जब भी लगने लगे कि दुनिया बहुत मतलबी है और अच्छाई का जमाना नहीं रह गया है, तब कहीं न कहीं कुछ ऐसा होता है जो एक बार फिर आपका और हमारा भरोसा अच्छाई पर बना देता है. हाल ही में, दिल्ली में हुई एक घटना भी इसी बात का उदाहरण है. दरअसल, 35 साल के पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी जगदीश एचसी एक हफ्ते पहले राजधानी में एक टूर्नामेंट में हिस्सा लेने शहर आए थे. जगदीश के विभिन्न पहचान पत्रों के अलावा, हाल ही में यूपी में एक टूर्नामेंट में जीता गया स्वर्ण पदक और दिल्ली के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जरूरी दस्तावेज आदि उन्होंने अपने बैडमिंटन बैग में रखे हुए थे. लेकिन कार्यक्रम से एक शाम पहले ही उनके साथ एक ऐसी घटना हो गई जिसके बाद वह सिर्फ निराश थे.
दरअसल, जगदीश ने गलती से अपना बैग एक ऑटोरिक्शा के अंदर छोड़ दिया था. इसके बाद, उन्हें कुछ समझ नहीं आया कि वह क्या करें. लेकिन अच्छाई आज भी दुनिया में बाकी है. इसलिए पुलिस के साथ-साथ उस ऑटो ड्राइवर के एक्टिव प्रयासों के कारण, मंगलवार को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम से कुछ घंटे पहले, उसी रात जगदीश को अपना बैग मिल गया.
दिल्ली घूमने निकले थे जगदीश
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार शाम को, बेंगलुरु निवासी जगदीश ने अपनी टीम के चार सदस्यों के साथ, शाम 6 बजे के आसपास लाल किला देखने का फैसला किया और स्मारक के लिए एक ऑटो लिया. ऑटो से उतरने के करीब 15 मिनट बाद उन्हें एहसास हुआ कि उनका बैग गाड़ी में ही छूट गया है. जगदीश बहुत तनाव में थे क्योंकि बैग में न केवल महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स और टूर्नामेंट सर्टिफिकेट थे, बल्कि एक स्वर्ण पदक भी था जो उन्होंने हाल ही में एक टूर्नामेंट में जीता था.
जगदीश की टीम के सदस्य मदद के लिए तुरंत लाल किला पुलिस चौकी पहुंचे. डीसीपी (उत्तर) मनोज कुमार मीणा ने कहा कि पैरा बैडमिंटन खिलाड़ियों की पूरी टीम तत्काल मदद के लिए पुलिस चौकी पहुंची क्योंकि पदक खिलाड़ियों के लिए अमूल्य हैं. उन्होंने यह मामला वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाया.
लापता बैग की तलाश के लिए वरिष्ठ अधिकारियों ने लाल किला पुलिस चौकी के प्रभारी उप-निरीक्षक सतेंद्र सिंह और हेड कांस्टेबल थान सिंह की एक पुलिस टीम का गठन किया गया था. उस ऑटो की तलाश में इलाके के आसपास लगे 150 सीसीटीवी कैमरों को स्कैन किया गया, जिसने पांच खिलाड़ियों को लाल किले पर छोड़ा था. एक कैमरे में ऑटो नजर आया. ऑटो का रूट खंगाला गया तो गाड़ी लोनी, गाजियाबाद की ओर जाती दिखी.
ऑटो चालक ने दिखाई ईमानदारी
दूसरी तरफ, जिस ऑटो चालक ने खिलाड़ियों को छोड़ा था, उसने वाहन दूसरे ड्राइवर को दे दिया था. दूसरे ड्राइवर ने पिछली सीट पर रखे बैग को देखा और फिर उसने पहचान पत्र की जांच की और जगदीश से संपर्क किया. हेड कांस्टेबल सिंह बैग लेने के लिए लोनी पहुंचे. जगदीश की चिंता हर घंटे के साथ बढ़ रही थी क्योंकि मंगलवार का टूर्नामेंट बैग पर निर्भर था. इसमें वे सभी दस्तावेज़ और प्रमाणपत्र थे जो उन्हें प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए टूर्नामेंट आयोजकों को दिखाने थे. इस बैग में उनका जीता गया स्वर्ण पदक भी था जो उनके 13 सालों की मेहनत और 40 टूर्नामेंटों में हिस्सा लेने का परिणाम था.
जैसे ही पुलिसकर्मी उनका बैग लेकर लौटा, जगदीश और टीम के साथियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने सुनिश्चित किया कि उनके सभी दस्तावेज़ सुरक्षित हैं. उन्होंने पुलिसकर्मियों का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि वे दिल्ली पुलिस और ऑटो ड्राइवर के आभारी हैं. अगर बैग बरामद नहीं होता तो जगदीश टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले पाते.