
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के सावली तहसील का सदागड हेटी गांव एक ऐसा गांव है जहा इस भीषण गर्मी में भी बिजली का बिल जीरो आता है. सदागड हेटी गांव राज्य का पहला आदिवासी सौर गांव बन गया है. गांव में 2400 यूनिट सौर ऊर्जा उत्पन्न की जा रही है. महावितरण-जिला कलेक्ट्रेट और जिला परिषद प्रशासन ने महज 20 दिनों में सभी बाधाएं दूर कर आदिवासी गांव में बिजली बिल जीरो कर दिया है.
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत ये गांव जिले का पहला "सौर गांव" बन गया है. गांव में कुल 19 घर और एक स्कूल हैं. इन सभी घरों पर सोलर पैनल लगाए गए हैं. प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत प्रति किलोवाट 30,000 रुपये की सब्सिडी का लाभ भी गांव वालों को मिला है.
2,400 यूनिट बिजली उत्पन्न हो रही
गांव में 19 घरों की छतों पर एक किलोवाट की सौर परियोजनाएं स्थापित की गईं. साथ ही स्कूल के लिए 1 किलोवाट की स्वतंत्र सौर परियोजना (बिना सब्सिडी वाली) स्थापित की गई है. कुल 20 किलोवाट सौर ऊर्जा स्थापित होने से प्रति माह औसतन 2,400 यूनिट बिजली उत्पन्न हो रही है. गांव को 100% सौर ऊर्जा से संचालित करने का काम महज 20 दिनों के भीतर किया गया. ग्रामीणों की वित्तीय कठिनाइयों को कम करने के लिए तहसील के महाराष्ट्र अर्बन को-ऑप, क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड नामक एक छोटे संस्था ने लोन देने में भी मदद की.
जंगल पर निर्भर हैं यहां के लोग
घने जंगल के बीच स्थित इस गांव के नागरिक जंगल पर निर्भर हैं, बिजली की बढ़ती कीमतें, हवा और तूफान के कारण लगातार होने वाली बाधाएं, आमदनी को लेकर कई मुश्किलों का सामना ग्रामीणों को करना पड़ता है, ऐसे में सौर गांव बनाने का ग्रामीणों का सामूहिक निर्णय न केवल ऊर्जा बचाने में बल्कि पैसा बचाने में भी निर्णायक साबित हुआ है.
सोलर लगने से खुश हैं गांव वाले
गांव वाले अब खुशी जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद कर रहे हैं और साथ ही बिजली विभाग और जिला प्रशासन के सहयोग की भी प्रशंसा कर रहे हैं. एक स्थानीय ने बताया, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं, सोलर लगाने के बाद से हमें बहुत सुविधा हुई है. पहले बिजली का बिल बहुत आता था. गर्मी के दिनों में 1700 से 1800 तक बिल आता था. हमें बिल भरने में मुश्किल होती थी, उतना पैसा नहीं जोड़ पाते थे लेकिन जब से सोलर लगाया है तभी से बिल जीरो आ रहा है.
-विकास राजूरकर की रिपोर्ट