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9 महीने की उम्र में खोया एक पैर, लेकिन दिव्यांगता को मात देकर रचा इतिहास, एक पैर से चढ़ाई कर फतह की 20,310 फीट ऊंची चोटी

वासु कभी भी प्रॉस्थेटिक टांग पर निर्भर नहीं हुए. क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी स्पीड कम हो जाती है. अपने एक पैर के दम पर ही उन्होंने अलग-अलग एडवेंचर करने शुरू कर दिए. और मात्र 5 साल की उम्र में ही स्कीइंग उनके मन में रच-बस गया.

Vasu Sojitra (Photo: instagram/@ vasu_sojitra) Vasu Sojitra (Photo: instagram/@ vasu_sojitra)
हाइलाइट्स
  • 9 महीने की उम्र में हुई बीमारी तो काटना पड़ा एक पैर

  • अब एक पैर के दम पर फतह कर रहे दुनिया की ऊंची चोटियां

जब भी किसी दिव्यांग इंसान को देखते हैं तो अक्सर सोचने लगते हैं कि कैसे उनकी मदद करें. जबकि हमें सबसे पहले यह सोचना चाहिए कि क्या वाक़ई उन्हें हमारी मदद की जरूरत है. क्योंकि आज ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने अपनी दिव्यांगता को मात देकर अपनी पहचान बनाई है. 

आज ऐसे ही एक दिव्यांग माउंटेनीयर (पर्वतारोही) के बारे में हम आपको बता रहे हैं, जिन्होंने नॉर्थ अमेरिका की सबसे ऊंची माउंटेन, देनाली (Denali) को फतह किया है. यह कहानी है भारतीय मूल के वासु सोजित्रा की, जो बहुत ही कम उम्र से अमेरिका में रह रहे हैं. 

9 महीने की उम्र में गंवाया अपना एक पैर:

वासु बहुत छोटे थे जब उनके माता-पिता अमेरिका में जाकर बस गए. सबकुछ बहुत अच्छा चल रहा था लेकिन, जब वासु 9 महीने के थे तो उनके माता-पिता को पता चला कि सेप्टिसीमिया नामक बीमारी है. इसमें बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण ब्लड में इन्फेक्शन फ़ैल जाता है. 

उनके माता-पिता से कहा गया कि अगर वे वासु की जान बचाना चाहते हैं तो वासु का एक पैर काटना होगा. वह समय आसान नहीं था लेकिन उनके माता-पिता के लिए वासु की ज़िन्दगी ज्यादा जरुरी थी. लेकिन बचपन से ही वासु ने इस बात को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया कि उनका एक पैर नहीं है. 

5 साल की उम्र में करने लगे थे स्कीइंग: 

वासु कभी भी प्रॉस्थेटिक टांग पर निर्भर नहीं हुए. क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी स्पीड कम हो जाती है. अपने एक पैर के दम पर ही उन्होंने अलग-अलग एडवेंचर करने शुरू कर दिए. और मात्र 5 साल की उम्र में ही स्कीइंग उनके मन में रच-बस गया.

वह आसपास के इलाकों में स्कीइंग करने लगे और पहले स्कूल फिर अपने कॉलेज के दोस्तों के साथ स्थानीय पहाड़ों की चढ़ाई करने लगे.  उन्होंने एक आउटिंग क्लब भी ज्वाइन कर लिया. धीरे-धीरे लोगों ने उन्हें पहचानना शुरू कर दिया. 

किसी फिल्ममेकर ने उन पर शॉर्ट फिल्म बनाई तो ‘द नॉर्थ फेस’ के लिए काम करने वाले एक एंकर ने उन्हें ब्रांड के पहले दिव्यांग एथलीट के रूप में साइन किया.  

लोगों के लिए बन रहे हैं मिसाल: 

साल 2014 में, वासु ने बैसाखी की मदद से व्योमिंग के ग्रैंड टेटन शिखर (ऊंचाई: 13,775 फीट) को फ़तह किया था. इसके बाद उन्होंने माउंट मोरन (ऊंचाई: 12,610 फीट) को फ़तह किया. और कुछ समय पहले  दिव्यांग पर्वतारोही पीट मैक्एफ़ी के साथ मिलकर स्कीइंग की.  

माना जा रहा है कि देनाली पीक को फ़तह करने वाले वे पहले दिव्यांग पर्वतारोही हैं. क्योंकि उनसे पहले ऐसा कुछ करने वाले किसी दिव्यांग व्यक्ति का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है. उनके इस कारनामे को 2021 में वॉरेन मिलर की फिल्म, "विंटर स्टार्ट्स नाउ" में दिखाया गया था. 

आज वासु अपने जैसे और भी बहुत से लोगों के लिए मिसाल बन रहे हैं. वह लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं. उन्हें समझा रहे हैं कि लोगों की काबिलियत उनकी शारीरिक क्षमता से कहीं ज्यादा है. आज इंस्टाग्राम पर उनके 46,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं और वह अपने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल दिव्यांगों के लिए एक इंक्लूसिव सोसाइटी बनाने के लिए कर रहे हैं.