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यहां मृतकों की इच्छा पूरी करने के लिए श्मशान में लगता है अनोखा मेला, रोग मिटाने के लिए शिवलिंग पर चढ़ाते हैं केकड़ा

सूरत के इस श्मशान में मृतकों के मोक्ष के लिए उनकी पसंदीदा चीजें चढ़ायी जाती हैं और रोग मिटाने के लिए मंदिर में जिंदा केकड़े भी चढ़ाए जाते हैं.

सूरत के मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ाते हैं केकड़ा सूरत के मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ाते हैं केकड़ा
हाइलाइट्स
  • सूरत के इस श्मशान के मंदिर में प्रसाद में जिंदा केकड़े चढ़ाए जाते हैं.  

  • माघ महीने की एकादशी के दिन केकड़े चढ़ाने की प्रथा है.

भारत परंपराओं का देश है. हमारे यहां हर राज्य, हर इलाके, हर धर्म और हर जनजाति की अपनी अलग परंपरा और अलग रीति-रिवाज हैं. इन रीति-रिवाजों को मानने वाले उसे पूरी श्रद्धा के साथ निभाते भी हैं. पर कई बार कुछ रिवाज और परम्पराएं ऐसे भी होते हैं जिनके बारे में सुनकर या जानकर यकीन नहीं होता. जी हां, कई अनोखे और अटपटे रीति-रिवाजों से मिलकर बना हैं हमारा देश. ऐसी ही एक अनोखी परंपरा गुजरात के सूरत में मनाई जाती है, जहां श्मशान के मंदिर में प्रसाद के रूप में जिंदा केकड़े चढ़ाए जाते हैं.  

गुजरात के सूरत में साल में एक बार श्मशान में ऐसा अनोखा मेला लगता हैं जिसके बारे में जानकर आप भी दंग रह जाएंगे. श्मशान में लगने वाले इस मेले में मृतकों की अंतिम इछापूर्ति के लिए ना सिर्फ उनकी पसंदीदा चीजें चढ़ाई जाती हैं बल्कि श्मशान के मंदिर में प्रसाद के रूप में जिंदा केकड़े भी चढ़ाए जाते हैं. जी हां, क्या कभी आपने मंदिर में भगवान को जिंदा केकड़े चढ़ते हुए देखे हैं? अगर नही देखे हैं तो सूरत के मंदिर चले जाइए. सूरत के रामनाथ घेला श्मशान भूमि के रुंधनाथ महादेव मंदिर में आने वाले भक्त शिवलिंग पर जिंदा केकड़े चढ़ाते हैं.  

माघ महीने की एकादशी के दिन केकड़े चढ़ाने की प्रथा 

केकड़े चढ़ाने वाले भक्त साल में एक बार इस मंदिर में मन्नत पूरी होने पर और मन्नत मांगने के लिए आते हैं. माघ महीने की एकादशी के दिन साल में एक बार ये अनोखा प्रसाद चढ़ाकर भक्त मंदिर में पूजा-पाठ करते हैं. माघ महीने की एकादशी के दिन केकड़े चढ़ाने के पीछे लोगों की मान्यता हैं कि ऐसा करने से शारीरिक रोग मिट जाते हैं. मंदिर में आने वाले भक्तों के हाथो में प्रसाद सामग्री के अलावा सिर्फ केकड़े होते हैं.

रामनाथ घेला श्मशान मंदिर के ट्रस्टी, हरीश भाई उमरीगर ने इस बारे में बताया, सूरत के इस रामनाथ घेला श्मशान के शिव मंदिर में आने वाले भक्त ना सिर्फ़ शिवलिंग पर जिंदा  केकड़े चढ़ाते हैं, बल्कि श्मशान की भट्ठियों पर जहां शवों का अंतिम संस्कार होता हैं वहां जाकर भी लोग पूजा-पाठ करते हैं." उन्होंने बताया कि श्मशान की भट्ठियों पर पूजापाठ करने वाले ये वो लोग होते हैं जिनके किसी अपने का अंतिम संस्कार हुआ हो. इस श्मशान भूमि में मृतक शख्स को जो चीज सबसे ज़्यादा प्रिय रही हो उसे आज के दिन चढ़ाया जाता हैं.  ऐसा माना जाता है कि इससे मृतक को मोक्ष मिलता है.  

मृतकों की पसंदीदा चीजें चढ़ायी जाती हैं

रामनाथ घेला  श्मशान के ट्रस्टी हरीश भाई उमरीगर बताते हैं कि इस श्मशान भूमि से रामायण काल की कथा जुड़ी है. उनके मुताबिक जब भगवान श्री राम चौदह वर्ष के वनवास में थे तो वो यहां से गुजरे थे और इसी स्थान पर उन्हें अपने पिता दशरथ की मृत्यु का समाचार मिला था. जिसके बाद उन्होंने इसी स्थान पर पिंडदान देकर पिता के मोक्ष की कामना की थी. इसी श्मशान में मृतकों के मोक्ष के लिए उनकी पसंदीदा चीजें चढ़ायी जाती हैं और रोग मिटाने के लिए मंदिर में जिंदा केकड़े भी चढ़ाए जाते हैं.  

( संजय सिंह राठौर की रिपोर्ट)