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Valentine’s Day Special Story: अलग-अलग धर्मों के लोगों को मिल सके प्यार करने की जगह, धनक बन रहा है प्रेमी जोड़ों के लिए एक सेफ हाउस, ऑनर किलिंग से दे रहा सुरक्षा

भारत में आज भी अंतरधार्मिक और अंतरजातीय विवाह समाज की नजर में विवादास्पद बने हुए हैं. लेकिन इसी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए कई लोग काम कर रहे हैं. इन्हीं में से एक है धनक. 2005 में धनक शुरू किया गया था. ये आज कई प्रेमी जोड़ों के लिए आशा की किरण बना हुआ है. धनक लोगों को स्वतंत्र रूप से अपने साथी को चुनने के अधिकार की वकालत करता है.

Valentine’s Day Special (Photo Credit-Dhanak) Valentine’s Day Special (Photo Credit-Dhanak)
हाइलाइट्स
  • 2005 में हुआ था धनक शुरू 

  • कानून और कोर्ट से ही मिलेगा इंसाफ

  • धनक बन चुका है कपल्स के लिए सेफ हाउस  

“पिता ने तंग आकर की बेटी की हत्या”, “दतिया में बाप ने गला घोंटकर बेटी को मारा”, “पिता और पुत्र ने पहले बेटी की हत्या की, फिर प्रेमी को गोली मारी”, “बेटी के हाथ-पैर काटे, पुआल में रख जलाया”, “ऑनर किलिंग के डर से प्रेमी जोड़ा घर छोड़कर भागा”... गूगल पर 'ऑनर किलिंग' सर्च करने पर पूरा इंटरनेट ऐसी ही खबरों से भरा पड़ा है. ये चंद खबरें महज बानगी हैं, ऐसे मामलों की जो भारत के अधिकतर इलाकों में लगभग दैनिक आधार पर रिपोर्ट होते हैं. 

2023 में मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के रतनबसई गांव में एक युवा जोड़े की कथित ऑनर किलिंग (Honor killing) कर दी थी. 18 साल की शिवानी तोमर और 21 साल के राधेश्याम तोमर को चंबल नदी में फेंक दिया गया था. मामले की जब जांच हुई तो पता चला कि प्रेमी जोड़े की हत्या बेटी शिवानी के पिता ने की थी. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, 2021 में ऑनर किलिंग के 33 मामले रिपोर्ट किए गए थे. वहीं 2020 में ये संख्या 25 दर्ज की गई थी. हालांकि, भारत के शहरी और ग्रामीण इलाकों में ऑनर किलिंग के कई मामले आज भी दर्ज नहीं होते हैं.

ठीक ऐसे ही 1998 में जब आसिफ इकबाल (Asif Iqbal) और उनकी प्रेमिका ने अपने घरों में एक दूसरे के बारे में बताया तो चीजें बहुत मुश्किल नहीं थीं. कुछ समय तक नाराज होने के बाद दोनों के घरवालों ने शादी के लिए मंजूरी दे दी थी. इकबाल ने GNT डिजिटल को बताया कि उस वक्त वे केवल 28 साल के थे. कुछ समय की इस नाराजगी के पीछे उनका एक दूसरे से प्यार करना नहीं था. बल्कि समाज के चले आ रहे तौर-तरीके थे. इकबाल, एक मुस्लिम हैं और जिनसे उन्हें प्यार हुआ वो हिन्दू. हालांकि, इस बात को आज करीब 25 साल होने को आए हैं, लेकिन भारत जैसे देश में अंतरधार्मिक (Interfaith) और अंतरजातीय (Inter Caste) विवाह समाज की नजर में विवादास्पद बने हुए हैं. 

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(फोटो क्रेडिट- धनक)
(फोटो क्रेडिट- धनक)

2005 में हुआ था धनक शुरू 

दिल्ली के मयूर विहार में अपने ऑफिस के काउन्सलिंग रूम में बैठे हुए आसिफ इकबाल बताते हैं कि इन सभी परेशानियों को देखते हुए हम कुछ कपल्स ने मिलकर 2005 में धनक (जिसका मतलब है 'इंद्रधनुष') शुरू किया. इसी काउंसलिंग रूम से 2005 से इकबाल ने जाने कितने  अंतरधार्मिक जोड़ों की मदद कर चुके हैं. लेकिन उनके मुताबिक स्थिति आज भी बेहद चिंताजनक है."

पिछले कई सालों से धनक (Dhanak) ऐसे प्रेमी जोड़ों के लिए आशा की किरण बना हुआ है. ये एक तरह का गैर-लाभकारी सहायता समूह है, जो लोगों को स्वतंत्र रूप से अपने साथी को चुनने के अधिकार की वकालत करता है. समाज के बने बनाए रीति रिवाजों को तोड़ते हुए जो प्रेमी जोड़े उत्पीड़न, धमकियों या पारिवारिक विरोध के खिलाफ डटकर खड़े होते हैं, धनक उनके लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में खड़ा है. संकट में फंसे प्रेमी जोड़ों को धनक के हेल्पलाइन डेस्क में काउंसलिंग (Counselling) के साथ कानूनी मदद (Legal Help), संरक्षण (Safety), मेंटल थेरेपी (Mental Therapy), सांत्वना और सबसे जरूरी है कि उन्हें इस बात की स्वीकृति मिलती है कि उन्होंने जो किया है वो कोई अपराध नहीं है.  

