पिछले चार-पांच दशकों में देश में पाश्चात्य सभ्यता का चलन खूब बढ़ा है. नई युवा पीढ़ी अपनी परंपरा भूलकर विदेशी धरती की तरफ बढ़ रही है लेकिन आज आपको एक ऐसे स्कूल की बारे में बताने जा रहे हैं जो कि अपने आप में खास और निराला है. पिछले 20 सालों से निशुल्क यह संस्कृत विद्यालय बच्चों को अपनी परंपरा, सनातन धर्म, ज्योतिष, धर्म कांड और अपनों से जोड़े हुए हैं.
आज की युवा पीढ़ी विदेशी धरती और नए तौर तरीके सीखने और पैसे कमाने के लिए अपनी पुरानी पद्धति और धर्म कांड को छोड़ रही है. उसी को वापस जिंदा और छात्रों को नई दिशा दिखाने की यह पहल है जो कि चंडीगढ़ के सेक्टर 20 हनुमान गुग्गा माड़ी मंदिर में शुरू की गई है.
पिछले 20 सालों से निशुल्क छात्रों को संस्कृत की शिक्षा दीक्षा और पूरा कामकाज मुफ्त में सिखाया जाता है. हनुमान गुग्गा माड़ी मंदिर के अध्यक्ष किशोरी लाल ने गुड न्यूज टुडे से खास बातचीत में बताया कि उनका यह संस्कृत विद्यालय पिछले 20 सालों से निशुल्क बच्चों को अपने सनातन धर्म वेदों ज्योतिष से जोड़ने का प्रयास है. यहां पर छात्रों को तमाम तरह की संस्कृत भाषा में शिक्षा दीक्षा दी जाती है. मकसद सिर्फ यह है कि आगे जाकर वह अपनी धर्म का देश हित में प्रचार-प्रसार कर सकें. यह संस्कृत विद्यालय पंजाब यूनिवर्सिटी के अधिकृत है और इन्हें बाकायदा यहां से डिग्री दी जाती है.
वहीं संस्कृत विद्यालय के प्रिंसिपल अरुण प्रकाश ने गुड न्यूज टुडे को बताया कि पिछले एक दशक में देश में छात्रों का रुझान संस्कृत सीखने की तरफ बढ़ा है. छात्र चाहते हैं कि वह संस्कृति और अपनी पुरानी वेद पद्धति को सीखें जिससे कि वह समाज के लिए काम कर सकें. अरुण प्रकाश ने बताया कि यहां पर छात्रों का दाखिला आठवीं पास करने के बाद लिया जाता है और फिर छात्रों को पुरानी तरीके से सुबह 4:00 बजे उठाया जाता है. 5:00 बजे सरस्वती वंदना और यज्ञ पाठ पूजन ज्योतिष कर्मकांड वैदिक तमाम चीजों का ज्ञान दिया जाता है जो छात्र अंग्रेजी और दूसरे विषय पढ़ने या सीखना चाहते हैं उनके लिए बाहर से टीचर्स लाए जाते हैं और बाद में 5 साल के बाद छात्रों को डिग्री दी जाती है. पहले दसवीं की डिग्री जो कि हिंदू बनारस यूनिवर्सिटी और बाद में 12वीं की पंजाब यूनिवर्सिटी से.
पूरे बैच में 30 छात्र होते हैं और जैसे-जैसे छात्र निकालते रहते हैं वैसे-वैसे पुरानी सीटों को भरा जाता है छात्रों को पढ़ने के अलावा तमाम तरह से हॉस्टल, खाना पीना, तमाम चीज निशुल्क दी जाती है. वहीं छात्र भी अपने आप को धर्म से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं. छात्रों का कहना है कि इससे वह भगवान और अपने धर्म के प्रति जागरूक होते हैं.