एक बच्चे के लिए साइकिल बहुत अनमोल चीज होती है और वह भी ऐसी साइकिल जो उसके लिए बार-बार खरीद पाना संभव न हो. ऐसे में अगर साइकिल खो जाए या चोरी हो जाए तो... जी हां, उत्तरी दिल्ली के आर्यपुरा निवासी नौ वर्षीय तरुण के लिए, उसकी साइकिल ही सब कुछ थी. तीन महीने पहले ही उसके एक दोस्त ने उसे साइकिल गिफ्ट की थी. इसी साइकिल से तरुण स्कूल जाता था.
साइकिल से तरुण 15 मिनट में स्कूल पहुंच जाता था जबकि इससे पहले उसे आधा घंटा लगता था और दो बसें भी बदलनी पड़ती थीं. लेकिन तरुण की खुशी ज्यादा दिन नहीं रही क्योंकि कुछ दिन पहले ही उसकी साइकिल चोरी हो गई. तरुण चौथी क्लास में पढ़ता है और साइकिल का चोरी होना उसके लिए सदमे से कम नहीं था.
माता-पिता हैं मजदूर
तरुण की मां पैकेजिंग फैक्ट्री में मजदूर के रूप में काम करती हैं. तरुण ने जब उन्हें साइकिल चोरी होने के बारे में बताया तो उन्होंने तरुण से कम से कम एक महीने इंतजार करने को कहा. क्योंकि इसके बाद ही वह साइकिल खरीदने का सोच सकती हैं. तरुण समेत उनके तीन बच्चे हैं जिनका खर्च चलाना आसान नहीं है. साइकिल खरीदने के लिए कम से कम 3000 रुपए चाहिए जो मैनेज करना इतना आसान नहीं है.
तरुण के पिता एक प्लास्टिक निर्माण कारखाने में काम करते हैं और उनकी दो बहनें कक्षा 9 और 12 में पढ़ती हैं. तरुण को साइकिल एक दोस्त से तोहफे मिली थी. तरुण के लिए यह साइकिल बहुत मायने रखती थी.
पुलिस अफसर की नेकदिली
इस घटना के एक हफ्के बाद तरुण ने दिल्ली पुलिस की एक गश्ती टीम को देखा और वह तुरंत एक अधिकारी के पास गए और अपनी आपबीती उन्हें बताई. सब्जी मंडी पुलिस स्टेशन के SHO, इंस्पेक्टर राम मनोहर मिश्रा ने जब देखा कि बच्चा अपनी बाइक चोरी होने से निराश था और उसकी आंखें भर आई थीं. तब वे उसे पुलिस स्टेशन ले आए और उससे पूर घटना जानी .
SHO और उनकी टीम तरुण को एक स्थानीय साइकिल की दुकान पर ले गई और कुछ ही घंटों में तरुण के पास नई साइकिल थी. मिश्रा ने सोचा कि तरुण के माता-पिता तुरंत साइकिल लेने में सक्षम नहीं होंगे और वह बच्चा अपनी साइकिल से बहुत लगाव रखता था. इसलिए, उन्होंने अपने खर्चे पर उसके लिए साइकिल खरीदी.