दिल्ली के महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल के तीन बच्चों कनक, वैभव और तमन्ना ने एक ऐसा ऐप बनाया है जो उन बच्चों की पहचान कर सकता है जिनमें डिस्लेक्सिया के लक्षण हैं. इस ऐप को learnxia नाम दिया गया है.
कक्षा 11 में इन बच्चों ने इस ऐप को बनाने की शुरुआत की. इस ऐप को बनाने के पीछे कारण था कि स्कूल में पढ़ रहे डिसलेक्सिक स्टूडेंट्स की स्कूल स्तर पर ही पहचान की जा सके और जल्द से जल्द छोटी क्लास में ही फ्लैक्सीड बच्चों को चिन्हित कर उन्हें स्पेशल क्लास के जरिए अच्छी शिक्षा दी जा सके.
क्या होता है डिस्लेक्सिया
डिस्लेक्सिया के कारण बच्चों को पढ़ने लिखने और चीजों को जल्दी समझने में मुश्किल होती है. डिस्लेक्सिया के भी कई प्रकार होते हैं. डिस्लेक्सिक स्टूडेंट्स के लिए वैसे तो विशेष प्रकार के स्कूल होते हैं, जहां पर इन बच्चों को विशेष प्रकार से पढ़ाया जाता है लेकिन बहुत कम बच्चे ही ऐसे हैं जिन्हें पता चल पाता है कि उन्हें डिस्लेक्सिया है. इसलिए वे बाकी बच्चों की तरह ही सामान्य स्कूलों में पढ़ते रहते हैं और कई चुनौतियों का सामना करते हैं.
अब learnxia एप्लीकेशन की मदद से स्कूल में ही रहकर इस बात की जांच की जा सकती है कि कहीं बच्चे को डिस्लेक्सिया के लक्षण तो नहीं है. इस ऐप में ऐसी प्रोग्रामिंग की गई है कि जिससे बच्चे को कई गेम खिलाकर यह पता लगाया जा सकता है कि बच्चा डिस्लेक्सिया से ग्रसित है या नहीं. lernxia ऐप अपने में बेहद खास है लेकिन इस ऐप को बनाने वाले बच्चे भी बहुत खास हैं. वैसे तो इस एप्लीकेशन को कई कंप्यूटर लैंग्वेज का इस्तेमाल कर कोडिंग के जरिए बनाया गया है. हैरानी की बात ये है कि कोडिंग करने वाले बच्चे साइंस के स्टूडेंट ना होकर ह्यूमैनिटी और साइकोलॉजी के बच्चे हैं. इन्होंने अपने स्कूल में अपनी आईटी टीचर की मदद से सफलता पूर्वक इस ऐप को बनाया है.
नीति आयोग की अटल टिंकरिंग लैब ने इन बच्चों को सुविधाएं दी और वह मंच दिया कि यह बच्चे स्कूल में रहकर ही पूरी दुनिया के सामने अपनी इस प्रतिभा को दिखा सकें और नए इनोवेशन कर सकें.