोरावर सिंह और फतेह सिंह आदि कई वीर सपूतों के स्टेच्यू अभी तक अपने म्यूजियम में लगा चुके है.

हालांकि, परेशानी यह है कि परविंदर ने जहां अपना ये म्यूजियम बनाया है वह सरकारी जमान है. क्योंकि यह पंचायती ज़मीन है. परविंदर ने बताया कि उन्हें सरकार से उम्मीद है कि सरकार उनकी इस कला को समझने की कोशिश करेगी.