मुजफ्फरपुर के बड़ी कोठिया की रहने वाली पमपम कुमारी हेमिप्लजीया से पीड़ित छात्रा ने पहली ही कोशिश में नीट क्वालिफाई कर लिया है. चलने फिरने में परेशानी की वजह से परिजनों ने गांव के ही डॉल्फिन पब्लिक स्कूल में पमपम का एडमिशन कराया. पमपम की शुरुआती पढ़ाई गांव से ही हुई.
स्कूल के निदेशक धर्मवीर कुमार ने बताया कि पमपम पहली कक्षा से ही काफी तेज थी और स्कूल के सभी शिक्षक उसे काफी स्नेह करते थे. टिफिन टाइम में जब दूसरे बच्चे ग्राउंड में खेलने जाते थे तो पमपम उस वक्त स्कूल लाइब्रेरी में पढ़ाई करती थी. शारीरिक दिव्यांगता के बावजूद पमपम ने अपनी इच्छाशक्ति से वो कर दिखाया है जो आम तौर पर किसी सामान्य स्टूडेंट के लिए भी बेहद कठिन है.
बचपन से बनना चाहती थीं डॉक्टर
पमपम को चलने, लिखने और बोलने में काफी दिक्कत होती है लेकिन उसने अपने बाएं हाथ से परीक्षा लिखी और नीट पास कर लिया. पमपम बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहती थीं. नीट क्वालीफाई कर पमपम ने अपने सपने को सच कर दिखाया है. पमपम ने मुजफ्फरपुर के नामचीन श्री कृष्ण सिंह मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया है.
खुद पर विश्वास बनाए रखा
पमपम कहती हैं कि भले ही वह हाथ और पैर से दिव्यांग हैं लेकिन वो अपने मेहनत से अपना लक्ष्य पा सकती हैं. पमपम बताती हैं कि इस बीमारी के कारण उसे तमाम लोगों के ताने भी सुने, लेकिन उसने अपना हौसला नहीं खोया. इस सफलता के लिए उसने खुद पर विश्वास बनाए रखा, मेहनत की और उन लोगों की बातों को अनदेखा किया जो ये समझते थे कि वो एक दिव्यांग लड़की है और जीवन मे कुछ नहीं कर सकती.
बेटी की कामयाबी से परिवार खुश
दादा बच्चा राय और दादी हीरा देवी के साथ पिता वीरेंद्र कुमार और मां हेमलता देवी पमपम कि इस सफलता से काफी खुश है. उनका कहना है कि पूरा परिवार बेटी की दिव्यांगता को लेकर परेशान थे कि इसका भविष्य क्या होगा. लेकिन बेटी की कामयाबी ने उनकी सभी परेशानियों को दूर कर दिया है.
-मणि भूषण शर्मा की रिपोर्ट