
यह कहानी है पंजाब के संगरूर जिले के रजपुरा गांव के रहने वाले दिलप्रीत सिंह की. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले दिलप्रीत सिंह आज जाने-माने मिलेट्स बिजनेसमैन हैं. आठ एकड़ जमीन पर मिलेट्स उगाकर और फिर प्रोसेस करके प्रोडक्ट्स बनाने दिलप्रीत सिंह आज वह देशभर के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं. उनके मिलेट्स के रेडी-टू-ईट प्रोडक्ट्स आज ऑस्ट्रेलिया तक पहुंच रहे हैं.
अपनी जड़ों से जुड़े रहे
अपनी 12वीं कक्षा तक की शिक्षा गांव में पास के एक सरकारी स्कूल में पूरी करने वाले दिलप्रीत सिंह साल 1995 में ऑस्ट्रेलिया चले गए थे. यहां चार साल तक उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई सेना में सर्विस की. हालांकि, घर से दूर रहने के बावजूद, वह अपनी जड़ों से जुड़े रहे. हर साल वह एक बार तो जरूर अपने गांव आते थे.
गांव में वह खेती में भी योगदान देते. पिछले कई सालों से वह अपने गांव में मिलेट्स की खेती कर रहे हैं. वह लगभग 8 महीने अपने गांव में और बाकी समय सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं. हालांकि, उनका प्लान आखिर में पंजाब में बसने का है.
बना रहे हैं Ready to Cook प्रोडक्ट्स
दिलप्रीत ने हमेशा से कुछ अलग करने की चाह रखी. उन्होंने पारंपरिक फसलों को छोड़कर मिलेट्स पर फोकस किया और फिर अपनी उपज को मंडी में बेचने की बजाय खुद की प्रोसेसिंग यूनिट लगाई. वह अपनी उपज को खुद प्रोसेस करके फूड प्रोडक्ट्स बना रहे हैं. अपने फूड प्रोडक्ट्स को वह "Healthy Soil Food & People" नामक ब्रांड के तहत मार्केट कर रहे हैं. हालांकि, यह राह आसान नहीं थी. उन्होंने प्रोसेसिंग से लेकर मार्केटिंग तक में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा.
मिलेट्स को प्रोसेस करते समय भी कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है नहीं तो पूरी उपज खराब हो सकती है. दिलप्रीत ने इस बात पर फोकस किया कि ग्राहकों को मिलेट्स इस तरह मिलें कि वे कुकर में पकाकर खाए जा सकें. बहुत से लोग मिलेट्स सिर्फ इसलिए नहीं खरीदते क्योंकि इन्हें प्रोसेस करके रेसिपी बनाने में काफी मेहनत लगती है. दिलप्रीत लोगों को इस मेहनत से बचा रहे हैं.
मिल चुका है अवॉर्ड
मिलेट्स को बढ़ावा देने की सरकार की पहल से पहले ही साल 2019 में दिलप्रीत ने रागी और कोदो मिलेट्स की बुआई शुरू कर दी थी. उनके अनुसार, पंजाब में जल-स्तर की कमी और रासायनिक उर्वरकों के ज्यादा इस्तेमाल जैसी समस्याओं का समाधान मिलेट्स हैं. क्योंकि मिलेट्स को ऐसी जगहों पर उगाया जा सकता है जहां पानी की कम हो. साथ ही, मिलेट्स सूखे जैसी स्थिति को भी झेल सकते हैं.
दिलप्रीत के बारे में लोगों को तब पता चला जब उन्होंने पिछले साल अपने मिलेट्स और मिलेट प्रोडक्ट्स ऑस्ट्रेलिया एक्सपोर्ट किए. आगे उनका प्लान दूसरे देशों जैसे कनाडा में भी अपने प्रोडक्ट्स पहुंचाने का है. दिलप्रीत की मेहनत और सफलता को देखते हुए भारत सरकार के भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान से उन्हें मिलेट्स की खेती में चैंपियन पुरस्कार मिल चुका है.