scorecardresearch

Co-Living Trend: क्या है को-लिविंग? क्यों युवाओं की पसंद बन रहा ये ट्रेंड

भारत में इन दिनों को-लिविंग काफी पॉपुलर हो रहा है. यह एक मॉडर्न ट्रेंड है जो यूथ के बीच काफी प्रचलित है. आइए जानते हैं क्या है को-लिविंग और देश में यह इतना लोकप्रिय क्यों हो रहा है?

Co-Living Co-Living
हाइलाइट्स
  • को-लिविंग का बढ़ता क्रेज

  • शहरी युवाओं की बना पसंद

  • जानिए क्या है को-लिविंग

आपने को-वर्क स्पेस के बारे में तो सुना होगा. यहां तक की को-वर्क प्लेस से तो आप वाकिफ ही होंगे. लेकिन आज हम आपको को-लिविंग के बारे में बताने जा रहे है. को-लिविंग (co-living) एक तरह का को-स्पेस होता है जिसको लाइक माइंडेड लोगों के साथ शेयर किया जाता है. अगर आपके सोचने, रहने, खाने-पीने की आदतें एक जैसी है तो आप को-लिविंग में रह सकते हैं. यहां पर आप को पर्सनल स्पेस तो मिलता ही है और अकेलापन भी महसूस नहीं होता. को-लिविंग में पूरा खर्च घर में रहने वाले लोगों में बराबर शेयर होता है. खर्च डिवाइड होने पर किसी एक पर खर्च का बोझ नहीं पड़ता.

किफायती होता है को-लिविंग 

को-लिविंग में रहना काफी सस्ता होता है. न आपकों मेंटेनेंस की चिंता करनी होती है न ही पड़ोसियों की किच-किच की टेंशन होती है. इसके उलट 1 BHK लेना और 1 RK लेना एक अकेले इंसान को  काफी मंहगा पड़ जाता है. को-लिविंग में आपको न ही फर्नीचर की चिंता करनी होती है और न ही बिल की. बल्कि बिल और फर्नीचर का खर्च भी शेयर हो जाता है. 

किन लोगों के लिए है को-लिविंग

युवाओं के लिए को -लिविंग बेस्ट है.  काम की तलाश में शहर आने वाले युवाओं के लिए को-लिविंग से अच्छा कुछ नहीं है. को-लिविंग उन युवाओं के लिए बेहतर है जो फ्रीलांस काम करते हैं. सिंगल महिलाएं और वर्किंग प्रोफशनल के लिए सबसे बेहतर है.को-लिविंग थोड़ा सा कोस्टली होता है.को लिविंग में पहले से ही सारी सुविधाएं दी जाती है. चाहे वो बेड हो, फर्नीचर हो या फिर इंटरनेट. बस आपको अपने सूटकेस के साथ यहां शिफ्ट हो जाना है. 

 

home
घर

को-लिविंग के फायदे

दूसरे शहरों से नौकरी करने आए युवाओं के लिए यह बेस्ट ऑप्शन है. को-लिविंग में आपको घर ढूंढने से लेकर रूममेट ढूंढने की टेंशन नहीं रहती.
इंटरनेट से लेकर घर की जरूरतों का सारा सामान मिल जाता है. को-लिविंग के लिए घर देने वाले कई निजी वेबसाइट और एप्स भी आ गए हैं.
जो आपको घर और लाइक माइंडेड लोगों को ढूंढने में मदद करते हैं. ये नए लोगों के साथ कनेक्शन बनाने का अच्छा मौका होता है.अलग-अलग फील्ड में काम करने वाले लोगों के साथ रहने में आपको नया माहौल मिलता है और करियर के नए मौके भी मिलते हैं. 

को-लिविंग
को-लिविंग

भारत के किन शहरों में है को-लिविंग का चलन ?

भारत में को-लिविंग का ट्रेंड अभी नया है. लेकिन भारत के कई बड़े शहरों में हाल के दिनों में इसका चलन काफी तेजी से बढ़ा है. चाहे वो मुंबई हो, दिल्ली-एनसीआर हो, बैंगलोर हो, या हैदराबाद. इन शहरों में रहने वाले युवाओं के बीच ये चलन काफी फेमस हो गया है.बैंगलोर में  को -लिविंग के कई हॉटस्पॉट है जिनमें कोरमंगला, इंदिरा नगर, मारतहल्ली, एचएसआर ले आउट और व्हाइटफील्ड शामिल हैं. वहीं मुंबई के अंधेरी ईस्ट, ऐरोली, ठाणे वेस्ट और मलाड वेस्ट जैसे शहरों शामिल हैं. हैदराबाद के अमीरपेट, माधापुर, गचिबोव्ली, कोंडापुर और मनिकोंडा जैसी सिटी शामिल है.

93 बिलियन डॉलर का है मार्केट 

भारत में लगभग 50 से ज्यादा स्टार्ट-अप और कंपनियां मौजूद हैं जो को-लिविंग के बिजनेस में सक्रिय है. 2024 तक 4 लाख 50 लोगों के को -लिविंग में रहने की उम्मीद है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में को-लिविंग का बाजार 93 अरब डॉलर का है.