"अब लव मैरिज नहीं बल्कि लव जिहाद हो गया है"-आसिफ

आसिफ इकबाल कहते हैं, "जब ऐसे जोड़े हमसे संपर्क करते हैं, तो हमारे लिए उन्हें यह समझाना सबसे जरूरी होता कि वे दोषी नहीं हैं और उन्होंने एक दूसरे से प्यार करके कोई अपराध नहीं किया है. इसके बाद हमें उन्हें अपने मार्गदर्शन में ही नजदीकी स्थानीय पुलिस स्टेशन और उनके पुलिस स्टेशन को भी उनके ठिकाने के बारे में सूचित करते हैं. एक बार जब उन्हें कानूनी समर्थन मिल जाता है, तो वे सुरक्षित महसूस करते हैं. हालांकि, ये यात्रा अभी यहां खत्म नहीं होती है. अगला कदम इन जोड़ों को एक सुरक्षित रहने की जगह देना होता है. क्योंकि अब लव मैरिज नहीं रह गया है बल्कि लव जिहाद हो गया है. लोग सबसे पहले ये देखते हैं कि आखिर लड़का या लड़की कौन से धर्म का है. यही वजह है कि जोड़े अक्सर अपने गृह राज्य के बाहर मौजूद सुरक्षित घरों का विकल्प चुनते हैं, क्योंकि उन्हें डर होता है कि कहीं उनके परिवार वाले उनको खोज न लें.” 

(फोटो क्रेडिट- धनक)
(फोटो क्रेडिट- धनक)

कानून और कोर्ट से ही मिलेगा इंसाफ

आसिफ इकबाल कहते हैं कि लड़ने का तरीका कानून और कोर्ट से ही होगा. सिविल मैरिज में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. संविधान की बात करें, तो दो अलग-अलग धर्मों के लोगों को शादी करने की अनुमति है. स्पेशल मैरिज एक्ट सभी धर्मों पर लागू होता है. फिर चाहे वो व्यक्ति हिंदू धर्म से ताल्लुक रखता हो, मुस्लिम से, सिख से, ईसाई से, जैन से, बौद्ध या किसी भी धर्म से. धार्मिक शादी से इतर इस कानून के तहत शादी रजिस्टर करवाने के लिए आपको धर्म बदलने की जरूरत नहीं पड़ती है. इस कानून के तहत भारत के हर नागरिक को ये संवैधानिक अधिकार दिया गया है कि वो चाहे किसी भी धर्म या जाति में का हो, वह दूसरे व्यक्ति से शादी कर सकता है. शादी करने के लिए लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए.

धनक बन चुका है कपल्स के लिए सेफ हाउस  

हालांकि आसिफ इकबाल खुशी जाहिर करते हुए कहते हैं कि शुरुआत में ये एक तरह का सपोर्ट ग्रुप था, लेकिन अब धनक ऐसे कपल्स के लिए एक सेफ हाउस बन चुका है. आसिफ कहते हैं, “आज लोग हमसे सोशल मीडिया और फोन-मैसेज के माध्यम से देशभर से मदद मांगते हैं. हम पिछले 15 साल में हजारों ऐसे कपल्स की मदद कर चुके हैं. इसका कारण ये भी है कि अथॉरिटी के ऊपर इन कपल्स को भरोसा कम है. शुरू से ही खुद की मर्जी से शादी करना कभी अच्छा नहीं माना जाता है. लेकिन इतिहास गवाह है कि प्यार अपनी जगह ढूंढ ही लेता है. हजारों मुश्किलों के बावजूद भी प्यार अपनी राह चुन लेता है. धनक का काम केवल प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा देना ही नहीं बल्कि लोगों को जागरूक करना भी है. इसके लिए धनक हाल साल 14 फरवरी को साहस नाम से एक रैली भी निकालता है. इसमें लोगों को ऑनर किलिंग के खिलाफ जागरूक किया जाता है. और बताया जाता है कि बदलाव पहले खुद से ही करना पड़ेगा.”

(फोटो क्रेडिट- धनक)
(फोटो क्रेडिट- धनक)

साल 2024 में हमें एक ऐसी दुनिया बनाने के प्रति समर्पित होना चाहिए जहां हर व्यक्ति को हिंसा या भेदभाव के डर के बिना प्यार करने और प्यार पाने की आजादी हो. बढ़ती असहिष्णुता और कट्टरता के सामने, यह जरूरी है कि किसी मोहल्ले के किसी कूचे पर प्रेम बचा रहे, नए प्रेमी-प्रेमिकाओं में इतनी हिम्मत हमेशा रहे कि वे जाति, धर्म और हदों से निकलकर प्रेम करते रहें. आने वाली पीढ़ी के लिए एक ऐसे भविष्य का निर्माण किया जा सके जहां हर जोड़ा अपने प्यार का जश्न खुलकर और बिना किसी डर के मना सके, और जहां प्रेम और मानवता के सिद्धांत पूर्वाग्रह और नफरत पर विजय पा सकें.