
कहते हैं, जिंदगी हमें कभी-कभी वो नहीं देती जिसकी हम उम्मीद करते हैं, और कई बार उम्मीद से ज्यादा दे जाती है. कभी-कभी जो रास्ता हम चुनते हैं, वही हमें हमारी असली पहचान देता है. ऐसा ही कुछ हो रहा है चीन के 24 साल के लड़के फेई यू के साथ. क्या है फेई यू की कहानी चलिए जानते हैं.
फेई यू शंघाई की सबसे टॉप यूनिवर्सिटी Fudan से बीच में ही पढ़ाई छोड़कर अब स्ट्रीट फूड बेचने का काम कर रहे हैं. लेकिन चीन में हर कोई इनकी कहानी से प्रेरित है क्योंकि फेई ने बुरे हालातों से कभी हार नहीं मानी.
फेई यू की कहानी चीन में वायरल
फेई का जन्म चीन के सिचुआन प्रांत के एक गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता एक कोयला खदान में काम करते हैं और मां सुपरमार्केट में छोटे-मोटे काम करती हैं. कठिनाइयों के बावजूद, फएई ने सिचुआन यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया. उन्होंने पब्लिक हेल्थ में पढ़ाई की और अपनी कड़ी मेहनत से ग्रेजुएशन के दौरान क्लास में फर्स्ट भी आए.
डिप्रेशन और आर्थिक तंगी ने छीना अमेरिका में रिसर्च का सपना
उनकी मेहनत के दम पर ही उन्हें 2022 में बिना एन्ट्रेंस एग्जाम दिए Fudan यूनिवर्सिटी में मास्टर्स प्रोग्राम में एडमिशन मिल गया. लेकिन 2023 की शुरुआत में ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. फेई ने बताया कि पढ़ाई का स्ट्रेस, नींद की समस्या और पेट दर्द जैसी स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती जा रही थीं, जिससे वह डिप्रेशन का शिकार हो गए. साथ ही, उसने अपने मेंटर द्वारा किए गए दुर्व्यवहार का भी जिक्र किया, हालांकि उसने किसी का नाम नहीं लिया.
स्ट्रीट फूड का बिजनेस शुरू किया
एक साल तक घर पर खाली बैठने के बाद उसने अमेरिका के कुछ यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए एप्लीकेशन दिया. एक यूनिवर्सिटी से उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली. लेकिन अमेरिका की सरकार द्वारा फंडिंग में कटौती के कारण उनकी स्कॉलरशिप वापस ले ली गई. इस तरह फेई का विदेश में पढ़ने का सपना अधूरा रह गया. फेई ने फिर भी हार नहीं मानी और स्ट्रीट फूड बिजनेस शुरू करने का सोचा. उन्हें याद आया कि कैसे वह अपनी दादी के साथ बचपन में गुब्बारे बेचते थे. फिर क्या था फेई ने अपने पुराने कॉलेज, सिचुआन यूनिवर्सिटी के बाहर मैश्ड पोटैटो का स्टॉल लगाया.
रोज कमा रहे 12 हजार तक
फेई का कहना है कि उसका बिजनेस अब तक अच्छा चल रहा है. वह रोजाना 700 से 1000 युआन (लगभग 8000-12000 रुपये) कमा लेते हैं और कस्टमर्स उनके खाने की तारीफ करते हैं. फेई कहते हैं कि अब वह मानसिक रूप से हल्का महसूस करते हैं और अपने काम करके संतुष्ठ हैं. वो हर दिन शाम 5 बजे से स्टॉल खोलते हैं, और दो तीन घंटे में ही सब कुछ बेचकर घर चले जाते हैं.