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जज्बे को सलाम! 17 साल की Simar Sangla ने Acid Attack Survivors को बनाया आत्मनिर्भर, सेल्फ केयर और हैंडमेड साबुन बनाने की दे रहीं ट्रेनिंग

Acid Attack Survivors : दिल्ली की रहने वाली 17 साल की सिमर सांघला ने एसिड अटैक पीड़ितों लड़कियों को हैंडमेड साबुन बनाने की ट्रेनिंग दे रहीं है. 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली सिमर प्रयास है कि एसिड अटैक पीड़ित लड़कियां अपनी खो चुकी पहचान को वापस पा सकें और अपने पैरों पर खड़ी होकर एक आम लड़कियों की तरह जिंदगी जी सकें.

एसिड पीड़ित लड़कियों के साथ सिमर सांघला एसिड पीड़ित लड़कियों के साथ सिमर सांघला

सिमर सांघला दिल्ली की रहने वाली एक 17 साल की लड़की है जो एसिड सर्वाइवर्स ( Acid Attack Victim ) को अपने पैरों पर खड़े होने के लिए मदद कर रहीं हैं. जिन लड़कियों पर एसिड अटैक हुआ है सिमर उन्हें हैंडमेड साबुन बनाने की ट्रेनिंग देती है ताकि वह लड़कियां, जो एसिड अटैक की वजह से अपनी पहचान खो चुकी हैं वह अपने पैरों पर खड़ी होकर एक नई पहचान के साथ अपनी जिंदगी जी सकें.

2022 में शुरू किया हैंड मेड साबुन बनाने के काम

सिमर के घर में काम कराने वाली महिला की बेटी पूनम पर जब एसिड अटैक हुआ, तब सिमर ने एसिड अटैक पीड़ित को पहली बार देखा और उसकी मदद करनी चाहिए. सिमर ने अपनी दादी और मम्मी के साथ अपने घर पर ही पूनम के लिए एक ऐसा साबुन बनाया, जो उसके झुलसे हुए चेहरे पर जलन न करे और पूनम आसानी से उसे इस्तेमाल भी कर सकें. धीरे-धीरे सिमर ने एसिड विक्टिम के बारे में पढना शुरू किया. जिसके बाद उन्हें पता लगा कि पूनम जैसी और न जाने कितनी ही लड़कियां हैं जिनके साथ ये दर्दनाक घटना हुई है. सिमर ने 2022 में इन एसिड सर्वाइवर्स के लिए ऐसे हैंड मेड साबुन बनाने शुरू किए, जो उनकी जरूरत के हिसाब से बने हो.

एसिड पीड़ितों को पंसद आता है साबुन

सिमर ने साबुन बनाने के बाद जब इन्हें बाटना शुरू किया, तो एसिड विक्टिम ने इसका खूब इस्तेमाल किया. जानकारी के अनुसार, सिमर ने साबुन बनाने के लिए एलोवेरा और शहद का इस्तेमाल किया है. उनका मानना है कि इसको कोई भी आसानी से इस्तेमाल कर सकता था. सिमर ने बताया कि उन्हें लगा कि हैंड मेड साबुन अगर एसिड पीड़ित लड़कियां खुद बनायें, तो वो शायद अपना खुद का काम भी कर सकती हैं.

कई पीड़ित लड़कियों की जिंदगी में आया बदलाव

सिमर ने धीरे-धीरे पीड़ित लड़कियों को हैंड मेड साबुन बनाने की ट्रैनिंग देनी शुरू की और वह अबतक करीब 20 पीड़ितों को ट्रेनिंग दे चुकी है. ट्रेनिंग के बाद पीड़ित साबुन बनाते है और इन्हें बेचते भी हैं जिससे उन्हें रोजगार भी मिला है. इस प्रयास को बाद पीड़ितों को जिंदगी में एक नई पहचान मिली है अब वह अपना खुद का काम कर पा रही हैं और अपनी जिंदगी को किसी आम लड़की की तरह जी रही हैं.

12वीं में पढ़ती है सिमर सांगला

सिमर सांगला अभी 12वीं कक्षा में पढ़ती हैं और अपने साथ पढ़ने वाले और बच्चों को भी एसिड सर्वाइवर के बारे में जानकारी देती हैं. सिमर को देखकर उनके स्कूल के और बच्चे भी सिमर की तरह उन लड़कियों की मदद करना चाहते हैं जो एसिड अटैक का शिकार हो चूंकि हैं. सिमर की इस छोटी सी कोशिश ने कईं एसिड सीवियर्स की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाया है. जो लड़कियां एसिड अटैक की वजह से जिंदगी में कुछ करने का हौंसला खो चुकीं थीं उन्हें एक नई उम्मीद मिली है.