
आजकल इंटरनेट पर ‘Grey Divorce’ यानी ‘बुढ़ापे में तलाक’ की चर्चा जोरों पर है. ऐसे जोड़े, जिन्होंने दशकों तक शादी निभाई, अब अपने रास्ते अलग कर रहे हैं. मशहूर हस्तियां जैसे ए.आर. रहमान, आमिर खान, और सानिया मिर्जा जैसी हस्तियों के तलाक ने इस ट्रेंड को और सुर्खियों में ला दिया है. लेकिन आखिर Grey Divorce होता क्या है और यह ट्रेंड क्यों बढ़ रहा है?
क्या है 'Grey Divorce' और क्यों बढ़ रही है इसकी संख्या?
Grey Divorce का मतलब 50 साल या उससे अधिक उम्र में लिया गया तलाक है. ये वे लोग होते हैं, जिन्होंने अपनी शादीशुदा जिंदगी का बड़ा हिस्सा साथ बिताया होता है, लेकिन अब अलग होने का फैसला कर रहे हैं. कई जोड़े कानूनी तौर पर तलाक नहीं लेते, लेकिन अलग-अलग रहना पसंद करते हैं.
तो आखिर क्या कारण हैं कि दशकों पुरानी शादियां भी टूट रही हैं?
Grey Divorce के बाद मेंटल हेल्थ पर असर
तलाक के बाद व्यक्ति को अस्तित्व का संकट महसूस हो सकता है- "मैं कौन हूं?", "अब मेरी पहचान क्या है?" खासतौर पर अगर आपने अपना पूरा जीवन एक पार्टनर के साथ बिताया हो, तो अकेले जीने की सोच भी डरावनी लग सकती है. समाज में बुजुर्ग तलाकशुदा लोगों को लेकर कई तरह की बातें बनाई जाती हैं- जैसे उन्हें कहा जाता है कि अब तलाक लेने की क्या जरूरत थी?, जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर ऐसा क्यों?, इतने साल निभाने के बाद अब क्यों अलग हो रहे हैं?
कई लोग तलाक के बाद अकेलेपन और भविष्य की चिंता से जूझते हैं कि अगर मुझे कोई साथी नहीं मिला तो?,अगर मुझे किसी से भावनात्मक सहारा न मिला तो? अगर मैं अकेलेपन से नहीं निपट पाया तो?
कुछ लोग इसे एक नई शुरुआत की तरह देखते हैं और सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करते हैं, जबकि कुछ लोग अवसाद (Depression), चिंता (Anxiety), और आत्मसम्मान की कमी का शिकार हो जाते हैं.
भारत में तलाक से जुड़े मौजूदा कानून क्या कहते हैं?
भारत में तलाक लेने के लिए हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 और मुस्लिम पर्सनल लॉ समेत कई कानून मौजूद हैं. तलाक के प्रमुख आधारों में क्रूरता, अडल्ट्री, धर्म परिवर्तन, मेंटल डिसऑर्डर, और पति-पत्नी के बीच लंबे समय तक कोई रिलेशन न होना शामिल हैं.
महिलाओं को भरण-पोषण (Alimony) और संपत्ति अधिकार भी दिए जाते हैं. हालांकि, भारत में अब भी बुजुर्गों के तलाक को सामाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं माना जाता, जिससे कई लोग अपने रिश्ते को नाखुश रहकर भी निभाते हैं.
हालांकि, तलाक कोई आसान फैसला नहीं होता, खासकर जब आपने अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा किसी के साथ बिताया हो. लेकिन अगर रिश्ता केवल समझौते और जिम्मेदारी तक सिमट जाए, तो शायद अलग होने का फैसला बेहतर हो सकता है.