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Tamil Nadu के Chellankuppam Village में पहली बार दलितों को मंदिर में मिली एंट्री, 40 साल पहले बना था गांव में मंदिर

त्रावणकोर रियासत में मंदिर में एंट्री को लेकर आंदोलन के करीब 100 साल बाद तमिलनाडु के चेल्लनकुप्पम गांव में दलित परिवारों ने मंदिर में प्रवेश किया और पूजा-अर्चना की. दो युवकों के बीच मारपीट के बाद गांव के दलितों ने मंदिर में एंट्री की.

तमिलनाडु के चेल्लनकुप्पम गांव में पहली बार दलितो ने मंदिर में पूजा की (प्रतिकात्मक तस्वीर) तमिलनाडु के चेल्लनकुप्पम गांव में पहली बार दलितो ने मंदिर में पूजा की (प्रतिकात्मक तस्वीर)

तमिलनाडु में तिरुवन्नामलाई जिले के चेल्लनकुप्पम गांव में पहली बार दलित परिवारों को मंदिर में एंट्री मिली है. पुलिस की मौजूदगी में दलित परिवारों ने मरियम्मन मंदिर में प्रवेश किया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस का कहना है कि दलितों के मंदिर में एंट्री को लेकर किसी समुदाय ने विरोध नहीं जताया है. इसके बावजूद गांव में सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद रखी गई है.
दरअसल त्रावणकोर रियासत में मंदिर में एंट्री को लेकर हुए आंदोलन के बाद 1930 के दशक में महाराजा चिथिरा थिरुनल बलराम वर्मा ने दलितों को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी थी. कुछ सालों में इस आंदोलन के 100 साल होने वाले हैं. इतने दिनों बाद दलितों को पहली बार चेल्लनकुप्पम गांव में मंदिर में प्रवेश मिला है.

आंदोलन में बदली 2 युवकों की लड़ाई-
जुलाई के महीने में इस गांव में मंदिर में एंट्री को लेकर दो युवाओं के बीच झड़प हुई थी. जिसके बाद दलितों और वन्नियारों में विवाद बढ़ गया था. जिसके बाद मंदिर में एंट्री को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था. दरअसल दोनों युवक एक ही स्कूल में पढ़े थे और नौकरी करने चेन्नई चले गए थे. सबसे पहले सोशल मीडिया पर मंदिर में प्रवेश को लेकर बहस हुई. जब दोनों गांव में मिले तो उनमें मारपीट हो गई.

पुलिस ने दिलाई मंदिर में एंट्री-
इस लड़ाई के बाद दलितों ने जिला लेवल पर अधिकारियों के पास याचिका दायर की और मंदिर में एंट्री के लिए अपील की. दलितों ने ऐलान किया कि वो बुधवार को मंदिर में प्रवेश करेंगे. जिसके बाद वेल्लोर रेंज के डीआईजी की अगुवाई में भारी संख्या में पुलिस बल गांव में पहुंच गया. इसके बाद दलितों ने मंदिर में प्रवेश किया. रिपोर्ट के मुताबिक 50 साल की दलित महिला का कहना है कि ये मान्यता है कि नवविवाहित जोड़े मंदिर में पूजा करते हैं और पोंगल पकाते हैं. इससे उनकी सभी मुरादें पूरी होती हैं. लेकिन हम लोगों को कभी अंदर जाने ही नहीं दिया गया. हमें खुशी है कि अधिकारियों ने मंदिर में एंट्री करने, पूजा करने में हमारी मदद की.

गांव में दलितों का अलग मंदिर-
तिरुवन्नामलाई जिले के चेल्लनकुप्पम गांव में ये मंदिर 40 साल पहले बना था. उसके बाद से पहली बार दलितों को इसमें एंट्री मिली है. इतने सालों बाद दलित परिवारों ने मंदिर में पूजा की है. आपको बता दें कि 30 साल पहले गांव में कलियाम्मल मंदिर बनाया गया था, जिसमें दलित परिवार पूजा करते हैं.

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